मुंबई से झारखण्ड जा रहा हुजूम हुआ राजनाँदगाँव में लॉक डाउन,कलेक्टर की  समाजसेवी,दानदाताओ से अपील ज्यादा से ज्यादा करे मदद देंखे वीडियो  

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रिपोर्टर-मनोज सिंह चंदेल  

राजनाँदगाँव/ देश में इन दिनों नोबेल कोरोना वायरस की जंग में जिंदगी की रफ़्तार मानो थम सी गई है, जो जहां है वह वहीं रुक गया है।  ऐसे में सबसे बड़ा संकट गरीब तबके के लोगों को और मुसाफिर के सामने रोटी,कपडा और मकान की दिक्कत है। जिसके लिए समाजसेवी संस्थाओं की मदद से जिला प्रशासन जुटा हुआ है और हर जरूरतमंद तक उसकी जरुरत की वस्तु पहुंचाने की व्यवस्था भी की जा रही है। राजनंदगांव शहर के रैन बसेरा और फ्लाईओवर के नीचे रुके कई परिवार के सामने कई तरह के संकट हैं, कोई अपने घर जाना चाहता है, तो किसी को पेट भरने के लिए भोजन चाहिए । ऐसे लोगों की मदद के लिए राजनंदगांव प्रशासन ने समाजसेवियों से मदद के लिए आगे आने की अपील की है। आज कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य ने समाजसेवियों की एक बैठक लेकर उनसे जरूरतमंदों के मदद के लिए भोजन व्यवस्था हेतु सहयोग मांगा है। कलेक्टर ने कहा कि वे लोगों से अपील करते हैं कि जिससे जो मदद हो सके वह मदद करके इस मुश्किल घड़ी में लोगों की सहायता करें। बैठक के दौरान कई समाजसेवियों ने मौके पर ही अपनी ओर से 10 लाख, 2 लाख, 1 लाख रूपये की मदद करने की घोषणा की, तो कुछ समाजसेवियों ने गैस सिलेंडर और दाल चावल का प्रबंध करने की बात कही।

नोबेल कोरोनावायरस महामारी का रूप ले चुका है, जिससे निपटने के लिए भारत के प्रथम व्यक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से लेकर गांव का प्रधान और कोटवार तक जुटा हुआ है। इस समस्या से निपटने बेहतर विकल्प लॉक-डाउन का नजर आया, यानी लोग समाजिक दूरियों पर रहे, अपने घरों में रहे, इससे यह वायरस ना फैले और सभी सुरक्षित हों। लोगों के मेल-मिलाप की कड़ी को तोड़ने के लिए शासन-प्रशासन ने एक फरमान जारी किया कि जो जहां है वहीं ठहरे। इसके बाद राजनांदगांव में भी कई मजदूर फंसे हुए हैं तो कुछ अन्य राज्यों से आकर अन्य राज्यों की ओर जा रहे थे, वे भी अपने परिवार के साथ यहां फस गए हैं। ऐसे लोगों को प्रशासन ने रैन बसेरा में आश्रय दिया है। लोगों की भोजन व्यवस्था के लिए समाजसेवी संस्थाएं जुटी हुई है। राजनांदगांव शहर के गांधी हॉल में विभिन्न संस्थाओं की मदद से भोजन हेतु सामान उपलब्ध कराया जा रहा है। मानवसेवा संस्थान के सदस्य भी इस पुनीत कार्य में अपना पूरा सहयोग दे रहे है और वे स्वयं जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने के लिए जुट गए हैं। शहर के रैन बसेरा में रुके झारखंड के एक परिवार के छोटे बच्चों के सामने जब दुध की बोतल पहुंची तो इन बच्चों के चेहरे ख़ुशी से खील उठे, वहीं परिवार के लोगों ने कहां की भोजन तो मिल रहा है लेकिन वे अपने घर जाना चाहते हैं।जिस पर उन्हें समझाइश भी दी जा रही है कि लाॅक-डाउन तक उन्हें यही रुकना होगा।