चेन्नई वेब डेस्क / कोरोना वायरस महामारी के इलाज के लिए दुनियाभर में वैक्सीन के ईजाद पर काम हो रहा है। लेकिन अभी तक कोई वैक्सीन बाजार में नहीं है | यह भी कहा जा रहा है कि कोई पुख्ता दवा भी ऐसी नहीं है जो कारगर साबित हो | हालाँकि कई एलोपैथिक दवाओं का प्रयोग कर डॉक्टर लोगों की जान बचा रहे है | भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने का अनुपात भी लगातार बढ़ रहा है | दूसरी ओर देश के तमाम राज्यों में संक्रमण में भी तेजी आई है | इस बीच एक राहत भरी खबर दक्षिण भारतीय इलाकों से आ रही है | यहाँ लोग जडी बूटी का डोज लेकर कोरोना से दो -दो हाथ कर रहे है |
उनका दावा है कि इससे वे संक्रमण से बचे हुए है | तमिलनाडु में सिद्धा डॉक्टरों की टीमों ने पाया कि हर्बल मिश्रण ‘कबासुरा कुडिनेर’ का कोरोना मरीजों पर सकारात्मक असर हुआ है। सिद्धा के दो रिसर्च पेपरों में दावा किया गया है कि यह मिश्रण कोरोना संक्रमित मरीजों पर प्रभावकारी है। पहला रिसर्च पेपर तमिलनाडु में मार्च में कोरोना संक्रमण के प्रसार की शुरुआत पर आया था। जानकार बता रहे है कि कबासुरा कुडिनेर हर्बल मिश्रण है जिसमें अदरक, पिप्पली, लौंग, सिरुकनकोरी की जड़, मूली की जड़, कडुक्कई, अजवाइन और अन्य जड़ी बूटी शामिल हैं। इसको मिलाकर चूर्ण तैयार किया जाता है |
इसके बाद इसमें पानी मिलाकर काढ़ा बनाया जाता है | उनके मुताबिक इसे उबाल के दौरान जब पानी एक चौथाई रह जाता है, तब इससे मरीज को पिलाया जाता है। तमिलनाडु सरकार भी प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए इसके सेवन को प्रोत्साहित कर रही है। हालांकि यह भी साफ किया है कि यह कोरोना महामारी के इलाज की दवा नहीं है। इस काढ़े का कोरोना संक्रमितों के दो समूहों पर अध्ययन किया गया था। अप्रैल माह में वेल्लोर के कई प्राथमिक और सेकंडरी संपर्क में आए 84 लोगों पर यह अध्ययन हुआ। अध्ययन में दावा किया गया है कि उच्च जोखिम वाले कोरोना मरीजों पर इस पेय पदार्थ का अच्छा असर हुआ |
जानकारों के मुताबिक इसे संक्रमण रोकने के प्राथमिक सुबूत के तौर पर माना जा सकता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन्हें कबासुरा कुडिनेर दिया गया वे कोविड-19 निगेटिव पाए गए | जिन्हें यह काढ़ा नहीं दिया गया वे पॉजिटिव पाए गए थे। जांचों की समीक्षा से पता चला कि इस काढ़े के मिश्रण और मरीजों के स्वास्थ्य के बीच करीबी संबंध है।
बताया जाता है कि तिरूपत्तूर जिले में अग्रहारम के क्वारंटीन केंद्र में 42 मरीजों को कबासुरा कुडिनेर का डोज दिया गया था। जबकि इसी जिले में अंबूर तालुका के जामिया कॉलेज में बने क्वारंटीन केंद्र में भर्ती मरीजों को यह मिश्रण नहीं दिया गया था।
डॉक्टरों की टीम ने एक अप्रैल से इन दोनों समूहों पर विशेष ध्यान और निगरानी रखना शुरू किया। मरीजों को घर में बना खाना नहीं दिया गया था | इन्हे निगरानी टीम ने स्वयं की ओर से तैयार भोजन ही दिया। पहले क्वारंटीन केंद्र के समूह में शामिल वयस्कों को खाने के बाद नियमित तौर पर 60 मिली मिश्रण और बच्चों को 15 मिली मिश्रण दिया गया। यह मिश्रण लगातार 14 दिन तक दिया गया। समूह में शामिल लोगों की उम्र तीन से 70 साल के बीच थी।
रिसर्च पेपर के अनुसार, समूह में शामिल पांच वर्षीय बच्चे को इस हर्बल मिश्रण की चार डोज पीने के बाद सूखी खांसी हो गई | जबकि 10 मरीजों को इसे लेने के बाद हल्के लक्षणों से तत्काल राहत मिली। इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं देखा गया। पॉजिटिव मरीजों के सीधे संपर्क में आए छह मामलों में पीसीआर जांच में रिपोर्ट निगेटिव आई। 14 दिन बाद फिर से जांच में रिपोर्ट निगेटिव आई। इससे साफ़ हो रहा है कि यह डोज मरीजों को फायदा पंहुचा रहा है |