लेखपाल ने ऐसे किया खेला: झोपड़ी में रहने वाली बांग्लादेशी महिला को बनाया तीन करोड़ की जमीन की मालकिन…

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झोपड़ी में रहने वाली महिला रेनू को निलंबित लेखपाल सावन कुमार के भूमाफिया गिरोह ने कागजों पर तीन करोड़ रुपये की जमीन की मालकिन बना दिया। उससे आठ बैनामे कराए। इसके बदले में उसे 15 हजार रुपये दिए। एसआईटी ने रेनू को गिरफ्तार कर लिया। उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है।

एसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि रेनू पीलीभीत जिले के जहानाबाद थाने के गांव गोछ की निवासी है। वह मूल रूप से बांग्लादेशी हिंदू है। एसआईटी प्रभारी अरविंद सिंह और उनकी टीम ने उसे पीलीभीत से गिरफ्तार किया है। पड़ताल में सामने आया है कि गिरोह में शामिल दीपक, रेनू के पहले पति की बहन का बेटा है। उसी के जरिये गिरोह ने रेनू को फर्जी बैनामा कराने के लिए राजी किया। रेनू को जब आरोपियों के फोटो दिखाए गए तो उसने लेखपाल सावन व अमित राठौर तिलकधारी को पहचान लिया।

कहा कि यही लोग जमीन के मालिक बताए गए थे। दीपक ने उससे कहा था कि मालिक अगर किसी और के नाम से जमीन बेचेंगे तो उनका कुछ लाख रुपये का टैक्स बच जाएगा। उसे लग रहा था कि ये लोग सरकारी टैक्स बचाने के लिए उसका इस्तेमाल कर रहे हैं, पर अब समझ आया कि वे ठगी कर रहे थे। एसपी सिटी ने बताया कि दीपक ने 16 अक्तूबर को लेखपाल सावन कुमार से महिला से मुलाकात कराई थी। 18 अक्तूबर को उसका फर्जी आधार कार्ड बनवाया गया। 19 अक्तूबर को रेनू की वसीयत हुई। 21 अक्तूबर को उसका बैंक में खाता खुलवाया गया। उसी बैंक में कथित खरीदार अमित का खाता खुला।

24 अक्तूबर को महिला के पीलीभीत के पते को नवाबगंज (बरेली) में बसीनगर के पते पर करवाया गया। इसके बाद 1760 वर्गगज के प्लॉट के आठ बैनामे कराए गए। हर बैनामे की कीमत 37 लाख रुपये दिखाई गई। हर बार रेनू के खाते में पांच लाख रुपये ट्रांसफर हुए जो एक घंटे बाद ही अमित के खाते में ट्रांसफर किए गए।

एसपी सिटी ने बताया कि बारादरी के आकाशपुरम निवासी मोहम्मद इलियास ने तीन जनवरी को नई रिपोर्ट कराई कि उनके प्लॉट का फर्जी बैनामा कर लेखपाल सावन कुमार और उसके साथियों ने कब्जा कर लिया है। सावन ने अपने सहयोगियों अमित, चंदन खां, अंकित त्रिपाठी और रेनू के साथ मिलकर प्लॉट पर कब्जा कर लिया।

जांच में यह भी साफ हुआ कि अंकित, अंकिश और अंकेश एक ही व्यक्ति के तीन नाम हैं। वह ट्रांसपोर्टर विजय अग्रवाल का मैनेजर है। सूत्रों के मुताबिक ट्रांसपोर्ट कंपनी और रिसॉर्ट का मालिक विजय अग्रवाल ही गिरोह के पीछे है जो अंकित के सहारे सावन कुमार जायसवाल और अमित की आर्थिक मदद कर रहा था। पुलिस अब उसके खाते खंगाल रही है। फिलहाल, अंकित की गिरफ्तारी के बाद ही विजय की असली भूमिका का पता लगेगा।

55 साल की रेनू ने बताया कि सावन और उसके साथी उसका बहुत ख्याल रखते थे। वह उसे पीलीभीत से हर बार कार भेजकर बुलाते थे। बरेली में उसे अच्छे होटल में ठहराया जाता था। हालांकि, जब इन लोगों पर रिपोर्ट दर्ज होनी शुरू हुईं और लेखपाल को पकड़ा गया तो गिरोह के अन्य सदस्यों ने उसे स्टेशन रोड के एक होटल में दो दिन तक बंद रखा। दो दिन बाद उनसे झगड़ा कर वह रेलवे कॉलोनी सुभाषनगर में दीपक की मां (अपनी ननद) के घर चली गई। वहां उसे धमकाया गया कि अपना मोबाइल बंद करके कहीं चली जाओ वर्ना पकड़ी जाओगी।

एसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि निलंबित लेखपाल सावन कुमार गिरोह में शामिल रेनू को एसआईटी ने गिरफ्तार कर लिया है। जांच में पता लगा है कि रेनू को आरोपियों ने नकद केवल 15 हजार रुपये ही दिए थे। वह उसे धोखे में रखकर काम करा रहे थे। गिरोह पर 13 मुकदमे हो चुके हैं और चार लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। अन्य आरोपियों को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।