रायपुर / दिल्ली : – छत्तीसगढ़ में DMF घोटाले के भीतर बड़े पैमाने पर GST चोरी का मामला सामने आया है। कतिपय अधिकारियों से लेकर सप्लायर तक धड़ा – धड़ जमा बिलों का सुनियोजित भुगतान कर रहे थे। इस कागजी घोड़े दौड़ाने में बड़ी GST चोरी भी अंजाम दी जा रही थी। सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ करने वाले इस गैंग ने बड़ी सफाई से 1200 करोड़ से ज्यादा की रकम की अफरा – तफरी कर दी। लेकिन कई प्रकरणों में बगैर GST पैड माल के सामने आने से साफ़ हो रहा है कि पूरा खेल सिर्फ कागजो में ही चल रहा था। जाँच एजेंसियों ने जब बिलों और उसके भुगतान के तौर – तरीकों पर नजरे दौड़ाई तो हैरान करने वाली जानकारियां सामने आई है।

बताया जाता है कि DMF की रकम का एक हिस्सा हॉर्टिकल्चर योजनाओं के नाम पर खर्च कर दिया गया। जबकि बिलों और उनके भुगतान के अनुरूप धरातल पर कोई भी वस्तु अस्तित्व में नहीं है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि सरकारी तिजोरी लूटने के इस कुचक्र में लगभग आधा दर्जन IAS अधिकारी शामिल है। हॉर्टिकल्चर योजनाओं के क्रियान्वयन के नाम पर लगभग एक हजार करोड़ फूंक दिए गए थे। जबकि इन पर उपयोग में आई सामग्री के अनुपात की तुलना में GST का भुगतान ऊंट के मुँह में जीरा बराबर भी नहीं है। सूत्रों के मुताबिक रायपुर, दुर्ग, भिलाई और बिलासपुर में हुई हालिया छापेमारी में ED को बड़ी कामयाबी मिली है।

सूत्रों के मुताबिक DMF घोटाले को अंजाम देने के लिए हॉर्टिकल्चर योजनाएं भी आग में घी की तर्ज पर उपयोग में लाइ जा रही थी। बीज निगम समेत अन्य संस्थानों में इस रकम को डकारने के लिए सुपर सीएम अनिल टुटेजा ने फूल प्रूफ प्लान तैयार किया था। इसमें शहर के होटल कारोबारी मनदीप सिंह चावला मुख्य रूप से शामिल थे। बतौर सरगना वो अनिल टुटेजा के तमाम दिशा – निर्देशों का पालन सुनिश्चित कर सरकारी तिजोरी पर दिन दहड़े हाथ साफ़ कर रहे थे। टुटेजा का वरदहस्त प्राप्त होने के बाद मनदीप सिंह चावला ने हार्टिकल्चर योजनाओं में डिमांड और सप्लाई के समीकरण में 90 फीसदी तक कमीशन फिक्स कर दिया था। जबकि मात्र 10 फीसदी मौंके पर खर्च किया जाता था। यही नहीं, इस गोरखधंधे में एक वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी माथेरान का काला चिटठा हैरान करने वाला बताया जाता है। सूत्र यह भी तस्दीक कर रहे है कि ED की जाँच में सामने आये तथ्यों से रूबरू होने के बाद सेन्ट्रल और स्टेट GST की विंग भी सक्रीय हो गई है। दरअसल, DMF घोटाले की असली जड़े GST विभाग तक फैली बताई जाती है। अब सप्लायरों के GST बिलों और टैक्स चोरी को लेकर इन विभागों ने भी अपनी पड़ताल शुरू कर दी है।

छत्तीसगढ़ में ED ने डेढ़ दर्जन से ज्यादा ठिकानो पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी में निवेश के पुख्ता दस्तावेजों और कई डिजिटल डिवाइस के एजेंसियों के हाथ लगने की जानकारी सामने आई है। डीएमएफ घोटाले की जांच में जुटी ED ने कृषि कारोबारियों के रायपुर , राजिम, दुर्ग-भिलाई और बिलासपुर में 18 ठिकानों पर मंगलवार को छापेमारी की थी। अब यह टीम मुख्यालय लौट चुकी है। प्रवर्तन निदेशालय को डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (डीएमएफ) घोटाले के पुख्ता सबूत हाथ लगे है। सूत्रों के मुताबिक रायपुर के शंकर नगर स्थित विनय गर्ग, ला विस्टा अमलीडीह निवासी पवन पोद्दार, शांति नगर भिलाई में विवेकानंद कॉलोनी निवासी सीए आदित्य किशन, रायपुर एवं भिलाई-3 वसुंधरा नगर में अन्ना भूमि ग्रीन टेक प्रा.लि. के संचालक शिवकुमार मोदी, राजिम एवं महासमुंद में उगमराज कोठारी का घर और दफ्तरों से कई डिजिटल डिवाइस और सरकारी सप्लाई से जुड़े दस्तावेज जप्त किये गए है।

हालांकि छापेमारी और बरामद सामग्री को लेकर अभी ED की ओर से अभी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। रायपुर समेत अन्य चार शहरों में ईडी की दबिश, पूरी तरह से क़ामयाब बताई जाती है। छापेमारी में जुटी 70 सदस्यीय टीम के बड़े पैमाने पर दस्तावेजों एवं अन्य सामग्री के साथ वापस मुख्यालय लौटने की खबर है। कारोबारियों के मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, बैंक खाते, उसमें हुए ट्रांजेक्शन, चल-अचल संपत्ति और ज्वेलरी की जप्ती की खबर है। इस बीच यह जानकारी भी सामने आई है कि एजेंसियों को पूर्व सुपर CM अनिल टुटेजा उसके पुत्र यश टुटेजा और उनके खास सहयोगी होटल कारोबारी मनदीप सिंह चावला से जुड़े कई बड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल करने में कामयाबी मिली है। जानकारी के मुताबिक कमीशनखोरी और सरकारी रकम की बंदरबाट के लिए कारोबारियों ने पुख्ता नेटवर्क तैयार किया था। इसमें नंबर दो की रकम को पूरी चालाकी के साथ नंबर एक में शो किया जाता था। इसका लेखा -जोखा पेश करने के मामले में आयकर विभाग को भी गुमराह किया जा रहा था।

डीएमएफ एवं हार्टिकल्चर योजनाओं में अफरा – तफरी को लेकर तत्कालीन भू -पे सरकार के कार्यकाल में कारोबारी मनदीप सिंह चावला और अनिल टुटेजा की कई शिकायते की गई थी। इसमें होटल कारोबार से लेकर यश टुटेजा के नाम दर्ज चल – अचल सम्पति और बैंक लोन का हवाला दिया गया था। सूत्र बताते है कि छापेमारी के दौरान जप्त दस्तावेजी सामग्री कई IAS अधिकारियों के गले की फांस बन सकती है। ये अधिकारी बतौर कलेक्टर DMF के रकम आँख मूंदकर अनिल टुटेजा निर्देशित कारोबारियों को आवंटित कर रहे थे। कृषि कारोबारी विनय गर्ग और उनके सहयोगियों द्वारा कोरबा, जांजगीर चांपा सहित कई अन्य जिलों में पेस्टीसाइड, कृषि उपकरण और अन्य कृषि सामग्री सप्लाई की जा रही थी। बताया जाता है कि इसकी आपूर्ति बाजार मूल्य से कई गुना अधिक दरों पर की गई थी। इसमें लेनदेन और कमीशनखोरी का ग्राफ 90 फीसदी के आंकड़े पर बताया जाता है। सूत्रों के मुताबिक मामले की शिकायत पहले कृषि विभाग और फिर ACB -EOW के अलावा ED को भी की गई थी। जानकारी के मुताबिक मोटी रकम के हेर – फेर के लिए कारोबारियों ने हार्टिकल्चर विभाग पर अपना पूरा कब्ज़ा जमा लिया था। DMF से जुड़े प्रस्तावों को हार्टिकल्चर विभाग के जरिये क्रिन्याविन्त किया जाता था। सूत्र यह भी बताते है कि मात्र चंद वर्षो में 1200 करोड़ से ज्यादा की रकम की हेर – फेर की गई थी। इसमें लगभग 900 करोड़ की रकम हार्टिकल्चर विभाग के माध्यम से खर्च किये जाने की जानकारी सामने आई है। फ़िलहाल ED के आधिकारिक प्रेस नोट का इंतजार किया जा रहा है।
