रायपुर : छत्तीसगढ़ में केंद्रीय फंडिंग वाली योजनाओं में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के ढेरों मामलो की जाँच EOW और ACB में सालों से पेंडिंग है। जबकि योजनाओं की प्रगति और बिलों के भुगतान में गड़बड़ी के मामले रोजाना नए – नए मुकाम तय कर रहे है। इन मामलो की जाँच तो दूर उन्हें रफा – दफा किये जाने को लेकर आम जनता हैरत में है। पूरवर्ती बीजेपी शासनकाल में ACB EOW में जिन मामलो की जाँच कर भ्रष्टाचार के आरोपी अफसरों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर वैधानिक कार्यवाही की थी, कांग्रेस के सत्ता में आते ही उन्होंने राहत की साँस ली है।
भ्रष्टाचार के आरोपियों के मामलो के खात्मा प्रकरण भी उसी तर्ज पर कर दिए जाने की खबरे हैरान करने वाली है। कई अफसरों के प्रकरणों का खात्मा जाँच के दायरे में बताया जा रहा है। उनको मिले अभयदान से सरकारी धन की वापसी पर सवालियां निशान लग गया है। बताते है कि पूर्व DGP DM अवस्थी की ACB – EOW में पद स्थापना से पूर्व कई अधिकारियों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की विवेचना आनन – फानन में कर उसका खात्मा कर दिया गया।
अब जाँच के दायरे में सिर्फ छोटी मछलियां है। जबकि मगरमच्छ राहत की सांस ले रहे है। खबर है, जिस तर्ज पर भ्रष्ट अफसरों पर तत्कालीन अधिकारियो ने लगाम कसी थी। दिलचस्प बात यह है कि बगैर ठोस जाँच के ऐसे अफसरों को ACB EOW के अधिकारियो ने अभयदान दे दिया, जिनके आर्थिक अपराधों के सबूत अभी भी विभागों में तरो – ताजा है। भ्रष्टाचार के मामलो का खात्मा भ्रष्टाचार के जरिए ही कर दिए जाने की खबरे आ रही है।
ACB – EOW ने अदालत को बगैर किसी ठोस जाँच के ऐसे प्रकरणों की खात्मा रिपोर्ट भेजी है। इनमे से कई अधिकारियो की खात्मा रिपोर्ट को अदालत ने चुनौती देने के मामले भी सुर्खियों में आ रहे है। ऐसे प्रकरणों को देखकर ACB – EOW की कार्यप्रणाली भी जाँच के दायरे में है। देखिए उस सूची को जिसमे जिम्मेदार अफसरों ने भ्रष्टाचार के आरोपियों की जाँच ही ख़त्म कर दी।
उधर एक ताजा प्रशासनिक सर्जरी में धमतरी, नारायणपुर के कलेक्टरों समेत 15 IAS और 4 IFS अधिकारियों को राज्य सरकार ने इधर से उधर स्थानांतरित किया है। इस सूची में जल जीवन मिशन के डायरेक्टर का अचानक तबादला चर्चा में है। बताते है कि डायरेक्टर साहब ने DMF फंड की तर्ज पर जल जीवन मिशन के फंड का उपयोग किया है। यह फंड पब्लिक मनी के बेजा इस्तेमाल के दायरे में बताया जाता है।
सूत्रों के मुताबिक जल जीवन मिशन के गुणवत्ताविहीन कार्यो और प्रदेश भर में इसके दुरुप्रयोग को लेकर मिली शिकायतों के सामने आने के बाद मिशन डायरेक्टर ने PHE विभाग से खिसकना ही मुनासिब समझा। जानकारी के मुताबिक इस विभाग से रातों – रात नए विभाग में स्थानांतरित होने वाले डायरेक्टर की कार्यप्रणाली ही जाँच के दायरे में है। डायरेक्टर साहब का सत्ता से करीबी नाता बताया जाता है।
दरअसल ये तबादला ऐसे समय हुआ है, जब केंद्रीय एजेंसिया पब्लिक मनी के बेजा इस्तेमाल और भ्रष्टाचार को लेकर जांच में जुटी है। डायरेक्टर साहब साल भर भी इस पद पर पूरा नहीं कर पाए। उनका स्वयं की रूचि लेकर जल जीवन मिशन से स्थानांतरित होना चर्चा में है | सूत्र बताते है कि इस योजना की प्रगति, मैनेज हुए टेंडर / निविदा और भुगतान के तौर – तरीके जांच के दायरे में है। सूत्रों का यह भी दावा है कि भविष्य में IT – ED की संभावित कार्यवाही से बचने के लिए प्रशासनिक हलकों में गहमा – गहमी है। कई अफसर अब गैरकानूनी कार्यो से बचने के लिए विवाद मुक्त पदों की ओर अपने कदम बढ़ा रहे है। वे बगैर दबाव और नियमानुसार कार्यो के लिए सुरक्षित वातावरण की तलाश में है।
जल जीवन मिशन के डायरेक्टर टोपेश्वर वर्मा को राज्य सरकार ने जल जीवन मिशन के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त करते हुए सचिव तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग की जिम्मेदारी दी है। बताते है कि वर्मा खुशी – ख़ुशी नई कुर्सी संभालेंगे। उधर उनके स्थांतरण के बाद विभाग में कार्यरत कई ठेकेदारों ने वर्मा के कार्यकाल की जाँच की मांग की है। ठेकेदारों के मुताबिक वर्मा की कार्यप्रणाली को लेकर वे कई शिकायते राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों के समक्ष कर चुके है। PHE ठेकेदार एसोसिएशन के वीरेश शुक्ला ने मुख्यमंत्री बघेल से टोपेश्वर वर्मा की निष्पक्ष जांच की मांग की है।