बेंगलुरु/भोपाल – मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट से साफ़ है कि मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार वेंटिलेटर पर है | यह सरकार टिकेगी या फिर औंधे मुंह गिर जाएगी , सम्भवतः इसका फैसला आज हो जायेगा | सुप्रीम कोर्ट ने दो दिनों तक मामले की सुनवाई कर तमाम क़ानूनी पेंचों को बखूबी जान लिया है | उम्मीद की जा रही है कि फ्लोर टेस्ट को लेकर अदालत अपना रुख अब साफ़ कर देगी | इसके साथ ही मध्यप्रदेश में जारी सियासी जंग निर्णायक मोड़ परखड़ी दिखाई देगी | हालांकि सरकार बचाने की पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की आखिरी कोशिश उस समय टॉय टॉय फिस्स हो गई जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने उनकी याचिका ख़ारिज कर दी | उधर भोपाल में कांग्रेस समर्थित 70 विधायकों ने राजभवन का कूच कर शक्ति प्रदर्शन किया |
बुधवार को दिनभर कर्नाटक हाई कोर्ट में मध्यप्रदेश की सियासी गूंज सुनाई दी। बेंगलुरु में मौजूद कांग्रेस के बागी विधायकों से मिलने के लिए दिग्विजय सिंह ने पहले होटल-रिजॉर्ट का रुख किया | इसके उपरांत नाकामी हाथ लगने पर हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, जहां से उन्हें निराशा हाथ लगी है। कोर्ट ने उनकी याचिका खारीज कर दी।याचिका में उन्होंने मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायकों से मिलने की अनुमति मांगी थी। दिग्विजय सिंह ने कहा था कि हमने भूख हड़ताल पर रहने का फैसला किया है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस पर विचार किया जाएगा।
कांग्रेस
के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बागी विधायकों से
मिलने के लिए बेंगलुरु पहुंचे थे | बुधवार की सुबह उस रिजॉर्ट पर खूब हंगामा हुआ जहाँ बागी विधायक ठहरे थे | हालांकि दिग्विजय सिंह तमाम कोशिशों के बावजूद बागी विधायकों से मुलाकात नहीं कर पाए। दिग्विजय सिंह ने पुलिस पर विधायकों से
मुलाकात न करने देने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। पुलिस द्वारा हिरासत में
लिए गए सिंह ने भाजपा पर विधायकों को बंधक बनाने का आरोप लगाया और कहा कि वह भूख
हड़ताल करेंगे। दिग्विजय सिंह ने कहा कि भाजपा विधायक अरविंद भदौरिया और एक सांसद
ने उन्हें बंधक बना रखा है। मैं अपने विधायकों, अपने मतदाताओं (राज्यसभा चुनाव के लिए), अपनी ही पार्टी के लोगों से
क्यों नहीं मिल सकता? भाजपा
इसमें क्या कर रही है?
उधर मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट के बीच फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि वह तय नहीं कर सकता कि सदन में किसके पास बहुमत है और किसके पास नहीं। यह काम विधायिका का है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस बात का फैसला करने के लिए विधायिका की राह में नहीं आ रहा है कि किसे सदन का विश्वास हासिल है। सुप्रीम कोर्ट में सियासी संकट और फ्लोर टेस्ट को लेकर बीजेपी , कांग्रेस और बागी विधायकों के वकीलों ने अपना अपना पक्ष रखा |
मध्य प्रदेश के बागी विधायकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अदालत के तौर पर हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट भारतीय जनता पार्टी की उस मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बहुमत परीक्षण की मांग की गई है और कांग्रेस ने इसका विरोध किया है। मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आर्टिकल 212 सुप्रीम कोर्ट को सदन के भीतर की गई कार्रवाई का संज्ञान लेने से रोकता है। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सदन में किसके पास बहुमत है और किसके पास नहीं, यह तय करने का काम विधायिका का है और हम इसमें दखल नहीं दे रहे हैं। मामले की निर्णायक सुनवाई जारी है | उम्मीद की जा रही है कि आज अदालत इस मामले में अपना रुख साफ कर देगी |