News Today Cg: मिलिए, छत्तीसगढ़ के “अतीक और अहमद” से, वर्दी में अपराधों की लम्बी फेहरिस्त, चर्चा में

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रायपुर / दिल्ली : छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के संवैधानिक अधिकारों का उपयोग “माफिया राज” की स्थापना के संकल्प के लिए उपयोग में आने से प्रदेश का जन जीवन अस्त व्यस्त है,ED के दफ्तर में हकीकत बयां करने वालो को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के लठैतो से दो-चार होना पड़ रहा है। बताया जाता है कि ED में दर्ज कराए गए बयानों की तस्दीक के बाद कारोबारियों और उद्योगपतियों को,फिर वही बयान बदलवाने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस के डंडे खाने पड़ रहे है,उनके खिलाफ अचानक फर्जी FIR दर्ज करवाने की सरकारी होड़ से लोगो की चिंता बढ़ गई है।

छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी जिस तर्ज पर सेवा का धंधा कर रहे है,उससे भारत सरकार की छवि धूमिल हो रही है। देश के गृह मंत्री अमित शाह को राजनैतिक दौरों के बजाए छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक हालातो का जायजा लेने के लिए अपना वक्त गुजरना होगा। यह राज्य अपनी संवैधानिक मान-मर्यादाओं को कायम रखने में भी नाकाम हो रहा है।

लोक कल्याणकारी राज्य के नाम पर भय आतंक लूटपाट साजिशो और हत्याओं की जवाबदारी IAS-IPS अधिकारियों के हाथों में है। न्यायपालिका में भी उनकी सेंधमारी से बेगुनाह कानून के हत्थे चढ़ रहे है,जबकि गुनाहगारो का गोरखधंधा उछाल पर है। ऐसे में भारतीय प्रशासनिक सेवा का हाल-चाल लेने का मामला गृह मंत्री अमित शाह की नैतिक जवाबदारियों से जोड़ कर देखा जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि वे इस राज्य की भी सुध लेंगे। 

राज्य में प्रवर्तन निदेशालय लेव्ही, अवैध वसूली, लेन-देन और मनी लॉन्ड्रिंग की हकीकत बयां करने वाले गवाहों को जैसे ही उनके घर वापिस भेज रहा है,वैसे ही उनके ठिकानो पर कभी छत्तीसगढ़ पुलिस तो कभी स्थानीय कलेक्टर की अगुवाई में छापेमारी और नए मामले दर्ज करने का सिलसिला जोरो पर है,मकसद साफ़ है,ED में दर्ज कराए गए बयान वापिस ले। इसके लिए छत्तीसगढ़ शासन की सुविधा चर्चा में है|

ED के खिलाफ मारपीट का आरोप लगाकर अदालतों में याचिकाएं दायर करवाई जा रही है। जबकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई बार ED पर मारपीट के आरोप लगा चुके है,उन्होंने जोर देकर यह भी ऐलान किया था कि शिकायत मिलने पर ED के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी। लेकिन 3 महीने से ज्यादा वक्त बीत गया,किसी एक फरियादी की शिकायत पर FIR तक दर्ज नहीं की गई। बल्कि सीधे तौर पर उन्हें अदालत का रास्ता दिखाया जा रहा है। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यप्रणाली और अखिल भारतीय सेवाओं के ऐसे अधिकारी चर्चा में है,जो केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्यवाही बाधित करने के लिए गैर कानूनी फरमानो को अमलीजामा पहना रहे है। बताते है कि दर्जनों जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को उन लोगो को निशाना बनाने के निर्देश दिए गए है,जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके परिवार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते है।

सूत्रों के मुताबिक ED की कार्यवाही को विवादित बनाने की मुहिम शेख आरिफ ने अपने कंधो पर ली है। उन्होंने CM को वाकिफ कराया है कि ED में उनकी पुख्ता सेटिंग है,इसके बाद इस अधिकारी के इशारे पर ED के खिलाफ थानो में फर्जी शिकायतकर्ताओं की भीड़ मची है,अस्पतालों में फर्जी पीड़ित भेजकर उनका डॉक्टरी मुलाहिजा तैयार करने की रणनीति पर कार्य किया जा रहा है,ताकि कोर्ट कहचरी में उसका उपयोग किया जा सके।

सूत्र बताते है कि सेक्स CD कांड में CBI को दबाव में लाने के लिए जिस तर्ज पर रिंकू खनूजा हत्याकांड को अंजाम दिया गया था,उसी तर्ज पर बताते है कि ED पर दबाव डालने के लिए अतीक अहमद जुटे हुए है। उनकी मदद के लिए बघेलखण्ड के न्यायाधीशों को भी मैदान में उतारा गया है,भारत की संवैधानिक अदालतों को प्रभावित करने के लिए भी आर्थिक प्रलोभनों के प्रयास भी चर्चा में है। माननीय अदालत को ऐसे जजों की खबर लेनी होगी, जो सरेराह न्याय का सौदा कर रहे है।   

सूत्र बताते है कि ED की कार्यवाही को विवादित बनाने की मुहिम मामले में आरिफ शेख द्वारा मुंबई और पुणे में कई उद्योगपतियों को ED के गलियारे में भेजे जाने की चर्चा जोरो पर है। वही टुटेजा के नदारद होने के बाद गैंग का वैकल्पिक कार्यभार आनंद छाबड़ा के हाथो में सौंपे जाने का मामला भी तूल पकड़ रहा है। बताते है कि अवैध वसूली के बटवारे को लेकर टुटेजा और सौम्या के बीच जारी शीत युद्ध अब गैंगवार में तब्दील हो चुका है।

राज्य से लगभग 20 हजार करोड़ की सालाना वसूली को लेकर दोनों के बीच संघर्ष के हालात है। बताते है कि संवैधानिक अधिकारों को दर किनार कर मुख्यमंत्री का पद ठेके पर सौंप दिया गया है,इसका संचालन सुपर सीएम के हाथो में है। इन दिनों सुपर सीएम सौम्या चौरसिया जेल की हवा खा रही है,जबकि बताते है कि दुसरा सुपर सीएम टुटेजा गायब है,मतलब वो जेल के आउटर में है। 

बताते है कि साहब के हाथो में अतीक अहमद का हाथ आ जाने से अपराधों का डोज़ डबल हो गया है। लिहाजा कोल खनन परिवहन घोटाला,आबकारी घोटाला, छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी (चिप्स),खदान आवंटन घोटाला और DMF फंड में अरबो का भ्रष्टाचार की तस्दीक करने वालो की जान जोखिम में है,छत्तीसगढ़ पुलिस के वर्दीधारी अपराधियों से बचने के लिए पीड़ित यहां-वहां हाथ-पाँव मारते नजर आ रहे है। 

बताते है कि रायपुर सेन्ट्रल जेल में बंद कुख्यात लेडी डॉन सौम्या चौरसिया की नाफरमानी की सजा आज भी मुकर्रर है,लिहाजा इसे अमलीजामा पहनाने की पूरी जवाबदारी 2005 बैच के IPS अधिकारी शेख आरिफ और 2001 बैच के IPS आनंद छाबड़ा के कंधो पर डाल दी गई है। चर्चा है कि दोनों अधिकारीयों की कार्यप्रणाली की किसी राष्ट्रीय एजेंसी अथवा गृह मंत्रालय से जांच कराई जाए तो ये अफसर अपनी पत्नी सहित सौम्या चौरसिया के बेड़े में नजर आएंगे।

बताया जा रहा है कि दोनों ही IPS अधिकारीयों के कारनामो से जन जीवन अस्त व्यस्त है,संवैधानिक पदों की मान मर्यादा तार-तार हो रही है, इन अफसरों की चैट से कई अपराधों और साजिशो की बू आ रही है। यह भी बताया जा रहा है कि दोनों IPS अधिकारियों की पत्नी की कार्यप्रणाली से भी राज्य में भ्रष्टाचार की फसल लहलहा रही है। 

छत्तीसगढ़ में सिर्फ उद्योगपतियों और कारोबारियों की नहीं,बल्कि उन पत्रकारों की जान भी जोखिम में है,जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी आपराधिक टोली के काले कारनामो का खुलासा कर रहे है। प्रदेशभर में दर्जनों पत्रकारों के खिलाफ फर्जी प्रकरण तैयार कर पुलिस उन्हें एकतरफा जेल में ठूंस रही है, शिकायतों की जांच के नाम पर कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पर उन पत्रकारों को मजबूर किया जा रहा है,जो दफ्तर में बैठ कर पाठको के लिए सच्ची खबरें प्रकाशित करने पर जोर देते है। 

बताया जाता है कि मुख्यमंत्री बघेल ने ऐसे पत्रकारों को ठिकाने लगाने की कमान “अतीक अहमद” को सौंपी है। बताया जाता है कि खाकी वर्दीधारी ये दोनों अफसर अतीक अहमद के नक़्शे कदम पर है,असली अतीक अहमद बस इनकी तर्ज पर वर्दी नहीं पहना था। इन दोनों ही अधिकारीयों की कार्यप्रणाली और गैंगस्टर अतीक अहमद की अपराधों की फेहरिस्त में कोई अंतर नजर नहीं आता है। 

छत्तीसगढ़ में हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ की तर्ज पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का शासन लोक तंत्र के हिमायतियों पर भारी पड़ रहा है। मुख्यमंत्री बघेल जनता से इन्साफ का वादा कर उन पर अतीक अहमद के जरिए अपना शिकंजा कस रहे है। पुलिस ही खुद शिकायतकर्ता, गवाह, सबूतों और न्यायाधिशो का चयन कर सिर्फ अदालत की मुहर लगाकर इन्साफ की आवाज़ उठाने वालो का मुँह बंद कराने में जुटी है।

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राज्य में कानून व्यवस्था के बिगड़ते हालात के बीच अतीक अहमद के कदमो पर जनता की निगाहें टिकी हुई है,अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि मौका मिलते ही दोनों फिर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की तैयारी में है। 

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