स्टार प्रचारक मामले में कमलनाथ को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, चुनाव आयोग के फैसले पर लगाई रोक

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नई दिल्ली / उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश विधान सभा की 28 सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का स्टार प्रचारक का दर्जा वापस लेने के निर्वाचन आयोग के आदेश पर आज रोक लगा दी है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन पीठ से निर्वाचन आयोग के वकील ने कहा कि कमलनाथ की याचिका अब निरर्थक हो गई है क्योंकि इन सीटों के लिए चुनाव प्रचार बंद हो गया है और वहां कल मतदान है। शीर्ष अदालत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ का स्टारप्रचारक का दर्जा वापस लेने के निर्वाचन आयोग के 30 अक्टूबर के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

चुनाव में स्टार प्रचारकों का खर्च राजनीतिक दल वहन करता है जबकि दूसरे प्रचारकों का खर्च प्रत्याशी को वहन करना होता है। मप्र के पूर्व मुख्मयंत्री ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग का आदेश निरस्त करने के साथ ही न्यायालय से अनुरोध किया है कि संविधान में प्रदत्त बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार और लोकतांत्रिक व्यवस्था मेंचुनाव को ध्यान में रखते हुये स्टार प्रचारकों या प्रचारकों द्वारा चुनाव के दौरान दिये जाने वाले भाषणों के बारे में उचित दिशा निर्देश बनाये जायें।   

पीठ ने कहा कि ‘हम इस पर रोक लगा रहे हैं।’ कमलनाथ ने याचिका में कहा था कि किसी व्यक्ति को स्टार प्रचारक के तौर पर नामित करना पार्टी का अधिकार है और आयोग पार्टी के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। आयोग का निर्णय अभिव्यक्ति और आवागमन के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन है। आयोग नोटिस देने के बाद फैसला कर सकता है, लेकिन यहां कमलनाथ को कोई नोटिस नहीं दिया गया था।

दरअसल, आयोग ने मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ उनके विवादित बयानों को लेकर कड़ी कार्रवाई करते हुए उनके स्टार प्रचारक के दर्जे को खत्म कर दिया था। उनपर चुनाव प्रचार के दौरान कई आपत्तिजनक बयान देने के आरोप लगे थे। बीते दिनों उन्होंने राज्य सरकार में मंत्री इमरती देवी को एक सभा के दौरान आइटम कह दिया था। जिसपर काफी बवाल हुआ था।

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