देहरादून / पश्चिम बंगाल, केरल समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद बारी उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड की है। दोनों ही राज्यों में इन दिनों राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। उत्तरप्रदेश में कांग्रेस ब्राह्मण कार्ड खेल सकती है। लेकिन उत्तराखंड में उसके पास कोई मजबूत हथियार नहीं है। लिहाजा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में जोर-आजमाइश शुरू हो गया है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने पार्टी की ओर से खुद को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की जरूरत पर जोर दिया है। इतना ही नहीं इसके लिए उन्होंने खुद की दावेदारी पेश करते हुए आलाकमान से अपनी मुहर लगाने का दांव भी खेला है।
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रावत ने कहा कि अगर पार्टी उन्हें यह जिम्मेदारी देती है तो इसे पूरी तरह निभाएंगे। इसके साथ ही दबी जुबान से ही सही रावत ने यह भी कहा कि यदि किसी दूसरे का चयन करती है तो भी वह उसका पूरा सहयोग करेंगे। हरीश रावत ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया तो भाजपा अपने संगठन और धनबल की बदौलत आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पर भारी पड़ सकती है। रावत ने कहा कि पार्टी के सामने चुनाव में कोई असमंजस नहीं होना चाहिए और जनता के सामने यह स्पष्ट होना चाहिए कि कौन चेहरा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए यह जरूरी है क्योंकि भाजपा हर चुनाव को ‘मोदी बनाम कांग्रेस के स्थानीय नेता’ बना देती है।
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इससे पहले रावत ने अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिए भी पार्टी से चेहरा घोषित करने की मांग की थी। हालाँकि इसके बाद से वह प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के निशाने पर आ गए थे। उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात नहीं है, गुटबाजी के कारण ही 2016 में कांग्रेस में बड़ी टूट हुई थी। रावत के सीएम का चेहरा घोषित करने की मांग पर उनकी ही पार्टी की वरिष्ठ नेता इंदिरा ह्रदयेश ने दो टूक कहा था, ‘2017 में हरीश रावत को चेहरा बनाकर पार्टी 11 विधायकों पर सिमट गई थी, इसलिए चेहरे पर रिस्क नहीं ले सकते। इससे पहले भी पार्टी ने चुनाव लड़े हैं लेकिन कभी चेहरा घोषित नहीं किया।’ सो इससे साफ समझा जा सकता है कि पार्टी में गुटबाजी किस कदर हावी है |
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कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने दावा किया था कि आने वाले समय में बीजेपी के कई विधायक कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं। इतना ही नहीं इंदिरा ह्रदेश ने दावा किया था कि हाईकमान का इशारा मिलते ही इन बीजेपी विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर लिया जा सकता है।