दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में 2200 करोड़ के शराब घोटाले में क़ानूनी दांवपेचों का फायदा उठाकर तमाम आरोपी राज्य की बीजेपी सरकार के सुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल खड़ा कर रहे है। इस बीच वरिष्ठ बीजेपी नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने राज्य सरकार और पीएमओ को शराब घोटाले की असलियत से अवगत कराते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। गुप्ता ने प्रदेश के मुख्य सचिव और प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में अदालती कार्यवाहियों का हवाला देते हुए जांच कार्यवाही पर एतराज भी जताया है।

उन्होंने घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच की मांग की है। गुप्ता ने कहा है कि छत्तीसगढ़ समेत झारखंड और उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में घोटालेबाजों की तिकड़में सामने आने के बाद उच्च स्तरीय जांच बेहद जरुरी है। गुप्ता के मुताबिक, अदालती पटल पर जांच एजेंसियों के सबूत और दस्तावेजी प्रमाण कभी ना काफी तो कभी कमजोर साबित हो रहे है, आरोपियों के क़ानूनी दांवपेचों के आगे जांच एजेंसियां भी अदालत में घिर रही है।


उनके मुताबिक सुनवाई के दौरान अदालत ने कई मौकों पर जांच एजेंसियों को ना केवल फटकार लगाई है, बल्कि विधि संगत कार्यवाही ना होने के चलते विवेचना को ही कटघरे में खड़ा किया है। छत्तीसगढ़ शासन का पक्ष भी अदालत के समक्ष मजबूती के साथ जाहिर नहीं करने से घोटालेबाजों को सीधे तौर पर संदेह का लाभ प्राप्त हो रहा है। मौजूदा कार्यवाहियों में शराब घोटाले के ज्यादातर आरोपियों की दलीले अदालत में रंग ला रही है। उनके मजबूत पक्ष और क़ानूनी तिकड़मों से प्रदेश की एजेंसियां दो-चार हो रही है।

शराब घोटाले के आरोपियों को सबक सिखाने के लिए नरेश चंद्र गुप्ता ने एक बार फिर कमर कस ली है। सियासी गलियारे में गुप्ता उस समय चर्चा में आये थे, जब तत्कालीन भूपे सरकार की शिकायत उन्होंने ED और EOW से की थी। गुप्ता का मानना है कि शराब घोटाले में शामिल ऐसे आरोपी जमानत का लाभ पाने में पहली कतार में खड़े नजर आ रहे है, जो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए है। जबकि उनके क़ानूनी दांवपेचों से कभी विवेचना तो कभी गिरफ्तारी के तौर तरीकों को लेकर जांच एजेंसियां अदालत में घिर रही है। ताजा हालात से रूबरू, बीजेपी के वरिष्ठ नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने शराब घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की है।

गुप्ता ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में घोटाले के तमाम आरोपियों के सस्ते में छूटने पर आपत्ति दर्ज कराई है। विवेचना में पेशेवर तरीका ना अपनाये जाने को लेकर गुप्ता ने छत्तीसगढ़ शासन की कार्यवाही को अपर्याप्त बताते हुए प्रकरण की सीबीआई जांच की सिफारिश किये जाने पर जोर दिया है। गौरतलब है कि शराब घोटाले के ज्यादातर आरोपी क़ानूनी दांवपेचों का फायदा उठाते हुए राज्य की बीजेपी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की बखियाँ उधेड़ रहे है। नरेश चंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मय दस्तावेज’ पत्र लिखकर सीबीआई जांच को जरुरी बताया है।

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में मुख्य आरोपियों में से एक अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद ED के गलियारों में सरगर्मियां तेज है। एजेंसियां अदालती दस्तावेजों के अध्ययन में जुटी है। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में जुटी ED की टीम को शराब घोटाले के कई ऐसे दस्तावेजी प्रमाण हाथ लगे है, जिससे साबित होता है कि राज्य सरकार की तिजोरी पर सुनियोजित रूप से हाथ साफ किया जा रहा था। वही तत्कालीन भूपे सरकार का संरक्षण होने के चलते आरोपियों की पौ-बारह थी।
वे हवाला के तमाम स्रोतों को अमल में लाते हुए बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग में जुटे हुए थे। शराब घोटाले की रकम कों देश-प्रदेश से लेकर दुबई तक ठिकाने लगाए जाने के कई प्रमाण विवेचना के दौरान सामने आये है। सूत्र तस्दीक करते है कि कोलकता, दिल्ली और मुंबई के कई बड़े हवाला कारोबारी अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, विधु गुप्ता और अनवर ढेबर से सम्बद्ध पाए गए है।




2200 करोड़ के शराब घोटाले में सरकारी सिस्टम, संपत्ति और नागरिकों के स्वास्थ्य में नुकसान के बावजूद शराब घोटाले के तमाम आरोपियों से जब्ती की रकम महज 300 करोड़ तक सिमटना एजेंसियों की नाकामी की ओर इशारा कर रहा है। बीजेपी नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने कई अदालती दस्तावेजों को संलग्न कर राज्य सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्यवाही से मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन को अवगत कराते हुए सीबीआई जांच को अनिवार्य बताया है। सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि राज्य सरकार को लिखे पत्र के अलावा वरिष्ठ बीजेपी नेता गुप्ता ने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी जांच एजेंसियों की प्रगति से वाकिफ कराया है।

शराब घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हर माह 2 करोड़ प्राप्त होते थे। जबकि कई सरकारी अधिकारी और आबकारी अमला अवैध कारोबार को क़ानूनी शक्ल देते हुए सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ कर रहा था। इन्हे भी प्रतिमाह लाखों प्राप्त होते थे। आबकारी महकमे के जिम्मेदार अधिकारियों को घोटाले के फरमान राज्य सरकार की ओर से प्राप्त होते थे। इसमें तत्कालीन सुपर सीएम अनिल टुटेजा और कारोबारी ढेबर की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है। बीजेपी नेता ने अदालती दस्तावेज संलग्न कर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को आरोपियों के क़ानूनी तिकड़मों से अवगत कराते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि अब तक की विवेचना में पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल को घोटाले से बचाने के लिए जांच बिंदुओं का रुख ही पलट दिया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया है कि आबकारी अमले ने घोटाले की असलियत पर पर्दा डालते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल को परे रखकर अपने बयान दर्ज कराये है। गुप्ता के मुताबिक इस घोटाले में लिप्तता के बावजूद तमाम संदेहियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल का बचाव करते हुए उनके खिलाफ चुप्पी साधे रही। गुप्ता ने दस्तावेजी प्रमाण जाहिर करते हुए अपने पत्र में कहा है कि आबकारी अमले ने अपने बयानों में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के नाम का जिक्र तक नहीं किया है। उनके बयानों में असली खिलाड़ी के नाम तक लेने से परहेज बरतने का मामला काफी गंभीर है। इसकी सीबीआई जांच के पर्याप्त आधार भी अदालती कार्यवाही के दौरान सामने आये है।

इधर पीएमओ और राज्य सरकार को भेजे गए शिकायती पत्र के सामने आने के बाद बीजेपी नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि प्रदेश की बीजेपी सरकार घोटालों की तह तक जा रही है। उनका दावा है कि चूँकि शराब घोटाले का मामला सिर्फ छत्तीसगढ़ तक ही नहीं बल्कि झारखंड और उत्तरप्रदेश तक फैला हुआ है। इसमें दिल्ली जैसे बड़े राज्यों के शराब माफिया भी लिप्त है। उन्होंने कहा कि झारखंड में शराब घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की गई है।

लिहाजा प्रदेश में अंजाम दिए गए शराब घोटाले की कड़ी एक दूसरे राज्यों से जुड़ने के चलते यहाँ भी सीबीआई जांच की मांग पर वे जोर दे रहे है। उन्होंने कहा कि पार्टी का निर्देश साफ है, घोटालेबाज किसी भी सूरत में नहीं बचने चाहिए, इसलिए उन्होंने पत्र लिख कर सरकार को हालात से अवगत कराया है। एक प्रश्न के जवाब में गुप्ता ने कहा कि साय सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अमल में ला रही है। ऐसे समय पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के घोटालेबाजों को बेनकाब कर जनता के साथ न्याय की राह तय की गई है।