क्रिकेट जगत में महेंद्र सिंह धोनी ने पूरे किए 15 साल , फैंस को वापसी का इंतजार | 

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स्पोर्ट्स डेस्क / भारत को दो-दो वर्ल्ड कप जिताने वाले पूर्व कप्तान और अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट में 15 साल पूरे कर लिये हैं | वर्ल्ड क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी इकलौते ऐसे कप्तान हैं, जिन्होंने आईसीसी की तीन बड़ी ट्रॉफी पर कब्जा जमाया है | धोनी की कप्तानी में भारत आईसीसी वर्ल्ड टी-20 (2007), क्रिकेट वर्ल्ड कप (2011) और आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी (2013) का खिताब जीत चुका है |  इसके अलावा भारत 2009 में पहली बार टेस्ट में नंबर एक बना था | 

23 दिसंबर यानी वह दिन जब महेंद्र सिंह धोनी ने पहली बार इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा था। वह मौका जब शुरुआत हुई थी क्रिकेट के नए युग की। आज से 15 साल पहले यानी 2004 के दौरान किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कंधे तक लंबे बालों वाला यह नौजवान एक दिन भारतीय क्रिकेट की दशा और दिशा दोनों बदल देगा। बांग्लादेश के खिलाफ तीन मैच की वन-डे सीरीज के पहले मुकाबले में रांची जैसे छोटे शहर के इस विकेटकीपर बल्लेबाज को प्लेइंग इलेवन में खेलने का मौका दिया। हालांकि खुद माही कभी इस डेब्यू को याद नहीं करना चाहेंगे।

बिना खाता खोले अपनी पहली ही गेंद पर वह रन आउट जो हो जाते हैं, लेकिन वह कहते हैं न कि हर बड़ी कामयाबी की शुरुआत एक छोटी गलती के साथ होती है। आज रांची का यह राजकुमार आईसीसी के तीन सबसे बड़े इवेंट पर कब्जा जमाने वाला एकमात्र कप्तान है। धोनी ने जो क्रिकेट जगत में यश और सम्मान कमाया है वो शायद ही किसी और खिलाड़ी या कप्तान को नसीब हुआ होगा। आज खेल प्रेमियों और खासकर उनके चाहने वालों के लिए बहुत बड़ा दिन है और पूरे देश में उनके प्रशंसक जमकर जश्न मना रहे हैं। सोशल मीडिया पर तो उनके लिए सवेरे से बधाइयों का तांता लगा हुआ है।

धोनी पहले ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने आईसीसी के तीन सबसे बड़े इवेंट पर कब्जा जमाया है। 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप को कौन भूल सकता है। पहली बार कप्तानी कर रहे धोनी ने न सिर्फ अपनी बल्लेबाजी से टीम को शिखर तक पहुंचाया बल्कि कप्तानी का ऐसा नमूना पेश किया की, जिसका उदाहरण आज भी बड़े-बड़े मैनेजमेंट स्कूल के कोर्स में पढ़ाया जाता है। पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए वर्ल्ड टी-20 के फाइनल में जिस भरोसे के साथ उन्होंने आखिरी ओवर जोगिन्दर शर्मा को पकड़ाया था। उसी कप्तान के भरोसे को जोगिन्दर ने जीत में तब्दील कर दिया और रातों-रात स्टार बन गए।

यह तो सिर्फ धोनी की कप्तानी का पहला ट्रेलर था, इसके बाद तो उन्होंने कई ऐसे अजूबे किए, जो लोगों के लिए भूलना आसान नहीं होगा। 2011 वर्ल्ड कप में मिली जीत की पूरी स्क्रिप्ट एमएस ने मानो जैसे खुद ही लिखी हो। 2011 विश्व कप फाइनल का वो मुकाबला शायद ही कोई भूल पाएगा, जब कप्तान ने खुद को प्रमोट कर बैटिंग ऑर्डर में युवराज सिंह से पहले बल्लेबाजी के लिए मैदान पर भेजा और टीम को जीत दिलाकर ही पवेलियन वापस लौटे।


धोनी ने अपनी कप्तानी में टीम को 28 साल बाद विश्व कप दिलाया और फाइनल में धोनी का वो छक्का तो शायद ही कोई इस जन्म में भूल पाएगा। इसी छक्के को लेकर सुनील गावस्कर ने कहा था, जब मेरी आखिरी सांसें चल रही होंगी और कोई एक चीज जिसे मैं देखना चाहूंगा वो होगा फाइनल में धोनी का मैच विनिंग छक्का।

यही नहीं आईसीसी की तीसरी ट्रॉफी यानी चैंपियंस ट्रॉफी, जिसे मिनी वर्ल्ड कप भी कहा जाता है। उस पर भी 2013 में उनकी टीम ने जीत हासिल कर एक इतिहास रच दिया। वो आईसीसी की तीनों ट्रॉफी जीतने वाले दुनिया के पहले कप्तान हैं। इस रिकॉर्ड की बराबरी शायद ही कोई कर पाएगा। टेस्ट क्रिकेट में भी धोनी अपनी कप्तानी में टीम को नंबर एक तक पहुंचा दिया था।

यूं ही नहीं कोई धोनी बन जाता

धोनी जिन्होंने करियर की शुरुआत टिकट कलेक्टर से की थी और बाद में भारत के लिए ट्रॉफी कलेक्टर बन गए। स्वभाव से बहुत विनम्र इंसान। विनम्र इतने की जुलाई 2018 को खेले गए आयरलैंड के खिलाफ सीरीज के दूसरे टी-20 मैच में प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं बने तो ड्रिंक्स लेकर बीच मैदान चले गए। यह धोनी की महानता ही है कि एक महान कप्तान का तमगा मिलने के बावजूद वह मैदान के भीतर जाकर खिलाड़ियों को पानी पिलाने लगे। विश्व क्रिकेट में ऐसी घटना आपने कितनी बार देखी होगी?

2018 में जब धोनी अपना पद्म-भूषण पुरस्कार लेने पहुंचे तो हर कोई हैरान रह गया क्योंकि धोनी क्रिकेटर की ड्रेस में नहीं बल्कि सेना के अफसर की वर्दी पहनकर वहां पहुंचे थे। लेफ्टिनेंट कर्नल धोनी ने वर्दी का पूरा सम्मान भी रखा और बाकायदा पूरी ड्रिल करते हुए राष्ट्रपति के पास पहुंचे। पहले सेल्यूट किया और फिर सम्मान लिया।

धोनी लिमिटेड ओवर्स के उस्ताद हैं। महारत हासिल कर चुके हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने 178 जीत हासिल की हैं। तकनीकी तौर पर वो कोई बहुत बेहतरीन बल्लेबाज नहीं है, लेकिन टीम को जब भी उनकी जरूरत पड़ी, उन्होंने बल्ले का सही इस्तेमाल किया।38 वर्षीय इस खिलाड़ी ने मॉडर्न क्रिकेट की पूरी तस्वीर ही बदल दी, जहां लोग कप्तानी का जौहर अपनी आक्रामकता से दिखाते थे। कैप्टन कूल माही ने अपनी विनम्रता और शीतलता से टीम को शिखर तक पहुंचा दिया। उनके इसी अंदाज की पूरी दुनिया कायल है।

धोनी की उपलब्धियां

1 क्रिकेट वर्ल्ड कप (2011)

1 टी-20 वर्ल्ड कप (2007)

1 चैम्पियंस ट्रॉफी (2013)

3 आईपीएल खिताब (2010, 2011, 2018)

2 चैम्पियंस लीग टी-20 खिताब (2010, 2014)

10,773 वनडे रन+ विकेट के पीछे 444 शिकार

4,876 टेस्ट रन + विकेट के पीछे 294 शिकार

1,617 टी-20 इंटरनेशनल रन + विकेट के पीछे 91 शिकार

वनडे इंटरनेशनल में प्रदर्शन – महेंद्र सिंह धोनी ने भारत के लिए अब तक 350 वनडे मैचों में 50.57 की औसत से 10773 रन बनाए हैं, जिसमें 10 शतक और 73 अर्धशतक शामिल हैं | इस दौरान उनका बेस्ट स्कोर नाबाद 183 रन रहा. वनडे में धोनी के नाम 1 विकेट है और उनका बेस्ट प्रदर्शन 14 रन देकर 1 विकेट रहा है | 

टेस्ट मैचों में प्रदर्शन – महेंद्र सिंह धोनी ने भारत के लिए अब तक 90 टेस्ट मैचों में 38.09 की औसत से 4876 रन बनाए हैं, जिसमें 6 शतक और 33 अर्धशतक शामिल हैं. इस दौरान उनका बेस्ट स्कोर 224 रन रहा | 

टी-20 इंटरनेशनल में प्रदर्शन – महेंद्र सिंह धोनी ने भारत के लिए अब तक 98 टी-20 इंटरनेशनल मैचों में 37.60 की औसत से 1617 रन बनाए हैं, जिसमें 2 अर्धशतक शामिल हैं | इस दौरान उनका बेस्ट स्कोर 56 रन रहा |