बाजार विनियमक सेबी की तरफ से सोमवार को सॉफ्टवेयर सेवाओं के लिए भुगतान के संबंध में पर्याप्त खुलासे नहीं करने की वजह से मल्टी एक्सचेंज कॉमोडिटी एक्सचेंड ऑफ इंडिया यानी एमसीएक्स पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. अपने आदेश में सेबी ने इस जुर्माने को 45 दिनों के अंदर भरने के लिए कहा है. एमसीएक्स को ये हर्जाना 63 मून टेक्नोलॉजिज की तरफ से लिए गए सॉफ्टवेयर सर्विसेज के बदले भुगतान के बारे में पर्याप्त ब्यौरा नहीं दिए जाने को लेकर लगाया गया है.
63 मून्स टेक्नोलॉजिज को पहले फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज इंडिया लिमिटेड के तौर पर जाना जाता था. यह मामला ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर अनुबंध के लिए 63 मून्स टेक्नोलॉजीज (पूर्व में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज इंडिया लिमिटेड) को किए गए भुगतान के संबंध में खुलासा चूक से संबंधित है.
एमसीएक्स ने 2003 में 63 मून्स टेक्नोलॉजीज के साथ एक ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कॉन्ट्रैक्ट किया था. उस समय 63 मून्स के ही पास एमसीएक्स का पूर्ण स्वामित्व था. लेकिन साल 2020 में एमसीएक्स ने एक नए ट्रेडिंग मंच पर जाने का फैसला किया और इसका अनुबंध टीसीएस को दिया था.
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समय पर ये मंच नहीं शुरू हो पाने से एमसीएक्स ने 63 मून्स के साथ ही अधिक लागत पर सेवाओं का विस्तार करने का फैसला किया. हालांकि, उसने किए जा रहे उच्च भुगतानों का खुलासा नहीं किया. सेबी ने अपने आदेश में कहा कि तीन तिमाहियों (अक्टूबर 2022-जून 2023) में ये भुगतान कुल 222 करोड़ रुपये है. ये राशि वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी के लाभ से लगभग दोगुनी थी, फिर भी इसका खुलासा जनवरी, 2023 में ही किया गया.
गौरतलब है कि बाजार में सेबी की भूमिका निवेशकों और हितधारकों की रक्षा करना है. इसके साथ ही, भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता रखना भी शेयर बाजार का बड़ा मकसद है. सेबी का गठन 1988 में किया गया था जबकि इसे 1992 में पावर दिया गया था.