Saturday, September 21, 2024
HomeNationalBadrinath News: बदरीनाथ के कपाट खुलने के बाद धाम में 'चमत्कार', जो...

Badrinath News: बदरीनाथ के कपाट खुलने के बाद धाम में ‘चमत्कार’, जो भी देखा हो गया हैरान

Badrinath: भगवान बदरीनाथ के कपाट खुलने के बाद धाम में एक ‘चमत्कार’ हुआ है जिसे तीर्थ पुरोहित देश के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं. बर्फ की फुहारों और पुष्पवर्षा के बीच गुरुवार को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर वृष लग्न में बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए. चारों ओर वैदिक मंत्रोचारण और जय बदरीनाथ का जयघोष सुनाई दे रहा था, लेकिन कपाट खुलने के बाद एक ऐसी बात हुई जो किसी चमत्कार से कम नहीं. कपाट खुलने के बाद जब देखा गया तो भगवान बदरीनाथ को ओढ़ाए गए घृत कंबल पर इस बार भी घी ताजा मिला.

बदरीनाथ के धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल ने बताया कि घृतकंबल पर घी ताजा मिलने का अभिप्राय यह है कि देश में खुशहाली बनी रहेगी. बीते वर्ष भी कंबल पर लगा घी ताजा था. बाहर इतनी बर्फबारी के बाद ठंड होने के बाद भी अगर घी सूखता नहीं है तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं है.

धार्मिक परंपराओं के अनुसार, कपाट बंद होने पर भगवान बदरीनाथ को घी में लिपटा कंबल ओढ़ाया जाता है. ये कंबल विशेष रूप से माणा गांव की महिलाओं की ओर से तैयार किया जाता है. कन्याएं और सुहागिन इस कंबल को एक दिन में तैयार करती हैं. जिस दिन ये घृत कंबल तैयार किया जाता है उस दिन कन्याएं और महिलाएं उपवास रखतीं हैं. एक घृत कंबल (घी में भिगोया ऊन का कंबल) को भगवान बदरीनाथ को ओढ़ाया जाता है.

शीतकाल के बाद जब कपाट खोले जाते हैं तो सबसे पहले घी में लिपटे इस कंबल को हटाया जाता है. अगर कंबल का घी अधिक नहीं सूखा है तो उस साल देश में खुशहाली रहेगी. अगर कंबल का घी सूख गया या कम हो गया तो उस साल देश में सूखा या अत्यधिक बारिश की आशंका रहती है.

विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खुले कपाट
हल्की बर्फवारी और बारिश के बीच गढ़वाल हिमालय के विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट गुरुवार को विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. इसी के साथ उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो गई. मंदिर के कपाट खुलने के अवसर पर धाम में हजारों की संख्या में श्रद्वालु मौजूद रहे, जिन पर हैलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा भी की गई. इस मौके पर धाम को 15 कुंतल फूलों से सजाया गया था. उच्च गढ़वाल क्षेत्र में स्थित चारों धामों के कपाट हर वर्ष सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं और अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा खोले जाते हैं. मान्यता है कि सर्दियों में भगवान की पूजा देवता करते हैं.

bureau
bureau
BUREAU REPORT
RELATED ARTICLES

Most Popular

spot_img