कोरोना काल में लाखो बच्चे हो गए अनाथ,अब मासूमों पर ओमीक्रान का कहर,9 माह में करीब डेढ़ लाख बच्चों के सिर से उठा मां-बाप का साया,एनसीपीसीआर की चौकाने वाली रिपोर्ट,लोगों की आंखे नम…

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नई दिल्ली:- कोरोना काल में बड़े बूढे ही नहीं बल्कि संक्रमण की चपेट में बच्चे भी आए हैं। उनपर दोहरी मार पडी है। एक तो कोरोना ने उनके सिर से माँ बाप का साया छीन लिया तो दूसरी ओर जीवन यापन की समस्या से उन्हें दो चार होना पड़ रहा है। कई बच्चे तो आजीविका के लिए पढ़ाई लिखाई छोड़ मेहनत मजदूरी कर रहे हैं। अब बच्चों पर ओमीक्रांन का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे समय प्रभावित बच्चों की सहायता के लिए समाज को आगे आना चाहिए।राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट जब सुप्रीम कोर्ट में पेश हुई तो उसे पढ़कर कई लोगों की आखे नम हो गई। रिपोर्ट में जो आंकड़े पेश किए गए हैं, वे वाकई चौकाने वाले है।

कोरोना और अन्य कारणों से बीते साल अप्रैल से अब तक 1.47 लाख से अधिक बच्चों ने अपने मां या पिता और कुछ ने दोनों को खो दिया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक़ एक अप्रैल, 2020 से अब तक कुल 1,47,492 बच्चों ने कोविड-19 और अन्य कारणों से अपने माता या पिता में से किसी एक या दोनों को खो दिया है। कोविड-19 महामारी के दौरान माता-पिता को खो चुके बच्चों की देखभाल और सुरक्षा को लेकर आयोग ने स्वत: संज्ञान लेकर ये आंकड़े इकठ्ठा किए हैं। मामले में एनसीपीसीआर ने कहा कि इसके आंकड़े राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपने ‘बाल स्वराज पोर्टल- कोविड केयर’ पर 11 जनवरी तक अपलोड किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं।

इस अवधि में 10,094 बच्चे अनाथ हुए हैं। उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता स्वरूपमा चतुर्वेदी के माध्यम से दायर हलफनामे में बताया गया है कि 11 जनवरी तक अपलोड किए गए डेटा से पता चलता है कि देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चों की कुल संख्या 1,47,492 हैं। इनमे अनाथ बच्चों की संख्या 10,094 और माता या पिता में से किसी एक को खोने वाले बच्चों की संख्या 1,36,910 है । जबकि परित्यक्त बच्चों की संख्या 488 हैं। इसमें सबसे अधिक 8 से 13 साल आयु वर्ग के बच्चे शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, लिंग के आधार पर 1,47,492 बच्चों में से 76,508 लड़के, 70,980 लड़कियां और चार ट्रांसजेंडर शामिल है।एनसीपीसीआर के हलफनामे में कहा गया है कि कुल बच्चों में से सबसे अधिक 59,010 बच्चे आठ से 13 साल आयु वर्ग के हैं। जबकि दूसरे स्थान पर चार से सात वर्ष के बच्चे हैं, जिनकी कुल संख्या 26,080 है।इन आंकडों में 14 से 15 साल के बच्चों की कुल संख्या 22,763 और 16 से 18 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों की कुल संख्या 22,626 है।

बाल संरक्षण आयोग ने बच्चों के आश्रय की वर्तमान स्थिति की भी जानकारी कोर्ट को दी है।इसमें बताया गया है कि अधिकतम बच्चे (1,25,205) माता या पिता में से किसी एक के साथ हैं, 11,272 बच्चे परिवार के सदस्यों के साथ। जबकि 8,450 बच्चे अभिभावकों के साथ हैं । हलफनामे में कहा गया है कि 1,529 बच्चे बाल गृहों में, 19 खुले आश्रय गृहों में, दो अवलोकन गृहों में, 188 अनाथालयों में, 66 विशेष गोद लेने वाली एजेंसियों में और 39 छात्रावासों में निवासरत हैं।