
स्वतंत्रता दिवस पर मीट दुकानों की बंदी का विवाद
महाराष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कुछ नगर पालिकाओं ने मीट की दुकानें बंद करने का आदेश जारी किया।
इस फैसले ने राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को नाराज कर दिया।
महायुति गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद, पवार ने इस मुद्दे पर अलग रुख अपनाया।
कुरैशी समुदाय से मुलाकात और शिकायतें
हाल ही में अजित पवार ने कुरैशी समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
- समुदाय ने गौरक्षकों द्वारा उत्पीड़न की शिकायत की।
- इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने आदेश जारी किया कि:
- अवैध पशु परिवहन के खिलाफ कार्रवाई केवल पुलिस/अधिकृत अधिकारी करेंगे।
- निजी व्यक्तियों को रोकने, जांच करने या हमला करने का अधिकार नहीं है।
मीट दुकानों की बंदी के खिलाफ पवार का रुख
अजित पवार ने स्पष्ट किया कि:
- मीट दुकानों पर बंदी का निर्णय व्यापारियों की आजीविका को प्रभावित करता है।
- गौरक्षकों द्वारा हिंसा पर सख्त रोक लगनी चाहिए।
- उनका रुख कुरैशी समुदाय के हितों के समर्थन में है।
राजनीतिक हलचल और रणनीति
- महायुति गठबंधन में रहते हुए भी पवार का यह रुख अलग संदेश देता है।
- इसे कुछ लोग उनकी सेकुलर छवि बनाने की कोशिश मान रहे हैं।
- गठबंधन में मतभेद और राजनीतिक समीकरण बदलने की चर्चा तेज हो गई है।
कुरैशी समुदाय की प्रतिक्रिया
कुरैशी समुदाय ने पवार के कदम का स्वागत किया।
- इसे व्यापार और आजीविका की सुरक्षा के लिए अहम बताया।
- समुदाय का कहना है कि यह निर्णय धर्मनिरपेक्षता और न्याय की दिशा में है।
निष्कर्ष: सियासत में नया मोड़?
अजित पवार का यह कदम:
महाराष्ट्र की सियासत में नए समीकरण बना सकता है।
गठबंधन की एकता पर सवाल उठाता है।
सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर संतुलन साधने की उनकी कोशिश को दिखाता है।