छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप और EOW आमने सामने, मामला रफा दफा करने 100 करोड़ का बजट, अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए लामबंद हुए आधा दर्जन IPS अधिकारी

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रायपुर। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में अंजाम दिए गए करीब 6000 करोड़ के महादेव ऐप घोटाले को रफा दफा करने के लिए 100 करोड़ की रकम इकट्ठा की गई है। इतनी मोटी रकम से महादेव ऐप घोटाले के आरोपी अफसर अपराध से अपना पीछा छुड़ाना चाहते हैं। सूत्र बताते हैं कि अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए EOW पर भारी भरकम दबाव डाला जा रहा है। इसके लिए सटोरियों से मोटा चंदा वसूला गया है।जबकि ED ने FIR का प्रारूप, दस्तावेजी प्रमाण और गवाहों के बयान भी EOW को सौंपे हैं। बताते हैं कि इस संज्ञेय अपराध को कानूनी दांव-पेचों में उलझा कर दागी IPS अफसर बच निकलने की जुगत में हैं। सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि इसके लिए तमाम प्रभावशील IPS अधिकारियों ने चंदा इकट्ठा किया है।

छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती भू-पे सरकार में पुलिस विभाग के माध्यम से देश भर में महादेव ऐप सट्टा चलाया जा रहा था। इसे सरकारी संरक्षण भी प्राप्त था।कई पुलिस कर्मी और अधिकारी सट्टे के इस खेल में प्रबंधक की भूमिका निभा रहे थे। उन्हें इसके बदले में हर माह लाखों रुपए मिलते थे। महादेव ऐप सट्टे का मुख्यालय पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल का गृहनगर भिलाई में स्थित था। उनके करीबी ही सट्टे के कारोबार में बुरे फंसे हैं।

सट्टे की रकम भू-पे के निवास – कार्यालय तक पहुंचती थी। इसमें भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल, सरकारी सलाहकार विनोद वर्मा, सौम्या चौरसिया, और विजय भाटिया प्रमुख रुप से शामिल बताए जाते है।पुलिस अधिकारी चंद्रभूषण वर्मा महादेव ऐप से अर्जित होने वाली रकम विभिन्न पुलिस अधिकारियों को सौंपा करता था। इसके निर्देश उसे IPS अधिकारियों के माध्यम से प्राप्त होते थे। ED को सौंपे गए दस्तावेजी प्रमाणों में इस नेटवर्क का खुलासा किया गया है।

दुबई में गिरफ्तार किए गए शुभम सोनी ने काला चिट्ठा एजेंसियों को सौंपते हुए तस्दीक की है कि विधानसभा चुनाव के दौरान 508 करोड़ भू-पे को सौंपे गए थे।ED ने लगभग 5 करोड़ की रकम असीम दास उर्फ बप्पा नामक एक शख्स से भिलाई में उसकी कार की डिग्गी से बरामद किए थे।माना जा रहा है कि जल्द ही यह मामला CBI को सौंप दिया जाएगा। लिहाजा दागी IPS अधिकारी फौरन इसे रफा दफा करने में जुटे हैं। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि ED ने अपनी जांच के बाद लगभग 70 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश राज्य के EOW को दिए हैं। इनमे लगभग 30 पुलिस कर्मियों समेत आधा दर्जन IPS अधिकारी शामिल हैं, शेष लगभग 35 प्राइवेट लोगों को भी नामजद आरोपी बनाने के लिए कहा गया है।

यह भी बताया जाता है कि दागी IPS अधिकारियों को प्रति माह मुहैय्या कराए जाने वाली लाखों की नगदी का ब्यौरा और उनकी भूमिका भी ED के शिकायती पत्र में स्पष्ट की गई है। इसके बावजूद भी EOW दागी अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज करने के मामले में पशोपेश में बताया जाता है। सूत्र बताते हैं कि अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए दागी अफसर देश-विदेश से भी EOW पर दबाव डाल रहे हैं।छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी महादेव ऐप सट्टे को लेकर सदन गरमाया हुआ है। इससे आम जनता को नही लग रहा है कि दागी अफसर बच निकलेंगे।हालाकि गृहमंत्री विजय शर्मा ने भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी अफसर को ना बक्शे जाने का भरोसा प्रदेश की जनता को दिलाया है। उन्होंने विधानसभा में साफ किया है कि एजेंसियां घोटाले की तह तक जाएंगी।

बताया जाता है कि महादेव ऐप सट्टा कारोबार पर CBI काफी पहले से निगाह गड़ाए बैठी है। इस कारोबार का काला चिट्ठा भी उसके पास है।बिलासपुर हाई कोर्ट में मामले की CBI जांच कराए जाने को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और NGO ने याचिकाएं भी दायर की है। सूत्र बताते हैं कि जिन IPS अधिकारीयों के खिलाफ ED ने FIR दर्ज करने के लिए कहा है, उसमें शेख आरिफ, आनंद छाबड़ा, अजय यादव, प्रशांत अग्रवाल, और अभिषेक पल्लव, का नाम प्रमुख रुप से शामिल है। जबकि राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अभिषेक महेश्वरी, संजय ध्रुव, समेत कई थानेदारों को भी नामजद आरोपी बनाए जाने के लिए निर्देशित किया गया है। इनमें IPS प्रशांत अग्रवाल बतौर आरोपी कोल खनन परिवहन घोटाले में ED की चार्जशीट में शामिल हैं। उनके भी निलंबन के आसार बताए जा रहे हैं।

सूत्र बताते हैं कि हफ्ते भर के भीतर तमाम सटोरियों से चंदे के रुप में 100 करोड़ की मोटी रकम वसूल की गई है ताकि इसकी जांच प्रभावित कर नामजद FIR को अज्ञात के खिलाफ दर्ज किया जा सके। बताते हैं कि विधानसभा चुनाव के दौरान भ्रष्टाचारियों को ठिकाने लगाने का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।

राज्य की विष्णुदेव साय सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपना रही है। इसका असर लोकसभा चुनाव में भी दिखाई देगा।महादेव ऐप सट्टा भू-पे सरकार का “राजकीय कार्यक्रम”बन गया था। इस सट्टा कार्यक्रम के प्रचार प्रसार और संरक्षण में छत्तीसगढ़ पुलिस के कई आला अधिकारी भी शामिल हो गए थे। किसी सुनियोजित आपराधिक संगठन की तर्ज पर छत्तीसगढ़ समेत लगभग आधा दर्जन राज्यों में महादेव ऐप की शाखाएं खोल दी गई थी।पुलिस अधिकारी सिर्फ वसूली में जुटे थे, बजाए इसकी रोकथाम करने।दुबई में बैठे भू-पे गिरोह के सदस्य महादेव ऐप सट्टा को नियंत्रित कर रहे थे।

बताया जाता है कि दागियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए दस्तावेजी प्रमाणों का जखीरा एजेंसियों ने उसे उपलब्ध करा दिया है। बताते हैं कि पुख्ता प्रमाणों के मिलने से दागी अफसर मुश्किल में हैं। उनका बच निकलना असंभव बताया जा रहा है।उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की गरीब जनता को आश्वस्त किया है कि महादेव ऐप घोटाले के आरोपी जेल भेजे जाएंगे। लिहाजा इस मामले में मोदी गारंटी जल्द ही अपना असर दिखा सकती है।