रायपुर/नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल घोटालों को लेकर सुर्खियों में हैं। भू-पे के सिर्फ भ्रष्टाचार ही नही आपराधिक गुनाहों के मामले भी प्याज के छिलकों की तरह सामने आ रहे हैं। इन दिनों भ्रष्टाचार के महारथी ने राजनांदगांव लोकसभा सीट से सांसद बनने का सपना संजोया है। मतदाताओं को ध्यान रखना होगा कि भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं को सबक सिखाने के लिए उन्हें काफ़ी सोचना विचारना होगा। किसी भ्रष्ट शासक को दुबारा महिमामंडित करने से लोकतंत्र का माखौल उड़ने की आशंका बनी रहती है। लिहाजा जनता को भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसने के लिए अच्छे नेताओं के चयन में जोर देना चाहिए।राजनांदगांव संसदीय सीट में भू-पे के भ्रष्टाचार और निर्वृतमान बीजेपी सांसद संतोष पांडेय की स्वच्छ छवि के बीच सीधे मुकाबले के आसार हैं। इसमें नौजवान, बुजुर्ग और महिलाओं की खासी भूमिका नजर आ रही है, वे भ्रष्ट नेताओं की उम्मीदवारी को सिरे से खारिज कर रहे हैं।
प्रदेश की आम जनता, गरीब शोषित,पीड़ित, और आदिवासी समुदाय के लिए ये बड़ी चुनौती है कि उनको मूलभूत सुविधाएं मुहैय्या कराने के बजाए मुख्यमंत्री रूपी एक लुटेरे शासक ने सरकारी तिजोरी से ही करोड़ों पार कर दिए थे। ऑनलाइन सरकारी सिस्टम को ऑफलाइन कर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने रोजाना करोड़ों कमाए, घोटाले की रकम को अपने संगी साथियों की तिजोरी तक में भर दिया। फिर भी नेताजी ईमानदारी का राग अलाप कर मतदाताओं को भ्रमित करने में जुटे हुए हैं। बताते हैं कि इन दिनों वे भ्रष्टाचार से मुक्ति का राग अलाप रहे हैं।लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा देश भर में छाया हुआ है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले में जेल भेज दिए गए हैं। उनके वरिष्ठ मंत्री सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया भी जेल की हवा खा रहे हैं। दिल्ली का शराब घोटाला महज 2 हजार करोड़ से ज्यादा का नही है। जबकि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप है कि वर्ष 2018 से लेकर 2023 तक 20 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम हजम कर चुके हैं और डकार तक नही ले रहे हैं।बावजूद इसके केंद्रीय जांच एजेंसियों ने घोटालेबाज़ों को उनके असली ठिकाने में भेजने के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नही उठाए हैं।
राजनांदगांव लोकसभा सीट में यह मामला जोर पकड़ रहा है, जागरूक मतदाता पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे को “घोटालों का बाप” करार दे रहे हैं। चुनावी प्रचार और राजनीति में भू-पे के घोटालों ने कोहराम मचा रखा है।भ्रष्टाचार के महारथी की स्वतंत्रता और बेलगाम जुबान, दोनों एक बार फिर बीजेपी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा कर पीड़ित जनता को गुमराह कर रही है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी को विधान सभा चुनाव में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनादेश प्राप्त हुआ है। राज्य सरकार ने पीएससी घोटाले की CBI जांच के निर्देश दिए हैं। महादेव ऐप घोटाले समेत भ्रष्टाचार से जुड़े तमाम प्रकरणों में उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी गई है। कयास लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में भ्रष्टाचार के अन्य प्रकरण भी CBI को सौंपे जा सकते हैं। मौजूदा लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल बुरी तरह से घिर गए हैं। उनके खिलाफ 2200 करोड़ के शराब घोटाले में नामजद F.I.R. EOW ने दर्ज की है। बताते हैं कि केंद्र सरकार इसकी CBI जांच की शिफारिश कर सकती है।
यही नही 600 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले,5000 करोड़ के चांवल घोटाले,2000 करोड़ का दवा घोटाला,6000 करोड़ का महादेव ऐप घोटाला,2000 करोड़ का गौ धन चारागान, गौठान घोटाला और 2000 करोड़ का राइस मिलिंग घोटाला,1000 करोड़ का राजीव मितान क्लब घोटाला,PSC घोटाला समेत भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त भू-पे के खिलाफ मुंह बांए खड़ी है। कई मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री का कार्यालय ही भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा नज़र आ रहा है। इसके दस्तावेजी प्रमाण IT-ED ने अदालत में भी पेश किया है। भू-पे के अवैध वसूलीकर्ता, कई IAS और IPS अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के पुख्ता प्रमाण उजागर हो रहे हैं।बावजूद इसके घोटालों का महारथी भू-पे पूरी आजादी के साथ लोकतंत्र का माखौल उड़ा रहा है।राजनांदगांव के कई मतदाता पूछ रहे हैं कि आखिर उसकी गिरफ्तारी कब होगी ? जनता, यह भी सवाल पूछने लगी है कि महादेव ऐप घोटाले में मोदी गारंटी आखिर किस तरह कार्य कर रही है ?
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री बघेल अपने मात्र 5 साल के कार्यकाल में 85 हजार करोड़ का कर्ज लेकर प्रदेश के चंहुमुखी विकास का दावा कर रहे हैं। इतनी बड़ी रकम आखिर कहां चली गई ? मतदाताओं को तो प्रदेश में बीते 5 सालों में हुआ विकास दूर दूर तक नजर नही आ रहा है।जबकि दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने 15 वर्ष के कार्यकाल में कुल 85 हजार करोड़ का कर्ज लिया था।इस रकम से मौजूदा आधुनिक और प्रगतिशील छत्तीसगढ़ विकसित हो रहा है। बताते हैं कि वर्ष 2018 से पूर्व निर्मित सड़कें, फ्लाईओवर, भवन और सरकारी इमारतें भी जस की तस खड़ी है। बीते 5 सालों में बघेल सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नही उठाए थे। मतदाता बताते हैं कि भू-पे का कार्यकाल एकतरफा भ्रष्टाचार और घोटालों के लिए पहचाना जाता है।छत्तीसगढ़ की लगभग सभी 11 लोकसभा सीटों में विकास का जायजा लेने के बाद धरातल में जो भी ज्यादातर निर्माण कार्य दिखाई दे रहे हैं, उसकी आधारशिला और शिलान्यास पट्टिकाओ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का नाम दर्ज है।
गांव गांव में बीजेपी शासनकाल में निर्मित भवनों और इमारतों को देखा जा सकता है, लेकिन कांग्रेस की भू-पे सरकार ने कहां और कैसा निर्माण कराया था,उसकी बानगी देखने को मिल रही है। वे गुणवत्ता विहीन इमारतें भू-पे सरकार की पहचान बन चुकी हैं। बताते हैं कि ज्यादातर निर्माण कार्यों में सिर्फ खानापूर्ति की गई है। गांव कस्बों के सामाजिक भवनों में चस्पा कई पट्टियों में रमन सिंह के अलावा उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों और बीजेपी नेताओं का नाम भी दर्ज है। ये भवन बताते हैं कि विकास सही दिशा की ओर बढ़ रहा था। पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल के दौर में निर्मित परिसरों और विकास योजनाओं का ढूंढे ना दिखाई देना बताता है कि बीते 5 सालों में ग्रामीण अंचलों की सुध तक नही ली गई थी।भ्रष्टाचार चरम पर था, सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन गया था।कांग्रेस सरकार की योजनाएं जरूरतमंदो तक नही पहुंच पाई थी। जबकि सरकारी तिजोरी से रोजाना जन-कल्याण के नाम पर करोड़ों का भुगतान हो रहा था। बताते हैं कि यह रकम हवाला के जरिए देश-विदेश तक भेजी गई थी। भू-पे गिरोह का कारोबार दुबई और खाड़ी देशों में फैला बताया जाता है।ED ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि महादेव ऐप घोटाले में सटोरियों ने दुबई से फरमान जाहिर कर करीब 508 करोड़ भू-पे को भेजे थे।
इसमें से 8 करोड़ की रकम की जब्ती भू-पे के करीबी ड्राईवर असीम दास उर्फ बप्पा से हुई थी।बताते हैं कि भू-पे राज में मुख्यमंत्री कार्यालय ही भ्रष्टाचार का केंद्र था। कई लोग बताते हैं कि प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को कर्जदार बनाकर भू-पे तो चल निकले,लेकिन उनके भ्रष्टाचारों का खामियाजा आज भी आम जनता को भोगना पड़ रहा है।प्रदेश का प्रत्येक नागरिक लगभग 50 हजार रुपए का घर में बैठे बिठाए कर्जदार बन गया है। नेताजी घोटाले करें और जनता टैक्स से लदे, भू-पे सरकार की इसी मंशा के चलते राज्य की छवि भ्रष्टाचार के गढ़ के रूप में उभर रहीं थीं।कई मतदाता तस्दीक करते हैं कि भू-पे का विकास चाइना मॉडल की तर्ज का था, जो बिलों के भुगतान के बाद नष्ट भी हो गया। जन-धन की ऐसी लुट मची की तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ चपरासी से लेकर अधिकारी तक रातोंरात मालामाल हो गए। यहां तक कि भू-पे और उनके करीबी रिश्तेदार (साले) विनोद वर्मा ने कांग्रेस पार्टी तक को नही छोड़ा। पार्टी सचिव अरूण सिंह सिसोदिया ने तो कांग्रेस आलाकमान को पत्र लिखकर सूचित किया है कि बगैर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के अनुमति के विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी को 5 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर दिया गया।
जबकि कार्य सिर्फ कागजों में ही नजर आया था। मतदाता तस्दीक कर रहे हैं कि किसी लुटेरे के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो जाने से लोकतंत्र हादसे का शिकार हो गया है। राज्य की लगभग ढ़ाई करोड़ की आबादी को घर में बैठे बिठाए भू-पे ने कर्जदार बना दिया है।बताते हैं कि सत्ता और सरकार की मलाई सिर्फ भू-पे और उसका गिरोह चांट गया। जबकि निष्ठावान कांग्रेसी कार्यकर्त्ता कांग्रेस को मजबूत करने में व्यस्त रहे।प्रदेश के कई इलाकों के मतदाता तस्दीक कर रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल मौजूदा मुख्यमंत्री केजरीवाल का बाप है। केजरीवाल इन दिनों जेल में हैं। अब बारी उसके घोटालों के बाप की है। अब उसे भी जल्द से जल्द जेल भेजा जाना चाहिए। मतदाताओं को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से काफी उम्मीदें हैं। उनका मानना है कि सरकार गठन के महीने भर में आम किसानो की मांगे पूरी कर तो कभी महिलाओं को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने की योजना लागू कर साय ने विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना जाहिर की है। वे कहते हैं कि भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने में साय सरकार कतई हीलाहवाली नही बरतेगी।
पर था, सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन गया था।कांग्रेस सरकार की योजनाएं जरूरतमंदो तक नही पहुंच पाई थी। जबकि सरकारी तिजोरी से रोजाना जन-कल्याण के नाम पर करोड़ों का भुगतान हो रहा था। बताते हैं कि यह रकम हवाला के जरिए देश-विदेश तक भेजी गई थी। भू-पे गिरोह का कारोबार दुबई और खाड़ी देशों में फैला बताया जाता है।ED ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि महादेव ऐप घोटाले में सटोरियों ने दुबई से फरमान जाहिर कर करीब 508 करोड़ भू-पे को भेजे थे। इसमें से 8 करोड़ की रकम की जब्ती भू-पे के करीबी ड्राईवर असीम दास उर्फ बप्पा से हुई थी।बताते हैं कि भू-पे राज में मुख्यमंत्री कार्यालय ही भ्रष्टाचार का केंद्र था।
कई लोग बताते हैं कि प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को कर्जदार बनाकर भू-पे तो चल निकले,लेकिन उनके भ्रष्टाचारों का खामियाजा आज भी आम जनता को भोगना पड़ रहा है।प्रदेश का प्रत्येक नागरिक लगभग 50 हजार रुपए का घर में बैठे बिठाए कर्जदार बन गया है। नेताजी घोटाले करें और जनता टैक्स से लदे, भू-पे सरकार की इसी मंशा के चलते राज्य की छवि भ्रष्टाचार के गढ़ के रूप में उभर रहीं थीं।कई मतदाता तस्दीक करते हैं कि भू-पे का विकास चाइना मॉडल की तर्ज का था, जो बिलों के भुगतान के बाद नष्ट भी हो गया।
जन-धन की ऐसी लुट मची की तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ चपरासी से लेकर अधिकारी तक रातोंरात मालामाल हो गए। यहां तक कि भू-पे और उनके करीबी रिश्तेदार (साले) विनोद वर्मा ने कांग्रेस पार्टी तक को नही छोड़ा। पार्टी सचिव अरूण सिंह सिसोदिया ने तो कांग्रेस आलाकमान को पत्र लिखकर सूचित किया है कि बगैर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के अनुमति के विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी को 5 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर दिया गया। जबकि कार्य सिर्फ कागजों में ही नजर आया था। मतदाता तस्दीक कर रहे हैं कि किसी लुटेरे के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो जाने से लोकतंत्र हादसे का शिकार हो गया है। राज्य की लगभग ढ़ाई करोड़ की आबादी को घर में बैठे बिठाए भू-पे ने कर्जदार बना दिया है।
बताते हैं कि सत्ता और सरकार की मलाई सिर्फ भू-पे और उसका गिरोह चांट गया। जबकि निष्ठावान कांग्रेसी कार्यकर्त्ता कांग्रेस को मजबूत करने में व्यस्त रहे।प्रदेश के कई इलाकों के मतदाता तस्दीक कर रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल मौजूदा मुख्यमंत्री केजरीवाल का बाप है। केजरीवाल इन दिनों जेल में हैं। अब बारी उसके घोटालों के बाप की है। अब उसे भी जल्द से जल्द जेल भेजा जाना चाहिए। मतदाताओं को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से काफी उम्मीदें हैं। उनका मानना है कि सरकार गठन के महीने भर में आम किसानो की मांगे पूरी कर तो कभी महिलाओं को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने की योजना लागू कर साय ने विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना जाहिर की है। वे कहते हैं कि भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने में साय सरकार कतई हीलाहवाली नही बरतेगी।