Court on Sexual relations: सहमति से संबंध बनाने के बाद शादी न करना रेप नहीं, केरल हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

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केरल हाई कोर्ट (High Court of Kerala) ने सहमति से बने यौन संबंध (Consensual Sex) को लेकर बड़ी टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई सहमति से यौन संबंध बनाने के बाद शादी करने से इनकार कर रहा है तो ये रेप के अपराध में नहीं आता है, जब तक कि यौन संबंध के लिए सहमति धोखे से या गुमराह कर नहीं ली गई हो. हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किए गए केंद्र सरकार के एक वकील को जमानत देते हुए ये टिप्पणी की. वकील पर उसकी सहकर्मी ने यह आरोप लगाया था.

सहमति से बने संबंध को नहीं माना जाएगा रेप
केरल हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर सहमति से पार्टनर रहे दो लोगों के बीच यौन संबंध शादी तक नहीं पहुंचता है तो भी ये सहमति से बनाए जाने वाले यौन संबंध को नुकसान पहुंचाने वाले किसी कारक के अभाव में रेप नहीं माना जाएगा.

न्यायमूर्ति थॉमस ने अपने आदेश में कहा, ‘सहमति से दो युवा पार्टनर के बीच बनाया गया यौन संबंध भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत तब तक रेप नहीं माना जाएगा, जब तक कि यौन संबंध के लिए सहमति छल से या गुमराह कर नहीं ली गई हो. बाद में शादी के लिए इनकार करना या संबंध के विवाह में तब्दील होने में नाकाम रह जाना ऐसे कारक नहीं हैं जो रेप के आरोप के लिए पर्याप्त हों.’

बगैर सहमति के बने संबंध को कहा जाएगा रेप
कोर्ट ने कहा कि एक पुरुष और एक महिला के बीच यौन संबंध रेप तभी माना जाएगा जब यह महिला की इच्छा या सहमति के बगैर बनाया गया हो या जबरन या छल से सहमति ली गई हो. कोर्ट ने कहा, ‘शारीरिक संबंध और विवाह के वादे के बीच एक सीधा संबंध अवश्य होना चाहिए.’

होईकोर्ट ने दी जमानत
गौरतलब है कि अभियोजन ने आरोप लगाया था कि नाथ ने पीड़िता से विवाह का वादा कर उसके साथ कई जगहों पर कई बार रेप किया, लेकिन बाद में किसी अन्य महिला से शादी करने का फैसला किया. वकील को एक लाख रुपये की जमानत राशि और इतनी ही रकम के दो मुचलके भरने पर जमानत दी गई.