बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में जंगलराज का एक नमूना एक बार फिर अदालत की दहलीज पर है। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने वन एवं जलवायु विभाग के अफसरों की योग्यता, कार्यक्षमता और कार्यप्रणाली पर सख्त टिप्पणी की है। प्रकरण बिलासपुर के रतनपुर मंदिर में कई कछुओं के बेमौत मारे जाने से जुड़ा है। इस मंदिर परिसर के एक कुंड में दर्जनों की तादात में कछुओं की अचानक मौत हो गई थी। मामला उजागर होने के बाद हाईकोर्ट ने गंभीरता दिखाते हुए घटना का संज्ञान लिया था। इस प्रकरण की हाईकोर्ट में लगातार सुनवाई जारी है। सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि DFO कौन हैं ? कितना पढ़े हैं ? IFS रैंक के अफसर हैं ना तो उन्हें यह नहीं मालूम कि किस अपराध में क्या मुकदमा दर्ज होना चाहिए?

दरअसल, वन एवं जलवायु विभाग ने मामले की जांच शुरू की। उसने बेमौत मारे गए कछुओं के प्रकरण की कमजोर विवेचना कर दस्तावेज अदालत को सौंपे थे। महामाया मंदिर ट्रस्ट परिसर स्थित में कुंड में 24 मार्च को 20 से ज्यादा कछुओं की मौत के मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी भी की गई थी। वन विभाग ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9 के तहत मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष और पुजारी सतीश शर्मा को घटना में आरोपी बनाया था।

ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा ने वन विभाग की जांच रिपोर्ट को चुनौती देते हुए अग्रिम जमानत की अर्जी भी अदालत में दाखिल की थी। कोर्ट ने DFO को शपथपत्र के साथ जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।सोमवार को हाईकोर्ट ने इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान गलत धाराओं के तहत POR दर्ज करने पर विभाग को जमकर लताड़ लगाई है। DFO सत्यदेव शर्मा पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने सख्त टिप्पणी की है, इसके साथ ही मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष को अग्रिम जमानत देने का आदेश भी दिया है।

अदालत में सुनवाई के दौरान ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा के वकील ने बताया कि मंदिर समिति के निर्णय से ही कुंड की सफाई कराई गई थी। वकील ने दावा किया कि वन विभाग द्वारा वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 9 के तहत केस दर्ज किया गया है। जबकि यह एक्ट शिकार के लिए होता है, वकील के मुताबिक आरोपी सतीश शर्मा पर शिकार का नहीं, बल्कि उन पर आरोप है कि उन्होंने सफाई के लिए कुंड का ताला खुलवाने की अनुमति दी थी, सफाई के दौरान कुंड में कछुए मृत पाए गए थे। हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग में बेंच के सवाल और पक्षकारों के जवाब सुर्ख़ियों में है।

बताते है कि जिस किसी ने भी बहस पर गौर किया, वो विद्वान न्यायधीश के तर्कों से गदगद नजर आये। काफी देर तक लोगों ने इस बहस को बड़ी गंभीरता के साथ सुना। लाइव स्ट्रीमिंग के कुछ एक अंश इस प्रकार है, चीफ जस्टिस (पक्षकारों की ओर रुख करते हुए) – कितने बजे सफाई के लिए अनुमति दी गई ? आरोपी के वकील- रात 12 बजे सफाई के लिए अनुमति दी गई। इस पर चीफ जस्टिस का अगला सवाल – रात को कौन सी सफाई होती है, जो इतनी रात को ताला खोला गया। इस तरह से तो आप मंदिर की तिजोरी लुटवा देंगे ? इस पर वकील ने बड़ी साफगोई से अपना तर्क दिया, माय लॉड – दिन में नवरात्रि के चलते भक्तों की भीड़ रहती है, इसलिए रात को ही सफाई करवाई जाती है।

इसके उपरांत बचाव पक्ष के वकील ने मूल प्रकरण का जिक्र करते हुए अदालत को बताया कि – वन विभाग ने कछुओं की मौत को लेकर शिकार का मामला दर्ज किया है, लेकिन, मूलतः यह शिकार का प्रकरण नहीं है, इस मामले में ना तो शिकार की बात सामने आई है ना ही ट्रैफिकिंग की बात सामने आई है, कछुए कहीं से लाने या ले जाने के दौरान पकड़े भी नहीं गए हैं। वकील के मुताबिक सफाई के दो दिन बाद कुंड से बदबू आने पर मृत कछुओं को रिकवर किया गया था। इसमें मंदिर उपाध्यक्ष का सफाई कर्मियों से भी किसी तरह के सांठगांठ का कोई तथ्य नहीं है।

बचाव पक्ष के वकील के तर्कों को सुनने के बाद बेंच ने दस्तावेजों की ओर रुख किया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा सुनवाई के दौरान अदालत में पेश दस्तावेजों की बारीकी से पड़ताल करते नजर आये। इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया ? चीफ जस्टिस – वहां मछली पकड़ने की अनुमति थी क्या? वहां जाल कैसे मिला ? बचाव पक्ष के वकील – लाया गया वो जाल सफाई के लिए था, न कि मछली पकड़ने के लिए।उन्होंने अदालत को बताया कि भक्त मंदिर परिसर के कुंड में फूल पत्ती डालते हैं, पूजा का सामान विसर्जित करते हैं, कई श्रद्धालु घर से पूजा का सामान लाकर विसर्जित करते हैं। पूजा सामग्री में कई रासायनिक तत्व भी होते हैं, कुंड में से फूल पत्तियों और रासायनिक सामग्रियों को बाहर निकालने के लिए जाल की जरूरत पड़ती है।
बचाव पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस की दस्तावेजी पड़ताल भी अब ख़त्म हो चुकी थी।

चीफ जस्टिस – DFO कौन हैं ? कितना पढ़ा है ? दरअसल, बिलासपुर के DFO सत्यदेव शर्मा की तरफ से पेश शपथ पत्र में मंदिर ट्रस्ट के पुजारी सतीश शर्मा के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम की धारा 9 के तहत दर्ज मामला देख कर चीफ जस्टिस ने तल्ख़ अंदाज में नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि DFO कौन है, कितना पढ़े हैं ? उन्हें यह भी नहीं मालूम कि किस अपराध में क्या केस दर्ज करना चाहिए ? DFO ने किस तरह FIR दर्ज की है। सुनवाई के अगले ही पल सरकारी वकील ने अदालत का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि 3 गवाहों के बयानों के आधार पर अपराध दर्ज किया गया है, सीसीटीवी फुटेज का हवाला भी उन्होंने दिया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत स्वीकार कर ली।
बता दें कि हालिया चैत्र नवरात्र पर्व 24 मार्च के दौरान रतनपुर के महामाया मंदिर परिसर स्थित कुंड में 23 कछुओं की मौत हो गई थी। कुंड की सफाई के दौरान मछुआरों ने जाल डालकर सफाई की थी। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि शायद जाल में फंसने से कछुओं की मौत हुई होगी ? यह भी बताया जा रहा है कि सफाई के बाद मछुआरे कुंड से मछली लेकर भी गए थे। सफाई के दो दिन बाद कुंड में दर्जनों कछुए जाल में फंसे नजर आये थे। मीडिया रिपोर्ट को जनहित याचिका मानकर हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया था।