
जोधपुर / लद्दाख। लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेज दिया गया। यह गिरफ्तारी लद्दाख में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दो दिन बाद हुई, जिनमें चार लोग मारे गए और 90 से अधिक घायल हुए। वांगचुक पर प्रदर्शनकारियों को भड़काने वाले बयानों का आरोप है, जबकि वे 10 सितंबर से 15 दिनों का अनशन कर चुके थे, जिसमें उन्होंने छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य की मांग की थी।
24 सितंबर को लद्दाख में पूर्ण राज्य की मांग को लेकर शटडाउन हिंसा में बदल गया। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और सरकारी वाहनों पर हमला किया। वांगचुक ने अनशन तोड़कर हिंसा रोकने की अपील की, लेकिन सरकार ने उनके भाषणों को उकसावे वाला बताया। आरोप है कि उन्होंने अरब स्प्रिंग और नेपाल के जेन-जेड प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए भीड़ को भड़काया।
गृह मंत्रालय ने वांगचुक के एनजीओ का एफसीआरए प्रमाणपत्र रद्द कर दिया है, विदेशी फंडिंग उल्लंघन के आरोप में। केंद्र ने लद्दाख एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस से बातचीत जारी रखी, लेकिन वांगचुक की गिरफ्तारी ने वार्ता पर साया डाल दिया।
राजनीतिक मोर्चे पर बीजेपी ने कांग्रेस पार्षद फुंट्सोग स्टैंजिन त्सेपाग पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस ने मौतों की न्यायिक जांच की मांग की। वांगचुक ने आंदोलन को कांग्रेस से अलग गैरराजनीतिक बताया। इस घटना ने लद्दाख की एकजुट मांगों पर नई राजनीतिक चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।