बोकारो / बूढ़े माँ – बाप की हिफाजत की जवाबदारी औलाद के कन्धों पर होती है | लेकिन कलियुगी बच्चे माँ – बाप को बोझ समझने की मानसिकता से भी जूझते नजर आते है | एक ऐसे ही मामले में झारखंड के बोकारो में एक कलयुगी बेटे ने अपने बुजुर्ग मां-बाप के साथ जो किया, वो बेहद ही दर्दनाक और अमानवीय नजर आया | दरअसल पीड़ित माता – पिता ने अपने इसी बेटे के अंतरजातीय विवाह का समर्थन किया था | दोनों बुजुर्ग पति – पत्नी अपने इस बेटे की ख़ुशी के खातिर उसके अंतरजातीय विवाह को जायज ठहरा रहे थे | लेकिन पंचायत इसका विरोध कर रही थी | आखिरकार पंचायत ने इस बुजुर्ग दंपति को घर में 5 साल तक कैद रखने की सजा सुनाई | उधर गांव में रहने और पंचायत के फरमान को स्वीकार करने के लिए इस बेटे ने हामी भर दी | उसने पंचायत के निर्देश का पालन करते हुए अपने ही माता पिता को घर के एक कमरे में बंद कर दिया | इतना ही नहीं बुजुर्ग दंपति को उसने कभी भरपेट खाना भी नहीं दिया |
यही नहीं माता – पिता को कैद रखने की जानकारी ना तो उसने अपने नाते रिश्तेदारों को दी और ना ही घर के किसी अन्य परिजन को | बताया जाता है कि उसने माता – पिता के तीर्थ यात्रा में जाने की बात कह कर सभी को गुमराह किया | उधर बीते पांच साल से एक अंधेरे कमरे में जीवन काट रहे पिता को पैरालिसिस हो गया, जबकि उसकी मां की हालत भी दयनीय हो गई | वो अब जीवन की अंतिम सांसे गिन रही थी | उधर पीड़ित बुजुर्ग दंपति की बेटी ने लगातार अपने मां-बाप की पूछताछ की | लेकिन उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला | हाल ही में किसी शख्स ने इस बेटी को उसके माता – पिता की स्थिति से अवगत कराया | इस बेटी ने पुलिस की सहायता से अपने माता – पिता को अपने भाई के चंगुल से मुक्त कराया है |
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जानकारी के मुताबिक पीड़ित बुजुर्ग का नाम बालीडीह थाना क्षेत्र निवासी शंभू महतो बताया जा रहा है | वे बोकारो स्टील प्लांट से रिटायर्ड होकर अपने गांव पहुंचे थे | पीड़ित शंभू महतो के इस गांव में चार बेटे निवासरत है | जबकि एक बेटी की शादी पड़ोसी गांव में हुई है | बताया जाता है कि वर्ष 2014 में शंभू महतो के छोटे बेटे अनु कुमार ने गांव में ही अंतरजातीय विवाह कर लिया था | लेकिन इस विवाह का समाज के अलावा स्थानीय पंचायत ने विरोध किया | मामले ने इतना तूल पकड़ा कि बालीडीह में पंचायत बुलानी पड़ी | इस पंचायत में पंच – सरपंच, मुखिया और समाज के कई प्रभावशील लोग पहुंचे थे | इस पंचायत में अंतरजातीय विवाह करने वाले अनु कुमार और उसके पूरे परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का फैसला लिया गया |
पंचायत ने यह भी फैसला सुनाया कि इस परिवार से संबंध रखेगा, उसका भी सामाजिक बहिष्कार कर दिया जायेगा | भरी पंचायत में शम्भू महतो ने अपने बेटे अनु कुमार का साथ देते हुए उसके अंतरजातीय विवाह का समर्थन किया | उधर पंचायत के फरमान के बाद बुजुर्ग दंपति के तीनों बेटों ने सामाजिक बहिष्कार के डर से पंचायत में ही उनसे नाता तोड़ लिया | जबकि बुजुर्ग दंपति ने अपने छोटे बेटे अनु कुमार के साथ उसके घर चले गए | बताया गया है कि कुछ दिन तक तो अनु कुमार ने अपने माता – पिता की अच्छी तरह देखभाल की | लेकिन बाद में सामाजिक बहिष्कार वापिस लेने को लेकर पंचायत के चक्कर काटने लगा | उसने दोबारा पंचायत बुलाने की मांग की | इस बार पंचायत ने अनु कुमार का सामाजिक बहिष्कार ख़त्म करने का फैसला लिया लेकिन उसके माता – पिता को पांच साल तक कैद में रखने की सजा सुना दी | पंचायत के इस फैसले को स्वीकार कर अनु कुमार ने अपने बुजुर्ग मां-बाप को एक कमरे में बंद कर दिया |
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इस कमरे में बिजली का कनेक्शन भी नहीं था | उसने भरपेट खाना भी अपने माता – पिता को नहीं दिया | इस बीच इसी कमरे में बुजुर्ग शंभू महतो को पैरालिसिस हो गया | बेटे ने ना तो उसका इलाज कराया और ना ही उसके स्वास्थ की सुध ली | उधर बेटे की कैद में वृद्ध मां की भी तबियत खराब हो गई | उधर गांव के किसी शख्स ने इस बुजुर्ग दंपति की बेटी बीना कुमारी को उसके माता – पिता की हकीकत बताई | बेटी फ़ौरन उनसे मिलने घर पहुंच गई | उसने यहां पर अपने मां-बाप की ऐसी हालत देखी तो पुलिस को सूचित किया |
बालीडीह थाने के प्रभारी विनोद कुमार फ़ौरन उस घर पहुंचे | पुलिस ने मौके पर पहुंचकर बुजुर्ग दंपति को कमरे से आजाद कराया | थाना प्रभारी विनोद कुमार ने न्यूज़ टुडे को बताया कि इस मामले में जांच की जा रही है | उन्होंने कहा कि पंचायत का फैसला मायने नहीं रखता है | यदि पंचायत का कोई दबाव था, तो बेटे को पुलिस से शिकायत करनी चाहिए थी | फ़िलहाल पंचायत पदाधिकारयों और स्थानीय लोगों के बयान दर्ज किये जा रहे है |