Kamakhya Temple: असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी मंदिर बेहद चमत्कारिक प्राचीन मंदिरों में से एक है. यह मंदिर बेहद प्रसिद्ध है और देश-दुनिया से लोग यहां पहुंचते हैं. कमाल की बात यह है कि इस मंदिर में देवी मां की ना तो कोई मूर्ति है और ना ही कोई तस्वीर है. यहां केवल एक कुंड है जो हमेशा फूलों से ढंका रहता है. इस मंदिर में देवी मां की योनि की पूजा होती है. यहां देवी मां आज भी रजस्वला होती हैं, यानी कि उन्हें मासिक धर्म या पीरियड्स आते हैं और इस मौके पर यहां के जलाशय तक का पानी लाल हो जाता है.
नीलांचल पर्वत पर गिरी थी सती माता की योनि
जब देवी सती की मृत्यु के बाद उनके शरीर को तीनों लोकों में लेकर घूम रहे भगवान शिव के शोक और गुस्से को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती माता के शरीर के 51 भाग कर दिए थे, तब देवी सती की योनि यहीं गिरी थी. इस शक्तिपीठ को बेहद शक्तिशाली माना जाता है. साथ ही इस मंदिर को अघोरियों और तांत्रिकों का गढ़ भी माना जाता है.
हर साल रजस्वला होती हैं देवी मां
इस मंदिर में देवी मां को आज भी मासिक धर्म या पीरियड्स आते हैं. हर साल देवी मां के रजस्वला होने पर कामाख्या देवी मंदिर को 3 दिन के लिए बंद कर दिया जाता है. जून महीने में माता सती के रजस्वला होने पर पुरुष मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते.
लाल हो जाता है कपड़ा
कहते हैं कि इन 3 दिनों में माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है, जो 3 दिनों में लाल रंग का हो जाता है. इस कपड़े को अम्बुवाची वस्त्र कहते हैं. इस वस्त्र को ही प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है.
नदी का पानी भी हो जाता है लाल
कहा जाता है कि देवी मां के रजस्वला होने के 3 दिनों के दौरान यहां करीब में बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी का पानी भी लाल हो जाता है.
3 बार करने चाहिए दर्शन
साथ ही कामाख्या देवी मंदिर में दर्शन को लेकर मान्यता है कि जो लोग इस मंदिर के 3 बार दर्शन कर लेते हैं, तो उन्हें सांसारिक भवबंधन से मुक्ति मिल जाती है.
साल का सबसे बड़ा मेला
हर साल जब देवी मां का मासिक धर्म होता है तब यहां विशाल मेला लगता है. जिसे अंबुवाची मेला कहते हैं. यह मेला जून में लगता है. इस मेले के दौरान मंदिर में किसी को जाने की अनुमति नहीं होती.
मादा जानवरों की बलि नहीं
मान्यता है कि कामाख्या देवी मंदिर में मांगी गईं मुरादें जरूर पूरी होती हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त कन्या भोजन कराया जाता है. वहीं कुछ लोग यहां जानवरों की बलि देते हैं. खास बात यह है कि यहां मादा जानवरों की बलि नहीं दी जाती. वहीं तांत्रिक यहां साधना करते हैं. कहते हैं कि कामाख्या देवी मंदिर में मौजूद अघोरी और तांत्रिक बड़े से बड़े जादू या तंत्र को उतारने की शक्ति रखते हैं. साथ ही यहां काला जादू किया भी जाता है.
(Disclaimer – प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. News Today इसकी पुष्टि नहीं करता है.)