Kanpur Raid: कानपुर में एसएनके ब्रांड का पान मसाला बनाने वाले समूह, कन्नौज के इत्र कारोबारी और सप्लायरों के प्रतिष्ठानों पर आयकर विभाग की जांच लगातार तीसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रही। जांच में पता चला है कि बोगस फर्मों और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) के जरिये 700 करोड़ की बोगस इंट्री ली गई और दो नंबर की कमाई को एक नंबर में बनाया गया।
अब तक 500 करोड़ की संपत्तियों के दस्तावेज अफसरों को मिल चुके हैं। गोवा से लेकर दमन और दीव समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में खरीदी गईं संपत्तियों का पता चला है। समूह की ओर से दिल्ली, नोएडा और कानपुर में प्लाट, फैक्टरी, मॉल, रिसॉर्ट में भी बड़ा निवेश मिला है। बोगस फर्मों और एलएलपी की संख्या बढ़ती जा रही है।
अब तक ऐसी 16 और फर्मों व एलएलपी की जानकारी मिली है। अब इनकी संख्या बढ़कर 56 हो गई है। वहीं चार करोड़ के गहने व नकदी और मिली है। अब तक 35 करोड़ के गहने और नकदी मिल चुकी है, जिसे जब्त कर लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि अरबों रुपये की कर चोरी मिली है।
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आयकर विभाग के अफसरों ने एसएनके पान मसाला समूह और सप्लायरों पर बुधवार को देशव्यापी छापा मारा था। उत्तरप्रदेश, दिल्ली, बंगलूरू, मुंबई, गोवा, दमन और दीव स्थित 55 प्रतिष्ठानों पर एक साथ कार्रवाई की गई थी। छह राज्यों में जारी जांच में 250 से ज्यादा अधिकारी शामिल हैं। कानपुर, बरेली, झांसी, ललितपुर और कन्नौज स्थित इत्र, तंबाकू, सुपाड़ी कारोबारी और ट्रांसपोर्टरों की जांच की जा रही है।
टीमों ने एसएनके पान मसाला ब्रांड के मालिक नवीन कुरेले और प्रवीण कुरेले के स्वरूपनगर स्थित आवास, पनकी-रनियां स्थित फैक्टरी, गोदाम के अलावा मकरावटगंज स्थित कत्था कारोबारी, किदवईनगर, गोविंदनगर, नयागंज के जैन, बेनी ट्रेडर्स और सुपाड़ी कारोबारी आशीष, एक ट्रांसपोर्टर के प्रतिष्ठान समेत 15 जगहों पर कार्रवाई की।
इसके साथ ही कन्नौज के इत्र कारोबारी पंडित चन्द्रवली एंड संस के ठिकानों पर भी कार्रवाई की गई। इत्र की फैक्टरी, कोल्ड स्टोरेज और अन्य प्रतिष्ठानों पर छापा मारा गया था। सूत्रों ने बताया कि एसएनके पान मसाला समूह और इत्र कारोबारी के प्रतिष्ठानों में मिलाकर 22 करोड़ के गहने और 13 करोड़ की नकदी मिल चुकी है। कानपुर में एसएनके समूह और सप्लायरों के 35 प्रतिष्ठानों पर जांच चल रही है।
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वहीं, कन्नौज में देर रात छापा खत्म हो सकता है। दोनों समूहों का बड़ा गठजोड़ मिला है। दोनों समूह के कारोबार का बड़ा हिस्सा नकद में होता था और इस कमाई को रियल इस्टेट के कारोबार में लगाया जा रहा था। सूत्रों ने बताया कि फैक्टरियों और सप्लायरों के प्रतिष्ठानों पर कच्चा और तैयार इतना माल मिला है कि इसका आकलन करने में कई दिन और लगेंगे।
पान मसाला और तंबाकू पर सरकार ने भारी भरकम कर लगाया है। इससे बचने के लिए समूह ई-वे बिल में सालों से बड़ा खेल कर रहा था। दरअसल 50 हजार या इससे अधिक कीमत का माल परिवहन करने पर ई-वे बिल की जरूरत पड़ती है। इसमें माल से जुड़ी हर जानकारी होती है। मसलन किसने माल खरीदा, किसको बेचा जा रहा था, ट्रक का नंबर आदि इसमें लिखा होता है।
समूह के लोग 49,500 रुपये कीमत का ही माल खरीद-फरोख्त होना दिखाते थे। यह भी नकद में ही होता था। इसके अलावा कर चोरी में पैकेजिंग फर्मों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा था। पैकेजिंग और लैमिनेटर फर्म के जरिए ई-वे बिल का बड़ा गड़बड़झाला लंबे समय से चल रहा था। इसके चलते ही तैयार पानमसाले की धड़ल्ले से बिक्री की जा रही थी और ई-वे बिल में इसका कहीं पर कोई लेखा-जोखा नहीं होता था।