MGM ट्रस्ट की जांच में जुटे अफसरों को मिलने लगी धमकी , पीड़ित कर्मियों के मुताबिक “प्रशासक” की नियुक्ति के बगैर निष्पक्ष जांच संभव नहीं |

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रायपुर / छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि सेंट्रल इंडिया के सबसे बड़े “मनी लॉंड्रिंग सेंटर” MGM ट्रस्ट की मजिस्ट्रियल जांच शुरू होने के साथ ही जिला प्रशासन के बाबुओ को धमकी चमकी मिलने लगी है | हाल ही में प्रशासन ने निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता के एमजीएम ट्रस्ट की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिये थे | कथित “मनी लॉंड्रिंग सेंटर” एमजीएम ट्रस्ट की जांच का जिम्मा सरकार ने एसडीएम संदीप अग्रवाल को सौंपा है | संदीप अग्रवाल अपने पिछले कार्यकाल में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के OSD के रूप में कार्यरत थे | लिहाजा MGM ट्रस्ट के कई पदाधिकारी उनसे करीबी ताल्लुकात का हवाला देकर जांच से जुड़े सरकारी कर्मचारियों को देख लेने की धमकी दे रहे है | इसमें खुद आरोपी मुकेश गुप्ता भी शामिल है |  

इस ट्रस्ट ने देश के कई राज्यों के कारोबारियों की ब्लैकमनी को व्हाइट मनी में ना केवल तब्दील किया है , बल्कि उन्हें आयकर की धारा 80 A के तहत छूट भी प्रदान की है | MGM ट्रस्ट को राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी लगभग तीन करोड़ रूपये सौंपे थे | यह सरकारी धन इस ट्रस्ट को देने का मकसद सवालों के घेरे में है |  

 छत्तीसगढ़ कैडर के कुख्यात और निलंबित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता के खिलाफ चल रही जांच में सरकार को मिकी मेमोरियल ट्रस्ट में कई गंभीर खामियां मिली थी | आरोपी मुकेश गुप्ता की दिवंगत पत्नी के नाम पर चल रहे ट्रस्ट मिकी मेमोरियल ट्रस्ट को लेकर पंजीयक कार्यालय ने भी गंभीर टिप्पणी की थी | दरअसल इस ट्रस्ट के गठन के बाद से कभी भी प्रशासन को इसकी गतिविधियों का कोई वैधानिक ब्योरा नहीं सौंपा गया था | जिला प्रशासन के अफसरों ने जब भी आरोपी मुकेश गुप्ता या फिर उसके सहयोगियों से इस ट्रस्ट के आय व्यय का ब्योरा मांगा , उन्हें मुंह की खानी पड़ी | बताया जाता है कि आरोपी ने उन अफसरों को EOW में लपेटने की धमकी तक दे डाली थी | लिहाजा तत्कालीन अफसरों ने इस ट्रस्ट की अवैधानिक गतिविधियों पर से अपनी नजरे फेर ली थी | लेकिन कांग्रेस सरकार के गठन के बाद से इस ट्रस्ट की नाक में नकेल डालने के लिए क़ानूनी कार्रवाई शुरू की गई है |    

पंजीयक सार्वजनिक न्यास रायपुर ने MGM ट्रस्ट के प्रबंधक को नोटिस भेजकर समस्त चल अचल संपत्तियां के क्रय विक्रय, दान , वसीयत के दस्तावेज और ट्रस्ट का पूर्ण विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है | नोटिस में आयकर रिटर्नस एवं मंथली स्टेटमेंट, आय-व्यय का लेखा-जोखा, बैंक खातों के अलावा सभी ट्रस्टी एवं लोक न्यास से संबंधित सभी व्यक्तियों के विवरण, प्रस्तुत करने के निर्देश दिये है | इस ट्रस्ट की संदेहास्पद आर्थिक स्थिति उस समय सामने आई जब एक प्राथमिक जांच में ट्रस्ट के एक ही बैंक में 97 खातों का भी पता चला था | बताया जाता है कि ट्रस्ट की आढ़ में आरोपी मुकेश गुप्ता बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी खपाने का काम भी किया करता था | यही नहीं अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उसने कई लोगों से रिश्वत की रकम बतौर चेक के जरिये दान स्वरुप ली थी | दान देने वालों में कई सफेदपोश अपराधी और कारोबारी शामिल है | 

उधर MGM ट्रस्ट के खिलाफ जांच शुरू होते ही ऐसे कई चार्टड एकाउंटेंट सतर्क हो गए है जो  ब्लैकमनी को व्हाइट मनी में तब्दील करने के काम में जुटे थे | इनकी संख्या डेढ़ दर्जन के लगभग बताई जा रही है | यह भी तथ्य सामने आया है कि MGM ट्रस्ट के कर्ता धर्ता जांच में सहयोग करने के बजाये जांच अधिकारियों को पहले तो लालच देने और उनके अनुसार नहीं कार्य करने पर देख लेने की धमकी दे रहे है | लिहाजा नाम ना जाहिर करने की शर्त पर जांच से जुड़े दो  पीड़ित कर्मचारियों ने अपनी  आपबीती हमारे संवाददाता को बताई है | उन्होंने यह भी कहा कि MGM ट्रस्ट में तत्काल “रिसीवर” की नियुक्ति की जानी चाहिए | वर्ना सबूतों के साथ छेड़छाड़ जारी रहेगा |  इन कर्मियों ने बताया कि ट्रस्ट के दफ्तर से कई कंप्यूटर और जांच से जुडी महत्वपूर्ण सामाग्री गायब किये जाने की सूचना उन्हें प्राप्त हुई है | उनका मानना है कि  “प्रशासक” की नियुक्ति के बाद ही निष्पक्ष जांच संभव हो सकेगी | 

गौरतलब है कि MGM ट्रस्ट में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई नामी गिरामी और प्रभावशील लोग जुड़े है | इनमे से ज्यादातर लोग कई अवैधानिक धंधों में लिप्त है | इन लोगो की ऊंची पहुँच और रुतबे के चलते जांच में शामिल कर्मचारी डर-डरकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे है | जांच के बिंदुओं को लेकर MGM ट्रस्ट के कर्ता धर्ता सरकारी कर्मचारियों के निर्देशों की पूरी तरह से अवहेलना कर रहे है | ऐसे में कर्मचारियों को लग रहा है कि बगैर प्रशासक की मौजूदगी के निष्पक्ष जांच संभव नहीं |