आचार्य चाणक्य के मुताबिक युवा अवस्था एक धन के समान है। जिस प्रकार धर्म में साधना का महत्व है, उसी तरह युवा अवस्था में हर इंसान को ज्ञान और संस्कार पाने के लिए शरीर को तपाना पड़ता है।
जब जाकर इंसान के व्यक्तित्व में निखार आता है। चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को भविष्य में अच्छे जीवन के लिए युवावस्था में ही तपना पड़ता है। ऐसे में हर युवा को युवावस्था में सजग और सतर्क रहना चाहिए। क्योंकि इस उम्र में थोड़ी लापरवाही भी भविष्य में भारी पड़ती है। इसलिए युवावस्था में हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए।