Friday, September 20, 2024
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पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को डाला मुसीबत में,जनहित याचिका दायर कर चुनाव आयोग को कार्यवाही के लिए किया विवश,अब सुप्रीमकोर्ट से जाँच का दायरा बढ़ाने होगी अपील,छत्तीसगढ़-झारखण्ड में ब्लैक मनी के भण्डारो के कर्ता-धर्ताओ की भी CBI और ED लेगी खबर

दिल्ली /राँची : झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद JMM उनकी कुर्सी बचाने में जुट गया है | इसके लिए राँची से लेकर दिल्ली तक वकीलों की फौज तैनात कर दी गई है | उधर पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शिव शर्मा को बधाई देने का सिलसिला भी शुरू हो गया है | पत्रकार शर्मा ने दो PIL दायर की थी | इसमें CBI और ED से माइनिंग घोटाले की जांच कराने की मांग अदालत से की गई थी |

ये मामला सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज और शेल कंपनियों में उनके और उनके करीबियों की हिस्सेदारी से जुड़ा है.आरोप है कि सीएम हेमंत ने अपने पद का दुरुपयोग कर स्टोन क्यूएरी माइंस अपने नाम आवंटित करवा ली थी. सोरेन परिवार पर शैल कंपनी में इन्वेस्ट कर अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग ने भी सुनवाई की थी. दोनों ने जनप्रतिनिधि अधिनियम-1951 की धारा 9A के तहत लाभ का पद से जुड़े नियमों के उल्लंघन को लेकर सुनवाई की थी. अब ये सुनवाई पूरी हो चुकी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है| उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की जल्द सुनवाई होगी | इधर हेमंत सोरेन के करीबी प्रेम प्रकाश पर ईडी का शिकंजा कसने के बाद हेमंत सोरेन से भी पूछताछ के आसार बढ़ गए है | 

उधर CBI और ED की टीम ने छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में हाल ही हुए छापेमारी और आयकर-ईडी की विभिन्न रिपोर्ट को साझा किया है | इससे साफ़ हो सकेगा की राजनीति की आढ़ में किस तरह से ब्लैक मनी इकट्ठा की जा रही है | ईडी की गिरफ्त में आए प्रेम प्रकाश ने छत्तीसगढ़ की शराब लॉबी के कारोबार को लेकर अपना मुँह खोला है |  सूत्र बताते है कि छत्तीसगढ़ की शराब लॉबी ने झारखण्ड में जिस तरह से डील कर इस कारोबार को हथियाया है,इसकी भी पड़ताल जारी है | सूत्रों के मुताबिक रायपुर के कुछ शराब कारोबारियों ने साल भर पहले और कुछ माह पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी | इसमें स्थानीय शराब कारोबारियों को हटा कर ऐसी पॉलिसी पर मुहर लगवाई थी,जिसमे ब्लैक मनी की हिस्सेदारी तय हो सके |

झारखंड में 2016 में नयी उत्पाद नीति लागू की गयी थी और सरकार के स्तर पर ही शराब के रिटेलरों की नियुक्ति की गयी। सरकार के झारखंड राज्य वेवरेज कारपोरेशन लिमिटेड के जरिये रिटेलरों तक शराब की खेप पहुंचाई जाती थी। आरोप है कि शराब के इन रिटेलरों के यहां सिक्योरिटी और स्टाफ की नियुक्ति प्रेम प्रकाश की एजेंसी के जरिए ही होती है। चंद सालो बाद वर्ष 2021 इस कारोबार में छत्तीसगढ़ लॉबी की एन्ट्री के बाद ब्लैक मनी के नए रास्ते खुल गए | इस कारोबार में राज्य के कई चर्चित अफसर,कारोबारी और नेताओं के शामिल होने के बाद ब्लैक मनी का पहाड़ तनने लगा था | फिलहाल राज्य में राजनैतिक गलियारा गरमाया हुआ है | राज्यपाल रमेश बैस का इंतजार हो रहा है | शाम तक स्पष्ट हो पायेगा कि सोरेन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ पाएंगे या नहीं ? 

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