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वकील पति को लेकर भटकती रही महिला, कई अस्पतालों ने सिर्फ कोरोना संक्रमितों को भर्ती करने का हवाला देकर इलाज से किया इनकार, हार्ट अटैक से मौत

मुंबई वेब डेस्क / देश में जारी लॉक डाउन के चलते ज्यादातर निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद है | जबकि ज्यादातर सरकारी अस्पतालों के दरवाजे सिर्फ कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए खुले हुए है | सामान्य बीमारी हो या फिर गंभीर मरीज, उन्हें दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है | कड़ी जद्दोजहत के बाद उन मरीजों को अस्पताल में दाखिला मिल पाता है | ऐसे मरीज भाग्यशाली होते है | लेकिन इस आपाधापी में एक मरीज की जान चले गई | घटना नवी मुंबई की है |

यहाँ एक महिला उस वक्त पूरी तरह बेबस हो गई जब दो अस्पतालों ने पेशे से वकील उसके पति को भर्ती करने से इनकार कर दिया। महिला के पति को दिल का दौरा पड़ा था। एंबुलेंस में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ने के बाद 56 वर्षीय जयदीप सावंत को एक चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया | 

सावंत की पत्नी दीपाली ने न्यूज़ टुडे से कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉक डाउन के शुरुआती दिनों में, उनके पति ने परेशान पड़ोसियों को जरूरी सामान पहुंचाने की पहल की थी लेकिन जब उनका वक़्त आया, तो उन्हें समय से मदद न मिलने के कारण उनकी मौत हो गई। नवी मुंबई के वाशी इलाके के सेक्टर-17 के निवासी सावंत को दिल का दौरा पड़ा था। लॉक डाउन के चलते वे घर पर ही थे और दिन का खाना बनाने में व्यस्त थे |

लंच करने के बाद वह अचानक बेहोश हो गए थे। उनकी पत्नी ने कहा कि उनकी नब्ज चल रही थी। घर पर वे जिंदा थे। उन्होंने तुरंत एंबुलेंस बुलाई और उन्हें पास के अस्पताल में ले जाया गया। यहाँ उन्हें निराशा हाथ लगी | दीपाली ने बताया कि अस्पताल के सुरक्षा गार्ड ने गेट तक नहीं खोला। उन्होंने कहा कि वे बस कोविड-19 मरीजों को भर्ती करते हैं और किसी अन्य आपात मामले को नहीं। 

इसके बाद वे सेक्टर 10 के निगम अस्पताल गई, लेकिन यहाँ भी कोरोना पेसेंट को ही भर्ती करने का हवाला देकर उन्हें भीतर तक नहीं जाने दिया गया। इसके बाद वे नेरूल के डी वाई पाटिल अस्पताल गए। यहाँ पहुंचते ही उनके पति की सांसे उखड गई | सावंत की पत्नी ने कहा कि जब तक हम वहां पहुंचे, 30 मिनट बर्बाद हो चुके थे | यहाँ उनके पति को मृत घोषित कर दिया गया। 

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पीड़ित परिवार ने सवाल किया कि क्या लॉक डाउन के दौरान कोरोना के अलावा कोई मेडिकल आपात स्थिति नहीं हो सकती है? क्या अस्पतालों द्वारा आपातकालीन चिकित्सा सहायता की आवश्यकता वाले रोगियों को मना करना सही है। उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र को आगाह किया कि इस तरह के गंभीर मामलों के इलाज के लिए सभी अस्पतालों को निर्देशित किया जाये | वर्ना रोजाना सैकड़ों लोगो की जान इस तरह भटकने से चली जाएगी |

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