रायपुर। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और, आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों में सुर्खियों मे आए महादेव एप घोटाले का महत्वपूर्ण शख्स एक बार फिर सुर्खियों में है. ये वो पुलिस अधिकारी है जो तत्कालिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को घोटाले की रकम का बड़ा हिस्सा हाथों हाथ पहुंचाया करता था. इस आरोपी को रायपुर सेंट्रल जेल में न्यायायिक हिरासत में रखा गया है. ईडी के लिए महत्वपूर्ण गवाह साबित होने वाले चंद्रभूषण वर्मा की जान जोखिम में बताई जा रही है. सूत्र बताते हैं कि जेल में तनावग्रस्त रहने वाले इस पुलिस अधिकारी को मानसिक रोगी करार देने के लिए साजिश रची गई है. दागी पुलिस अफसरों और जेल अधिकारियों द्वारा इसका क्रियान्वयन जोर से जारी है.
बताते हैं कि चंद्रभूषण वर्मा की गवाही, पूर्व मुख्यमंत्री बघेल, आईपीएस शेख आरिफ, आनंद छाबड़ा, अभिषेक महेश्वरी, रायपुर एसएसपी प्रशांत अग्रवाल और विनोद वर्मा के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। लिहाजा उसे जेल के भीतर बयान बदलने के लिए मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है. बताते हैं कि उसे भूपेश बघेल और उसके गिरोह के खिलाफ धारा 50 के तहत ईडी में बयान दर्ज कराने की सजा दी जा रही है. इस बयान को बदलवाने के लिए भू-पे गिरोह कई हथकंडे अपना रहा है. डॉक्टरों को भी उसे मानसिक रोगी करार देकर बयान बदलवाने के लिए जोर भी दिया जा रहा है.
बताते हैं कि पिछले 1 माह से वर्मा का नियमित मेडिकल चेक अप किया जा रहा है. खराब स्वास्थ्य के बावजूद मौजूदा इलाज से उसे राहत नही मिल पाई है. जेल प्रशासन ना तो उच्च स्तरीय जांच के लिए उसे किसी मेडिकल संस्थान में रिफर कर रहा है और ना ही जेल के भीतर स्थित अस्पताल में उसे आवश्यक मेडिकल सुविधाएं मुहैय्या करवाई जा रही है. यह भी बताते हैं कि चंद्रभूषण वर्मा के पेट में गोलियों के 2 छर्रे भी अभी तक फंसे हुए हैं. इसकी भी कोई मेडिकल जांच नही कराई गई है. जानकारी के मुताबिक़ नक्सली इलाकों में तैनाती के दौरान वे गोलीबारी का शिकार हुए थे.लंबे समय से जेल में बंद चंद्रभूषण वर्मा ईडी की ओर से सरकारी गवाह बनने को भी तैयार है. इसकी खबर लगते ही भू-पे गिरोह ने ईडी को दिया गया उसका मूल बयान बदलवाने के लिए अपना शिंकजा कस दिया है.
पीड़ित चंद्रभूषण वर्मा के मुताबिक तत्कालिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के आखिरी दिनों में उनके करीबी एक शख्स ने जेल में उनसे मुलाकत की थी. इसके बाद एक वकील द्वारा लिखकर लाया गया बयान उसे जेल में सौंपा गया था. संदेशवाहक ने बताया था कि कांग्रेस सरकार रिपीट हो रही है और दाऊ ही मुख्यमंत्री बनेंगे. इसलिए नया बयान जो लिख कर लाया गया है हुबहू उसे अपनी हैंड राइटिंग में लिख कर हस्ताक्षर कर वापस सौंपे, अन्यथा जेल में आपका जीवन संकट में पड़ जाएगा. बकौल वर्मा “मेरे अलावा महादेव एप के अन्य प्रमुख आरोपियों को भी वकील द्वारा ऐसा ही लिखा लिखाया बयान अपनी राइटिंग और हस्ताक्षर कर वापिस उन्हे सौंपने के लिए कहा गया था . यह कार्य जेल प्रहरी और एक कैदी द्वारा गोपनीय रूप से करवाए गए थे.ये बयान उन सभी के मूल बयानों के ठीक विपरीत थे. उनके मुताबिक महादेव एप की जांच भटकाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और उनके करीबी अफसर अभी भी दबाव बनाए हुए हैं।
ताकि आरोपी बनाया गया कोई शख्स सरकारी गवाह ना बनने पाए. पीड़ित वर्मा के मुताबिक वे निम्न स्तर के कनिष्ठ पुलिस कर्मी हैं. अनुशासन के तहत ही वे वरिष्ठ अफसरों की हिदायतों का पालन कर रहे थे. वे तत्कालिन मुख्यमंत्री बघेल और अन्य वरिष्ठ अफसरों के निर्देशों का पालन करते हुए घोटाले की रकम को तयशुदा व्यक्ति को सौंपते थे. उन्होंने बताया की प्रभावशील वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शेख आरिफ और छाबड़ा के निर्देशों की अवहेलना से नौकरी जाने का खतरा बना रहता था.इसलिए घोटाले की रकम को,वे जिस नियत स्थान पर सौंपने के लिए कहा जाता था, बस उनके द्वारा दिए गए आदेशों का पालन उसके मार्फत किया गया था. उन्होंने बताया कि ईडी के संदेही के रुप में उनका नाम सामने आते ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने फौरन उनका तबादला बीजापुर कर दिया था.
महादेव एप घोटाले के इस महत्वपूर्ण आरोपी की दलीलें ईडी के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती हैं. चंद्रभूषण वर्मा एक मात्र ऐसा आरोपी है जिसकी नियमित आवाजाही तत्कालिन मुख्यमंत्री के आवास पर होती थी. इस दौरान मुख्यमंत्री आवास और सुरक्षा व्यवस्था के सरकारी रजिस्टरों में उनका नाम भी दर्ज होता था . चंद्रभूषण वर्मा के मुताबिक तत्कालिन मुख्यमंत्री को कई बार उसने नगद रकम सौंपी थी. ईडी के संदेही बनते उसके इस कार्य से इंकार करने के उपरांत मोटी रकम का लेनदेन असीम दास उर्फ बप्पी करने लगा था. गौरतलब है कि असीम दास नामक ड्राइवर की कार से ही भिलाई में ईडी ने 508 करोड़ रूपए जब्त किए थे. असीम दास भी इन दिनों न्यायायिक हिरासत में रायपुर सेंट्रल जेल में बंद है. देश में महादेव एप घोटाला करीब 6 हजार करोड़ का आंका गया है.इस मामले की सीबीआई जांच जोर पकड़ रही है.फिलहाल चंद्रभूषण वर्मा के ऊपर जेल प्रशासन ने कड़ा पहरा लगा दिया है. सूत्र बताते हैं कि भू-पे गिरोह में शामिल आला पुलिस अधिकारी उसकी जान के दुश्मन बन गए हैं।