दिल्ली/भोपाल/रायपुर: अंतरराष्ट्रीय महादेव ऐप घोटाले की जांच सीबीआई के हवाले किये जाने के बाद भिलाई से लेकर दुबई तक हलचल तेज हो गई है। खासतौर पर हवाला कारोबारियों और महादेव सट्टा ऐप के संचालन में शामिल कतिपय आरोपी राजनेताओं और दागी आईपीएस अधिकारियों के ठिकानों पर, इस गोपनीय बैठक में सीबीआई से निपटने के तौर-तरीकों पर विचार-मंथन शुरू हो गया है। राजधानी रायपुर के अटल नगर स्थित एक तालाब के किनारे निर्मित होटल में 4 प्रभावशील दागी आईपीएस अधिकारियों की एक प्रभावशील विपक्षी दल के नेता के साथ घंटों चली बैठक सुर्ख़ियों में आ गई है।
बताया जाता है कि सोमवार देर-रात इस होटल में पूर्व मुख्यमंत्री भूपे की कद-काठी वाला कोई शख्स वर्दीधारी उन सह आरोपियों के साथ रणनीति बनाने में मशगूल था, जिन्हे बतौर जिम्मेदार आईपीएस अधिकारी के रूप में लाखों की रकम महादेव ऐप सट्टा प्रोटेक्शन मनी के रूप में हर-माह प्राप्त होती थी। सूत्रों के मुताबिक करीब 3 घंटे तक चली इस बैठक में सिविल ड्रेस में वो 3 आईपीएस अधिकारी भी नजर आये, जिनका काला चिट्ठा ED ने राज्य के EOW को सौंपा था। बताया जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे बघेल के सरकारी आवास और भिलाई स्थित सरकारी और गैर-सरकारी दो इमारतों में लगे सभी सरकारी CCTV फुटेज, आवाजाही रजिस्टर, कंप्यूटर में दर्ज डाटा नष्ट किये जाने को लेकर यह आकस्मिक बैठक बुलाई गई थी।
सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि कैश हैंडलर और कुरियर मैन के रूप में कार्य करने वाले आरोपी पुलिस अधिकारी चंद्रभूषण वर्मा से जुड़े तमाम साक्ष्य सुनियोजित रूप से नष्ट किये गए है। गौरतलब है कि ASI चंद्रभूषण वर्मा संवैधानिक पदों पर काबिज नेताओं और दागी आईपीएस अधिकारीयों को प्रोटेक्शन मनी के रूप में लाखों की नगदी सौंपा करता था। बताते है कि चंद्रभूषण का ED को दर्ज कराया गया बयान सामने आते ही डिजिटल सबूतों को नष्ट करने का सिलसिला शुरू हो गया था। यही नहीं तत्कालीन कांग्रेस सरकार के चुनाव हारते ही मुख्यमंत्री आवास से गाड़ियों में भरकर हज़ारों सरकारी दस्तावेज इधर से उधर किये गए थे। इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री के सरकारी और निजी आवास में लगे CCTV कैमरे और उसका डीवीआर भी शामिल है। इसी तर्ज पर दर्जनों कंप्यूटर और उसकी हार्ड-डिस्क से भी छेड़छाड़ किये जाने की जानकारी सामने आ रही है।
सूत्र यह भी बताते है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के हिस्से की रकम उनके पुत्र से जुडी विभिन्न रियल एस्टेट कंपनियों में निवेश कर दी जाती थी। इसी तर्ज पर पूर्व मुख्यमंत्री के कथित साले विनोद वर्मा की नगदी रायपुर के कोटा स्थित एक स्कूल में सौंपी जाती थी। यही नहीं इस रकम का बड़ा हिस्सा विनोद वर्मा और उनके परिवार के हितों को ध्यान में रखकर बनाये गए विभिन्न श्रोतो के कर्ताधर्ताओं के हाथों में सौंपे जाते थे। बताते है कि छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप सट्टा संचालन का कॉर्डिनेशन विनोद वर्मा के हाथों में ही था।
आरोपी पुलिस अधिकारी चंद्रभूषण वर्मा ने ED में दर्ज कराये गए अपने बयानों में साफ़ किया है कि उनकी तत्कालीन मुख्यमंत्री के आवास में नियमित आवाजाही होती थी। यहाँ उनकी आमद और निकासी-प्रस्थान का पूरा ब्यौरा दर्ज किया जाता था। चंद्रभूषण वर्मा ने ED को दागी आईपीएस अधिकारी शेख आरिफ, आनंद छाबड़ा, अजय यादव और प्रशांत अग्रवाल से जुड़े कई तथ्यों से अवगत भी कराया था। इसमें से एक 2007 बैच के आईपीएस प्रशांत अग्रवाल कोल खनन परिवहन घोटाले में चार्जशीटेड है। अदालत में प्रस्तुत चार्जशीट में ED ने उनकी आपराधिक कार्यप्रणाली का हवाला देते हुए घोटाले में संलिप्ता संबंधी कई सबूत भी पेश किये है। बताते है कि दागी अफसर अब बच निकलने की नई तरकीब पर कार्य कर रहे है। सीबीआई जांच की भनक लगते ही ज्यादातर दागी अफसर उनसे जुड़े निवेश कर्ताओं को सतर्क करने में व्यस्त बताये जाते है।
कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बतौर ख़ुफ़िया प्रमुख की कमान संभालने वाले 2001 बैच के आईपीएस आनंद छाबड़ा का नाम डिजिटल सबूत नष्ट करने के मामले में सुर्ख़ियों में है। बीजेपी सरकार के गठन के बाद भी नए मुख्यमंत्री के लिए समय पर आवास खाली नहीं करने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल भी सुर्ख़ियों में रहे है। सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा कारण दर्शा कर तत्कालीन मुख्यमंत्री के आवास को छाबड़ा के निर्देश पर ही लम्बे दिनों तक पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने कब्जे में रखा था। ताकि बीजेपी सरकार के पटरी पर आने से पहले ही मुख्यमंत्री आवास का सारा डाटा और महत्वपूर्ण दस्तावेज नष्ट किये जा सके।
सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि बघेल के प्रमुख रणनीतिकार 2005 बैच के आईपीएस शेख आरिफ और उसकी टोली को भी पूरा भरोसा था कि राज्य में कांग्रेस दोबारा काबिज होगी और बघेल ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे। लिहाजा महादेव ऐप सट्टा घोटाले में तह तक जाने के बजाय दागी आईपीएस अधिकारीयों ने लगभग 400 आरोपियों के खिलाफ साधारण जुआ-सट्टा एक्ट में कार्यवाही कर कई को थाने से ही जमानत प्रदान कर दी थी। लेकिन बाजी पलटते ही इन अफसरों के फरमान पर तत्कालीन मुख्यमंत्री समेत कुछ मंत्रियों के सरकारी-गैरसरकारी आवास से जुड़े दर्जनों कंप्यूटर, उसकी हार्डडिस्क, CCTV कैमरे और उसके डीवीआर के साथ छेड़छाड़ कर डाटा नष्ट किया गया है।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के दौर में भी ऐसे कई महत्वपूर्ण पदों पर खाकी वर्दीधारी दागी अफसर काबिज है, जिनकी कार्यप्रणाली से शासन-प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है। हालाँकि उनके खिलाफ निलंबन की कार्यवाही किये जाने को लेकर प्रशासनिक गलियारा भी गरमाया हुआ है। कई वरिष्ठ अधिकारी तस्दीक करते है कि दागी आईपीएस अफसरों के खिलाफ राज्य सरकार को जल्द सख्त कदम उठाने होंगे। अन्यथा नौकरशाही में भ्रष्टाचार के चलन पर अंकुश लगाना मुश्किल हो जायेगा। ऑनलाइन सट्टा एप मामले में पुलिस ने छत्तीसगढ़ के अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश समेत अन्य कई राज्यों से आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस ऐप का भारत में मुख्यालय, भिलाई बताया जाता है।
जानकारी के मुताबिक इस ऐप के संचालक सौरभ चंद्राकर की विदेशों में आयोजित विवाह एवं अन्य पार्टियों में रायपुर-नागपुर से दुबई तक मेहमानों की आवाजाही चाटर्ड प्लेन से सुनिश्चित की जाती थी। पुलिस को अब तक महादेव ऐप से जुड़े छत्तीसगढ़ सहित देश के अलग-अलग शहरों से 500 से ज्यादा अवैध खाते मिले हैं। इन खातों के माध्यम से सट्टे का पैसों का ट्रांजेक्शन देश-विदेश में किया जा रहा था। बताते है कि इनमें कई खाते ऐसे हैं, जिनमें ग्राहकों को पता ही नहीं था कि उनके खातों से आये दिन करोड़ों का ट्रांजेक्शन हो रहा था। बहरहाल छत्तीसगढ़ में सीबीआई की एंट्री से कांग्रेस का एक खेमा हैरत में है। जबकि विपक्ष के अन्य धड़े सीबीआई जांच में दूध का दूध और पानी का पानी साफ़ होने की उम्मीद जाहिर कर रहे है।