बिलासपुर:- छत्तीसगढ़ में गणतंत्र दिवस के खुशियाँ मीसाबंदियों के लिए समृद्धि का पैगाम लेकर आई है। एक फैसले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मीसाबंदियो की पेंशन फिर बहाल कर दी है। तीन साल पहले सत्ता में आते ही कांग्रेस ने मीसा बंदियों को मिलने वाली सम्मान राशि पर रोक लगा दी थी। देश के कई राज्यों में मीसाबंदियों को सम्मान राशि के रूप में पेंशन दी जाती है। इसी के मद्देनजर पूर्ववर्ती बीजेपी कार्यकाल में मीसाबंदियों को हर माह आर्थिक मदद की जाती थी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे बेतुका बताते हुए पेंशन देने से इनकार कर दिया था। बीजेपी इसे जनहित में सरकार का उठाया गया कदम बताती रही है। गणतंत्र दिवस के दो दिन पहले जब हाईकोर्ट बिलासपुर ने अपना फैसला सुनाया तो सैकड़ों मीसाबंदियो की आखो से ख़ुशी के आंसू छलक गए। चीफ़ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मीसाबंदियों को अपने निर्णय से बड़ी राहत दी है। इससे पहले सिंगल बेंच ने भी मीसाबंदियों को राहत दी थी और उनके हक में फैसला सुनाया था,जिसके खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार ने डबल बेंच में अपील की थी।
जानकारी के मुताबिक़ बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। गौरतलब है कि तीस से ज्यादा मीसाबंदियों ने अदालत में पेंशन की मांग को लेकर याचिका लगाई थी। याचिका के अनुसार छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन काल मे इन मीसाबंदियों को पेंशन की सुविधा दी जा रही थी। कांग्रेस सरकार में इसे बंद कर दिया गया। मीसाबंदियों,इसके खिलाफ ने हाईकोर्टमें गुहार लगाईं थी। हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ शासन के 2020 में जारी नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए 2008 के सम्मान निधि को फिर से लागू के आदेश दिए हैं । छत्तीसगढ़ सरकार ने भौतिक सत्यापन और समीक्षा के नाम पर 2019 से मीसाबंदियों के पेंशन पर रोक लगा दी थी।