नई दिल्ली: देश विदेश में ग्लोबल वर्किंग की चर्चा जोरो पर है। बेहतर लाभ और बाजार में अपना सिक्का ज़माने के लिए कई कंपनियों ने पहले वर्क फ्रॉम होम पर जोर दिया था। लेकिन कोरोना काल के ख़त्म होते ही अब कंपनी सीईओ और मैनेजमेंट 24X7 वर्क फ्रॉम ऑफिस पर जोर दे रहे है। इस अंधी दौड़ में कई कर्मी बेहतर परिणाम ना देने के कारण डिप्रेशन का शिकार हो रहे है, तो कई बीमारी और अन्य कठिनाईयों के दौर से गुजर रहे है। जानकारों के मुताबिक भारत समेत कई पड़ोसी देशों में ग्लोबल वर्किंग स्टाइल नौजवानों पर भारी पड़ रही है।
दरअसल, एक 30 साल की महिला एक फैक्ट्री में काम करती थी जिसने अपने मैनेजर से सिक लीव मांगी थी। लेकिन उसके बॉस ने उसे मना दिया। आखिरकार उसे ऑफिस आने के लिए मजबूर होना पड़ा। बताते है कि पीड़ित जैसे ही वह ऑफिस आई और सीट पर बैठी, कुछ देर में वह अपनी डेस्क पर बेहोश हो गई। जब तक की सहकर्मी एम्बुलेंस और अस्पताल के संपर्क में आते, मौके पर ही उसकी मौत हो गई। इस घटना का असर भारत समेत उन देशों में हुआ है, जहाँ नौजवान पीढ़ी विकास की नई इबारत लिख रही है। काम के बढ़ते बोझ से जुड़ी यह चौंकाने वाली घटना थाईलैंड से सामने आई। जब भारत सहित दुनिया भर में वर्क-लाइफ बैलेंस के बारे में अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बात हो रही है।
बताया जाता है कि बैंकॉक में 30 साल की महिला की मौत से एशिया के कई ग्लोबल हाउस में हलचल तेज है। थाईलैंड के समुत प्रकान प्रांत के एक इलेक्ट्रॉनिक्स प्लांट में कार्यरत पीड़ित महिला का मामला देश-विदेश में लोगों की जुबान में है। जानकारी के मुताबिक बड़ी आंत में सूजन होने के बाद मेय नाम की महिला ने 5 से 9 सितंबर तक मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ सिक लीव लिया था। बीमारी का इलाज कराने के लिए वो अस्पताल में चार दिन तक भर्ती भी रही। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वह ठीक नहीं होने के कारण दो दिन और बीमार छुट्टी पर रही. 12 सितंबर की शाम को मेय ने अपने मैनेजर से एक दिन और सिक लीव मांगी क्योंकि उसकी तबीयत और खराब हो गई थी.
जवाब में कंपनी के मैनेजर ने उसे बताया कि उसे हर हाल में काम पर आना होगा, बॉस का निर्देश है, यही नहीं एक और मेडिकल सर्टिफिकेट जमा करना होगा, क्योंकि उसने पहले ही बहुत दिनों की सिक लीव ले ली है। बॉस के रुख के चलते पीड़ित को नौकरी खोने का डर सताने लगा। पीड़ित मेय 13 सितंबर को काम पर गई. लेकिन, वह सिर्फ 20 मिनट काम करने के बाद ऑफिस में गिर गई. कर्मियों के मुताबिक मौके पर ही उसकी मौत हो चुकी थी। हालाँकि कंपनी ने पल्ला झाड़ने के लिए मेय को अस्पताल में भर्ती कराया। बताया जाता है कि नेक्रोटाइजिंग एंटरोकोलाइटिस के कारण ऑफिस में ही उसकी मृत्यु हो गई.
उधर कंपनी डेल्टा इलेक्ट्रॉनिक्स थाईलैंड ने 17 सितंबर को मेय की मृत्यु पर दुख व्यक्त करते हुए कर्मियों को एक मेल भेजा। कंपनी ने कहा कि उनके कर्मचारी का असमय जाना उनके लिए बहुत दुखद है और वे इस घटना की जांच करेंगे. डेल्टा इलेक्ट्रॉनिक्स (थाईलैंड) पीसीएल के सीईओ विक्टर चेंग ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा, “डेल्टा इलेक्ट्रॉनिक्स में हमारे लोग ही हमारी सफलता का आधार हैं, और उनके जाने से हमें बहुत दुख हुआ है. इस कठिन समय में कर्मचारी के परिवार को पूरा समर्थन देना हमारी प्राथमिकता है.”