छत्तीसगढ़ में लाखों सरकारी-गैर सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की जान जोखिम में , WHO और भारत सरकार के प्रतिबंध के बावजूद घातक केमिकल का छिड़काव , स्किन कैंसर , एलर्जी , फेफड़ों की बीमारी , आँखों और गले की बीमारी का खतरा , देशभर में रोक के बावजूद राज्य में घातक केमिकल का सरकारी संरक्षण में छिड़काव , देखे पाबंदी आदेश 

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में लाखों सरकारी और गैर-सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के अलावा आम लोगों को इन दिनों घातक बीमारी स्किन कैंसर , गले का कैंसर , फेफड़ों की बीमारी , आँखों और कान-नाक की बीमारी , गंजा होने का खतरा , एलर्जी , खरास ,उल्टी ब्रॉन्कोस्पांस्म के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से में संक्रमण हो सकता है | दरअसल सेनेटाइजेशन के नाम पर दफ्तरों के अलावा सार्वजनिक स्थानों में टनल,चैंबर , नार्मल स्प्रे और अन्य तरीके से केमिकल का छिड़काव किया जा रहा है | अधिकारी-कर्मचारी और आम लोग शरीर को सेनेटाइज करने के लिए इस स्प्रे से होकर गुजर रहे है | लेकिन वे इस तथ्य से बेखबर है कि वो घातक बिमारियों का शिकार हो सकते है | इस समाचार को पढ़ने के साथ ही इसमें संलग्न भारत सरकार और WHO की गाइडलाइन वाला वह आदेश जरूर पढ़े जो छत्तीसगढ़ छोड़ तमाम राज्य सरकारों ने अपने प्रदेश में लागू किया है | इस आदेश को लेकर न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री से लेकर संबंधित अफसरों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की लेकिन हर कोई बचते नजर आया |   

रायपुर अरण्य भवन में स्थापित टनल 

WHO के अलावा भारत सरकार और देश की तमाम राज्य सरकारों ने इस पर पाबंदी लगाई हुई है | लेकिन सिर्फ छत्तीसगढ़  एकमात्र ऐसा राज्य है , जहां इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है | प्रदेश के पडोसी राज्य मध्यप्रदेश के अलावा तमाम राज्यों ने अपने यहां इस पर कड़ी पाबंदी लगाई है | लेकिन राज्य में कुछ सप्लायरों ने चाइना से इस केमिकल को आयात कर  राज्य के कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थनों में बड़े पैमाने पर खपा दिया है | इस केमिकल की सप्लाई करने वालों को दो सौ गुने से ज्यादा का मुनाफा नजर आ रहा है | लेकिन लाखों लोगों को घातक बीमारी का सामना करना पड़ सकता है | 

रायपुर अरण्य भवन में स्थापित टनल 

बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ में राजधानी रायपुर से लेकर तमाम जिलों में सरकारी-गैर सरकारी दफ्तरों और संस्थानों में कही टनल बनाकर तो कही नॉर्मल स्प्रे के जरिये सेनेटाइजेशन के नाम पर इस केमिकल का बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है | जानकार बता रहे है कि इस केमिकल का उपयोग खासकर उस मेडिकल स्टाफ के शख्स के लिए है, जो पीपीई अथवा सेफ्टी किट पहना हो | ताकि केमिकल का छिड़काव उसकी किट पर हो ना कि आम लोगों की तरह शर्ट-पेंट पहनने वालों पर | पीपीई या सेफ्टी किट पहनने से यह केमिकल शरीर के किसी भी अंग में प्रवेश नहीं करता | लेकिन बगैर किट या आम कपड़ा पहनने से यह शरीर के संपर्क में आता है | यही नहीं इस टनल अथवा स्प्रे से निकलने वाले केमिकल का छिड़काव सीधे शरीर पर होता है | इससे शरीर के प्रत्येक हिस्सों में संक्रमण का खतरा है | केमिकल के असर से कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है | 

छत्तीसगढ़ में इस पर पाबंदी के दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाये गए है | जबकि भारत सरकार और WHO की गाइडलाइन के जारी होने में दो हप्ते से ज्यादा का वक्त बीत चूका है | बताया जाता है कि कोरोना संक्रमण से निपटने में जुटी राज्य सरकार और उसके अफसरों के पास कई ऐसे ठेकेदारों और सप्लायरों ने डेरा डाला हुआ है , जो अपने फायदे के लिए कोई भी घातक और घटिया वास्तु जनहित में खपाने की योग्यता रखते है | सूत्र बता रहे है कि इस घातक केमिकल की सप्लाई योजना रायपुर की नई राजधानी मार्ग पर स्थित होटल “शर्मनाक” में तैयार की गई थी | 

सांकेतिक तस्वीर 

यह भी बताया जा रहा है कि होटल-कैटरिंग (खाना बनाने और खिलाने) में दक्षता रखने वाला शख्स संक्रमण के इस काल में सेनेटाइजेशन एक्सपर्ट बनकर उभरा है | इसके पूर्व इस शख्स ने माइनिंग फंड से बागवानी का ऐसा बंठाधार किया था कि राज्य के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को हॉर्टिकल्चर विभाग में फर्जी भुगतान को लेकर FIR दर्ज कराने के निर्देश देने पड़े थे | बहरहाल यह देखना होगा कि इस तथ्यपरख खबर पर राज्य सरकार संज्ञान लेकर लोगों की जोखिम में नजर आती जान बचाती है या फिर इस खबर पर फेक न्यूज़ की मुहर लगाती है |