बंगलूरू: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को कर्नाटक हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। बता दें कि, हाईकोर्ट ने एक नाबालिग से यौन उत्पीड़न के मामले में उनके खिलाफ दर्ज पॉक्सो केस को खारिज करने से मना कर दिया है और मामले को ट्रायल कोर्ट में वापस भेज दिया। लेकिन इसके साथ ही उन्हें आंशिक राहत देते हुए उच्च न्यायालय ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना, जिन्होंने पहले येदियुरप्पा को गिरफ्तारी के खिलाफ अंतरिम संरक्षण दिया था, ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया।
बीएस. येदियुरप्पा पर भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के साथ-साथ बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह मामला पिछले साल 14 मार्च को 17 वर्षीय एक लड़की की मां की शिकायत पर दर्ज किया गया था।
महिला ने आरोप लगाया था कि येदियुरप्पा ने दो फरवरी को यहां डॉलर्स कॉलोनी में अपने आवास पर एक भेंट के दौरान उसकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया था। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न के लिए पोक्सो अधिनियम की धारा 8 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (ए) के तहत येदियुरप्पा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
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इस मामले की सुनवाई के दौरान, येदियुरप्पा के वकील ने आरोपों से इनकार करते हुए तर्क दिया कि मां और बेटी ने पहले भी एक पुराने मामले के संबंध में उनसे संपर्क किया था जिसमें लड़की का किसी अन्य व्यक्ति की तरफ से यौन उत्पीड़न किया गया था। हालांकि, राज्य अभियोजन पक्ष ने दावों का खंडन करते हुए तर्क दिया कि येदियुरप्पा के खिलाफ पर्याप्त सबूत है और नाबालिग का यौन उत्पीड़न करने का आरोप एक ‘जघन्य’ अपराध है जिसके लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट के फैसले से संज्ञान आदेश को रद्द करके येदियुरप्पा को राहत मिली है, लेकिन मामले की जांच जारी है और ट्रायल कोर्ट में आगे की कार्रवाई होगी। वरिष्ठ अधिवक्ता सीवी नागेश ने येदियुरप्पा का प्रतिनिधित्व किया, जबकि विशेष सरकारी वकील प्रोफेसर रविवर्मा कुमार और अधिवक्ता एस बालन शिकायतकर्ता के परिवार की ओर से पेश हुए।