दिल्ली वेब डेस्क / कोविड-19 का संक्रमण मोबाइल फोन पर रह सकता है, इसके लिए जरूरी है कि मोबाइल फोन की स्क्रीन को नियमित रूप से साफ करना चाहिए। आईआईटी-बॉम्बे के अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि कोरोना वायरस की संक्रामक बूंदें सामान्य कांच की तुलना में फोन के कांच की सतह पर सूखने में ज्यादा वक्त लगाती हैं। दरअसल लॉक डाउन अनलॉक होने के बाद किसी न किसी कार्य से लोगों की आवाजाही हो रही है | घरों से बाहर निकल कर लोग सार्वजनिक इलाकों में एक दूसरे के संपर्क में आ रहे है | इस दौरान मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल भी सामान्य दिनों की तरह हो रहा है | बचाव और सावधानी के बावजूद कई लोग जाने अनजाने संक्रमण का शिकार हुए है | ऐसे समय मोबाइल भी जोखिम भरा हो चला है |
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जानकारों के मुताबिक मोबाइल फोन की स्क्रीन, कपास और लकड़ी ऐसे सामग्री हैं जो वायरस के लिए सुरक्षित जगह मानी जाती है, यानि कि इन चीजों पर वायरस ज्यादा अवधि के लिए जीवित और सक्रीय रह सकता है। इसके लिए जरूरी है कि इन सामानों को नियमित रूप से धोते रहें और साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
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आईआईटी के प्रोफेसर रजनीश भारद्वाज ने कहा कि बूंदों का वाष्पीकरण सतह, तापमान और नमी पर निर्भर करता है। तापमान ज्यादा होने से बूंदों को सोखने और वायरस के संक्रमण को तेजी से खत्म करने में मदद मिली है। जबकि कम तापमान यानि कि नमी ने बूंदों को सोखने में देरी की है। जानकार बताते है कि भारत में 45 – 48 डिग्री तापमान बढ़ने के बावजूद संक्रमण में कमी नहीं आई है | अब कई लोग सीधे संक्रमितों के साथ – साथ उनके दौरा उपयोग की गई वस्तुओं के इस्तेमाल और उपयोग से भी संक्रमित हो रहे है | ऐसे में मोबाइल समेत अन्य उपकरणों के उपयोग से पहले सतर्कता बरतनी जरुरी है |
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जानकार यह भी बताते है कि कोरोना एसएआरएस सीओवी-2 बहुत तेजी से प्रसार करता है। अस्पताल के आइसोलेटेड कम रेट में एक स्थान से यह महज 10 घंटों के भीतर आधे से ज्यादा वार्ड की सतह को संक्रमित कर सकता है | सिमुलेशन अध्ययन में लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज हॉस्पिटल और ग्रेट आर्म्ड स्ट्रीट हॉस्पिटल केस अध्ययन के मुताबिक, अस्पताल के पलंग की रेलिंग में छोड़ा गया। प्रतिरूपित वायरस डीएनए लगभग 10 घंटे में वार्ड की पूरी सतह पर पाया गया और कम से कम 5 दिन तक वहां मौजूद रहा।
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जनरल ऑफ हॉस्पिटल इन्फेक्शन प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया अपने आसपास लगातार स्वच्छता बनाए रखकर ही इससे बचा जा सकता है। यूसीएल की लेना सिरीस के मुताबिक उनके अध्ययन से यह तो साफ हो गया है कि वायरस के प्रसार में सतह अहम भूमिका निभा रही हैं। शोधकर्ताओं ने इसे आइसोलेशन रूम के बिस्तर की रेलिंग पर छोड़ दिया। उन्होंने पाया कि 10 घंटों के भीतर ही यह वायरस वार्ड के 41 फीसदी स्थान में फैल चुका था।
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प्रो. पीटर हॉल के मुताबिक कोरोना वायरस की चपेट में आने से बचने के लिए कांच और स्टेनलेस स्टील को समय-समय पर साफ नहीं करना पड़ता है क्योंकि वे हाइड्रोफिलिक हैं यानि कि वे पानी को तेजी से सोखते हैं। वाटरलू यूनिवर्सिटी के प्रो. पीटर हॉल का कहना है कि इन्हीं कारणों से फोन को दिन में दो बार साफ करना चाहिए।