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मेरे देश की धरती: यहां कर्म ही पूजा है,खेती के भरोसे आई गांव में समृद्धि,आपस में ही सुलह कर निपटा लेते हैं विवाद…

रायपुर:- छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिला मुख्यालय से लगभग 49 किमी दूर ग्राम जाताघरा.गांव में पहुंचकर आपको जाताघरा निपट देहात लगेगा, मगर लोगों की समृद्धि और लाइफ स्टाइल देखकर आप दंग रह जाएंगे। वह भी सिर्फ खेती के भरोसे। कई किसानों का खेती कारोबार सालाना करोड़ तक पहुंच गया है।90-100 परिवार या यूं कहें बमुश्किल 700 आबादी वाले इस गांव के हर तीसरे-चौथे घर में आज की जरूरत की वह सभी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं जो शहर के नौकरीपेशा व कारोबार वाले बड़े घरों में होती है। मसलन इस छोटे से गांव में 25 कारें हैं। 45 घरों में एसी लगे हैं। बहुत से घरों में मॉड्यूलर किचन है। फ्रिज, कूलर वाशिंग मशीन, मिक्सर ग्राइंडर जैसे इलेक्ट्रानिक उपकरण भी यहां के ज्यादातर घरों में मिल जाएंगे। हर किसी के पास महंगे स्मार्टफोन है। लगभग 30 जर्मन शेफर्ड व लेब्राडोर (डॉग) हैं। 70 ट्रैक्टर व कृषि से संबंधित अन्य मशीनरी हैं। 

सांकेतिक चित्र

गांव में यह समृद्धि खेती से आई है। यूं तो गांव में खेती का कुल रकबा लगभग 1400 एकड़ है। इनमें ज्यादातर खेती पटेल परिवारों के पास ही है। 50 से लेकर 100 एकड़ तक। जिन लोगों के पास दो-चार एकड़ या बिलकुल भी खेत नहीं है, वे दूसरों से रेग में जमीन लेकर खेती करते हैं। ज्यादातर लोग टमाटर, केला, पपीता जैसी नगदी फसलें उगाते हैं। टमाटर की खेती ने यहां के लोगों को लाल कर दिया है। इस साल कई किसान लखपति-करोड़पति बन गए हैं। यहां लोग सिर्फ खाने के लिए 50 एकड़ में धान उगाते हैं। 700 एकड़ में सब्जी और बाकी में सोयाबीन व चने की खेती करते हैं।

सांकेतिक चित्र

ग्राम प्रमुख तुलसीराम वर्मा बताते हैं कि यह गांव सहकारिता का भी एक अच्छा उदाहरण है। जिन लोगों के पास खेत नहीं है या कम रकबा है, उन्हें बड़े लोग अपनी जमीन रेग पर देते हैं। इससे सभी की कमाई हो जाती है। पूरे गांव का जीवन स्तर उठने का यह एक बड़ा कारण है। यूं तो गांव में विवाद नहीं होता, अगर कभी किसी से मनमुटाव हो भी जाए तो गांव के सियान लोग ही आपस में सुलह करा देते हैं। पुलिस थाना तक जाने की नौबत नहीं आती।

सांकेतिक चित

लोधी बहुल वाले इस गांव में गोंड़, राउत, साहू और इक्के-दुक्के यादव, मेहर व सतनामी है। लगभग 80 फीसदी मकान पक्के हैं। इस गांव में सिर्फ दो लोग ही सरकारी नौकरी में हैं। संतोष मरकाम प्रधान पाठक हैं और संदीप वर्मा आरईएस में इंजीनियर। बाकी एक का वकील का पेशा है और धनेश वर्मा ठेकेदार। बाकी पूरा गांव किसानों का है।

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