जानिए आखिर क्यों मनाया जाता है रंगों का त्योहार ”होली” और कितने दिनों की होती है त्योहार

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होली की शुरुआत बसंत पंचमी से हो जाती है. हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है. होली रंगों का पर्व है. यह फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

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विशेषकर यह पर्व रंगों का पर्व है. इस दिन लोग एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर पर्व की बधाई देते हैं. होली बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है. इस साल 18 मार्च 2022 को होली मनाई जाएगी. होली का त्यौहार सारे गिले शिकवे मिटाकर एक साथ पर्व मनाने का त्यौहार है. होली के पहले दिन होलिका जलाई जाती है. फिर दूसरे दिन धुलेंडी , धुरड्डी, धुरखेल और धूलिवंदन होता है. यानि की लोग एक दूसरे को रंग लगातार होली खेलते हैं. सुबह से दोपहर तक लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं. उसके बाद स्नान आदि कर शाम को नए कपड़े पहनकर एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं

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होली के तीन चरण
होली पर्व को भी तीन दिन तक मनाया जाता है. इस त्यौहार के तीन चरण होते हैं.

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पहले दिन होता है होलिका दहन: होली पर्व के पहले दिन होलिका दहन होता है. इस दिन भारत के कई शहरों में लोग होलिका दहन करते हैं. इस बार हिंदू पंचांग के मुताबिक होलिका दहन 17 मार्च 2022 को है.

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होलिका दहन के दूसरे दिन मनाई जाती है होली: होलिका दहन के दूसरे दिन होली मनाने का रिवाज है. इस दिन लोग रंग और अबीर से एक दूसरे को रंगते हैं. इसे धुलेंडी , धुरड्डी, धुरखेल और धूलिवंदन के नाम से भी जाना जाता है.

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होली के पांचवें दिन मनाई जाती है रंग पंचमी: होली के पांचवे दिन रंग पंचमी मनाई जाती है. यह होली उत्सव का अंतिम दिन होता है. बसंत पंचमी से शुरू हुई होली रंग पंचमी को खत्म होती है. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में रंग पंचमी पर विशेष आयोजन होते हैं. लोग इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पूजा करते हैं

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जानिए होली पर कैसे हुई रंग लगाने की शुरुआत

हिंदू धर्म शास्त्रों और पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण श्याम वर्ण यानी की सांवले रंग के थे. जबकि राधा गोरी थी. इस बात पर भगवान श्रीकृष्ण राधा से हमेशा जलते थे. वह अपनी मां यशोदी से कहते थे कि वह सांवलें रंग के क्यों हैं और राधा क्यों गोरी है.

बार-बार श्रीकृष्ण के सवाल पूछने पर मां यशोदा ने कहा कि होली पर तुझे जो रंग पसंद हो वह रंग तू राधा को लगा देना. इसके बाद से भगवान कृष्ण ने होली के दिन राधा को मनचाहे रंग में रंग दिया. इस दिन से होली में रंग लाने की शुरुआत हो गई. इसलिए श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा में होली का पर्व बेहद खास होता है. यहां वृंदावन और गोकुल में जबरदस्त होली खेली जाती है.