मौत की छलांग: सांवले रंग ने ली छात्र की जान, 15वीं मंजिल से कूदकर की ख़ुदकुशी, फब्तियों ने कर दिया था बेचैन, जाने पूरा मामला 

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नोएडा / राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में एक छात्र ने अपने सांवले रंग से तंग आकर आत्महत्या कर ली। सेक्टर-49 कोतवाली क्षेत्र के सेक्टर-78 स्थित महागुन मॉडर्न सोसाइटी में 11वीं कक्षा के एक छात्र ने 15वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी। शनिवार तड़के सुबह जब सोसाइटी के लोग वॉक पर निकले तब उन्हें घटना की जानकारी मिली। सुरक्षा गार्डों ने पुलिस को मामले को सूचित कर परिजनों को इसके बारे में बताया। 17 वर्षीय छात्र संयम के कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। परिजनों का कहना है कि छात्र अपने सांवले रंग को लेकर तनाव में रहता था। हाल ही में उसके रंग पर किसी ने टिप्पणी कर दी थी जिससे वह परेशान था। पुलिस इसी वजह से आत्महत्या की आशंका जता रही है। हालांकि मामले की जांच जारी है।

थाना अध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि बंगलुरु के रहने वाले प्रशांत गढियार सेक्टर-78 स्थित महागुन मार्डन सोसाइटी में 15वीं मंजिल पर बने फ्लैट में रहते हैं। सेक्टर-142 स्थित मोबाइल कंपनी में नौकरी करने वाले प्रशांत गढियार परिवार समेत महागुन मॉडर्न सोसाइटी में रहते हैं। उनका बेटा संयम शहर के एक नामी स्कूल में 11वीं में पढ़ाई कर रहा था। शनिवार तड़के करीब 4:30 बजे संयम ने सोसाइटी की 15वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। करीब 5:30 बजे जब सोसाइटी निवासी मार्निंग वॉक के लिए निकले तो छात्र का शव पड़ा देखकर सुरक्षा गार्ड और पुलिस को सूचना दी ।

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छात्र की पहचान होने के बाद परिजनों को सूचना दी गई। पिता ने उसको एक  नजदीक के अस्पताल ले गए। यहां डॉक्टरों ने छात्र को मृत घोषित कर दिया। थानाध्यक्ष ने बताया कि छात्र पढ़ने में होशियार और मिलनसार था। उसका रंग सांवला था जिसे लेकर किसी ने कभी टिप्पणी कर दी थी और रंग को लेकर अकसर परेशान रहता था। इससे पहले भी एक बार छात्र ने इसी तरह का प्रयास किया था। उस समय भी वह तनाव में था लेकिन माता-पिता को समय से पता चलने के कारण उसे समझाबुझा दिया था। कुछ दिन से वह इसी बात को लेकर फिर परेशान था और परिजन लगातार उसे समझाने का प्रयास कर रहे थे। कक्षा-8 से कक्षा ग्रेजुएशन तक का समय बच्चे के लिए बेहद संवेदनशील होता है। इस उम्र में बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। इस समय बच्चे के मन में अलग-अलग विचार आते रहते हैं। कई बार छोटी सी बात को वह मन से लगा लेते हैं। चाहे पढ़ाई की हो या फिर परिवार की। इसलिए इस समय बच्चों को बेहतर माहौल देना चाहिए।