
दिल्ली /रायपुर : किस्सा कुर्सी का ? सदियों से सुर्ख़ियों में रहा है, इतिहास में दर्ज है कि राजपाठ के लिए रिश्तों का क़त्ल सदियों पुरानी परम्पराओं का आपराधिक हिस्सा है | वक्त के साथ -साथ सल्तनतें भी बदलती रही | लेकिन कुर्सी के लिए अपनों को बली का बकरा बनाने वाले हुक्मरानों की फेहरिस्त भी लम्बी होती चली गई | पहले राजशाही और फिर लोकशाही में कभी राजा का दांव चला, वो महाराजा बन गए | वो दौर भी आया जब राजा रंक हो गए और रंक ने राजशाही के साथ लोकसत्ता का सुख भोगा | कुर्सी के लिए कुछ भी कर गुजरने की राजलिप्सा पूर्ण परंपरा आज भी गाहे -बगाहे कई इलाको में देखने मिलती है | इस परंपरा से छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं रहा | इससे पहले की उस इलाके का रुख करे, जहाँ प्रदेश में लोकतंत्र के औरंगजेब ने इस आपराधिक कुकृत्य की नींव रखी थी | उससे पहले एक नजर उस बादशाह के लिए जिसने सत्ता पाने के लिए अपनों की बलि चढ़ा दी | कौन भूला है, औरंग जेब को ? इतिहास के पन्नों में उसकी क्रूरता के कई किस्से -कहानियां दर्ज है |

औरंगजेब ने सत्ता पाने के लिए अपने पिता शाहजहां को जेल में कैद करा दिया था | इसकी परिणीति आज के लोकतंत्र में बखूबी नजर आ रही है | बादशाह बनने के लिए औरंगजेब ने एक और दिल दहला देने वाला कदम उठाया था | पिता को ठिकाने लगाने के बाद औरंगजेब ने फिर नया दांव खेला था | उसने पहले अपने बड़े भाई दाराशिकोह की हत्या करवाई, और फिर दूसरे भाई मुराद को भी विष देकर मरवा दिया ताकि कुर्सी के दावेदारों का ही सफाया हो जाए | उसकी सत्ता की ”भूख” फिर भी ख़त्म नहीं हुई | आख़िरकार औरंगजेब के साथ भी वही हुआ, जो उसने अपने पिता और भाई के साथ किया था |

औरंगजेब का पूरा नाम अबुल मुजफ्फर मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब था। उसका जन्म 23 अगस्त 1960 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पाटन में नहीं बल्कि 4 नवंबर सन् 1618 को गुजरात के दोहद में हुआ था।औरंगजेब ने कुर्सी पर जमे रहने और अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए आम जनता पर अनगिनत जुल्म किए थे | छत्तीसगढ़ में भी यह कहानी हालिया दोहराई गई | भारत के इतिहास में दर्ज ऐसी हजारों घटनाएं दर्ज है, जिनसे पता चलता है कि क्रूर मुगल शासक औरंगजेब की तर्ज पर कई राजनेताओं ने भी अपने कदम आगे बढ़ाये थे। इतिहासकारों के मुताबिक औरंगजेब ने वर्ष 2018 से लेकर 2023 तक छत्तीसगढ़ की ढाई करोड़ की आबादी पर नहीं बल्कि वर्ष 1658 से 1707 तक भारत के 15 करोड़ लोगों पर करीब 49 साल तक शासन किया था | इस दौर में उसने कई मंदिरों को तोड़वाया और हिन्दुओं पर तुगलकी टैक्स लगवाए थे |

इतिहासकार तस्दीक करते है कि लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार छत्तीसगढ़ जैसे किसी गरीब प्रदेश में हजारो करोड़ का घोटाला डंके की चोट पर किया गया था | वे यह भी बताते है कि इस प्रदेश की गरीबी दूर करने के बजाय औरंगजेब ने पहले खुद को मालामाल किया फिर गिरोह में शामिल आर्थिक रूप से अति -पिछड़े सरकारी सेवको और कारोबारियों को अमीर बनाने का उपक्रम शुरू कर दिया था | जानकारों के मुताबिक सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ करने के मामले आम होने के बाद छत्तीसगढ़ की आम जनता ने औरंगजेब की सल्तनत ही उखाड़ फेंकी |

आज हम आपको रूबरू करा रहे है, उस खबर से, जिसमे देश की राजनैतिक मुख्यधारा में शामिल एक दल के बैनर तले आम जनता के अरमानो पर पानी फेर दिया गया | प्रदेश में सरकारी संसाधनों की सबसे बड़ी लूटपाट की वारदात को उस नेता ने ही अंजाम दिया, जिसे आम जनता ने कभी कका और कभी दाऊ जैसे सम्मानजनक ओहदे से नवाज़ा था | मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद छत्तीसगढ़ के औरंगजेब के हाथो में मानो बन्दर के हाथों में उस्तुरा जैसा हथियार लग गया हो | कांग्रेस की राजनीति में भस्मासूर साबित हुए औरंगजेब की क्रूरता और घोटालेबाजी की कहानी गाँव -गाँव में सुनाई पड़ रही है |

छत्तीसगढ़ की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले जानकार इस कथित कुख्यात नेता के के बारे में बताते हैं, उसने भी औरंगजेब की तर्ज पर सत्ता की मलाई खाने और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जमे रहने के लिए कई तिकड़में की थी | भ्रष्टाचार और घोटालो की लम्बी फेहरिस्त सामने आने के बाद इस औरंगजेब ने अपने पिता को जेल दाखिल कराने में जरा भी चूक नहीं की थी | उसने अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी को बचाने के लिए जनता, पत्रकारों और अपने विरोधियों पर जमकर जुल्म ढाये थे | सत्ता की हनक में करीबी परिजनों, कारोबारियों और सरकारी सेवको तक की बली देने में गुरेज नहीं किया था |

जी हाँ, हम बात कर रहे है, प्रदेश की राजनीति के उस अतिमहत्वाकांक्षी – चतुर खिलाडी की, जिसने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चिपके रहने के लिए पहले ढाई -ढाई साल के कार्यकाल के फार्मूले को ख़ारिज कर दिया था | इस बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी पर मंडराते संकट को देखते हुए ठीक औरंगजेब से प्रेरणा लेते हुए अपने पिता को ही रायपुर सेंट्रल जेल में दाखिल करा दिया था | मामला दिलचस्प बताया जाता है, दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री के पिता ने उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत अन्य इलाको में ब्राम्हण समाज के प्रति आग ऊगली थी | इस दौर में यूपी में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज होते ही पूर्व मुख्यमंत्री के आपत्तिजनक बयानों से राजनीति गरमा गई थी | देश -प्रदेश में बहुसंख्यक ब्राम्हण समुदाय कांग्रेस शासित तत्कालीन मुख्यमंत्री के पिता की जुबान से निकले वाक्यों से आहत था | समाज में भेद -भाव निर्मित करने से जुड़े प्रकरण में पिता के खिलाफ लखनऊ समेत उत्तरप्रदेश के किसी भी थाने में FIR तक दर्ज नहीं हुई थी | लेकिन सत्ता के दलदल में फंसे तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कुर्सी खिसक जाने के भय से लखनऊ से कोसों दूर रायपुर में अचानक FIR दर्ज कर अपने पिता को ही जेल दाखिल कराने में देरी नहीं की थी |

ऐसे गिरफ्तार किये गए नंद कुमार बघेल, एक नजर : स्वर्गीय नंद कुमार बघेल इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनका नाम इतिहास के उन पन्नो पर दर्ज बताया जाता है जिन्हे उनके ही मुख्यमंत्री पुत्र ने जेल दाखिल कराया था | छत्तीसगढ़ की राजनीति में 6 और 7 सितम्बर 2021 का दिन एक मुख्यमंत्री के पिता के लिए जीवन का वो यादगार पल बताया जाता है, जब उत्तरप्रदेश के बजाय उनके खिलाफ रायपुर के डीडी नगर थाने में FIR दर्ज की गई थी | पूर्व मुख्यमंत्री भू -पे बघेल के पिता नंद कुमार बघेल को उत्तरप्रदेश पुलिस के बजाय छत्तीसगढ़ पुलिस ने अचानक आगरा से गिरफ्तार कर लिया था। रायपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पेश किये गए नंद कुमार बघेल इस गिरफ़्तारी को लेकर काफी असहज और विचलित नजर आये थे | उन्होंने जमानत लेने और वकील रखने से तक मना कर दिया था। उनके मुताबिक ब्राह्मणों को लेकर विवादित बयान लखनऊ में दिया गया लेकिन FIR और गिरफ़्तारी रायपुर में हैरान करने वाली थी | हालांकि सुनवाई के बाद स्थानीय अदालत ने स्वर्गीय नंद कुमार बघेल को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। उधर जेल में पूर्व मुख्यमंत्री के पिता के दिन ठाठ – बाठ के साथ गुजरते रहे |

वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव तस्दीक करते है कि रायपुर सेंट्रल जेल में स्वर्गीय नंद कुमार बघेल की सुख -सुविधा का ख़ासा ध्यान रखा गया था | उनकी तीमारदारी के लिए जेल स्टाफ को झोंक दिया गया था | इधर पिता को जेल में कैद कर तत्कालीन मुख्यमंत्री पुत्र ने अपनी शान में जमकर कशीदे गढ़े गए | भू -पे ने दावा किया कि, मुझे सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से यह ज्ञात हुआ है कि नंदकुमार बघेल पर इसलिए कार्रवाई नहीं होगी, क्योंकि वे मुख्यमंत्री के पिता हैं। उन्होंने कहा, उनकी सरकार में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है फिर चाहे वो मुख्यमंत्री के पिता ही क्यों न हो। भू -पे के इस बयान के बाद व्यापक प्रतिक्रिया भी सामने आई थी | अपराध लखनऊ में घटित हुआ, लेकिन रायपुर में दर्ज FIR गौरतलब बताई जाने लगी | सीनियर बघेल ने लखनऊ में कहा था- ब्राह्मण विदेशी हैं, इन्हें बाहर भगाना है | उनके खिलाफ रायपुर के डीडी नगर थाने में आईपीसी की धारा 505- और धारा 153 ए के तहत विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने सामाजिक तनाव बढ़ाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। सर्व ब्राह्मण समाज की एक शिकायत के बाद ये केस दर्ज किया गया था।

पूर्व मुख्यमंत्री का नया शिगूफा : मेरे परिवार को जिसने भी जेल भेजा, उसकी सरकार गई…
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री का लूटमार फार्मूला उन पर ही भारी पड़ गया है | मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पुत्र चैतन्य बघेल जेल की हवा खा रहे है | जबकि तिलमिलाए भू -पे ने दावा किया है कि उनके परिवार को अब तक जिसने भी जेल भेजा उसकी सरकार गिरी है। बकौल भू -पे बघेल,पहले अजीत जोगी ने मेरे पिता को जेल भेजा उनकी सरकार गई। रमन सिंह ने मुझे जेल भेजा उनकी भी सरकार गई। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरे बेटे को जेल भेजा है।
छत्तीसगढ़ की माटी में बसे हरेली त्यौहार के मौके पर मीडिया से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री ने जमकर भड़ास निकाली, इस बार भी अपनी पदलोलुपता झलकाते हुए उन्होंने कहा कि त्योहार तो साल में एक बार आता है, चैतन्य रहता तो और अच्छा लगता। बिना नोटिस दिए उसे जन्मदिन के दिन ईडी ने उठाया। लेकिन केवल चैतन्य मेरा बेटा नहीं है। छत्तीसगढ़ की पूरी जनता मेरा परिवार है। उनका आरोप है कि रणनीतिक ढंग से छत्तीसगढ़ के नेतृत्व को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने इस बयान को जारी करते समय अपनी कथनी और करनी पर चुप्पी साध ली | उन्होंने 5 सालों तक के घोटालो पर जरा भी टिप्पणी नहीं की | उधर बघेल को आईना दिखाने में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने भी देरी नहीं दिखाई | उन्होंने साफ़ किया कि भ्रष्टाचारी का कोर्ट ही सही फैसला करेगा ? विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि सरकार आती-जाती रहती है। पूर्व मुख्यमंत्री के बिगड़े बोल पर तंज कसते हुए रमन सिंह ने कहा कि किसी के श्राप देने से कुछ नहीं होता है ? सत्ता की चाबी जनता के हाथ में होती है, अब जिसने भ्रष्टाचार किया है, उसका न्यायालय सही-सही फैसला करेगा। इसलिए इंतजार करना चाहिए। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए। हरेली पर्व की मान मर्यादा पर टिप्पणी करते हुए रमन सिंह ने कहा कि बघेल ने गौठानों तक की हालत खराब कर डाली थी,इन मामलों में उनको बोलने का कोई हक नहीं है।

छत्तीसगढ़ में आकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त कांग्रेस की तत्कालीन भू -पे सरकार के काले कारनामें प्रदेश की आम जनता की जुबान पर है | राज्य के औरंगजेब की असल दास्तान देख सुनकर लोग दांतो तले ऊँगली दबा रहे है | औरंगजेब की तर्ज पर क्रियाशील इस क्रूर मुख्यमंत्री को प्रदेश की आम जनता ने वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में सत्ता से बेदखल कर दिया था |

राजनैतिक गलियारों में चर्चा आम है कि अब इस कुख्यात नेता ने वर्ष 2029 में दोबारा सत्ता पर काबिज होने के लिए राजनीति के बाजार में नया पैतरा फेंका है | इस बार उसने अपने दिवंगत पिता और जेल की हवा खा रहे पुत्र की बानगी को एक बार फिर राजनैतिक हथियार के रूप में फेंका है | बीजेपी और केंद्र सरकार पर पूर्व मुख्यमंत्री के हमले हताशा से भरे बताए जा रहे है | पूर्व मुख्यमंत्री पुत्र की गिरफ़्तारी के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जोरों पर है |