दिल्ली में चुनावी सरगर्मियों के बीच जेएनयू विवाद , महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 26/11 से की तुलना और ममता ने बताया फासिस्ट  स्ट्राइक, जबकि सोनिया ने मोदी को घेरा , पिटाई से जनता खुश 

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दिल्ली वेब डेस्क / 

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दो गुटों में हुई मारपीट ने राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव ऐलान के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है | विपक्ष इस मामले पर लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है। इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे फासिस्ट स्ट्रइाक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुंबई हमला बताया है। वहीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने असंतोष लोगों की आवाज दबाने वाला करार दिया है। उधर स्थानीय जनता इस पिटाई से खुश नजर आ रही है | दिल्ली के कई लोगों ने जेएनयू छात्रों की पिटाई को जायज ठहराया है | उनके मुताबिक देश द्रोहियों को मुख्य धारा में लाने के लिए ऐसा ही सलूक किया जाना चाहिए | हालांकि न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ किसी भी हिंसा का समर्थन नहीं करता | पाठकों की जानकारी के लिए यह समाचार काफी मायने रखता है कि राजनीति से हटकर दिल्ली की जनता जेएनयू छात्रों के बारे में क्या राय रखती है | अपनी प्रतिक्रिया में दिल्ली के कई नागरिकों ने जेएनयू परिसर को अवैध गतिविधियों का अड्डा भी बताया है | 

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जेएनयू विवाद को लेकर कहा है कि यहां छात्रों की आवाज दबाई जा रही है | सोनिया गांधी ने कहा, ‘भारत के युवाओं और छात्रों की आवाज को रोजाना बंद कराया जा रहा है। सत्तारूढ़ मोदी सरकार के सक्रिय उकसावे के साथ गुंडों द्वारा भारत के युवाओं पर की गई हिंसा भयावह और अभूतपूर्व है। यह बहुत ही निराशाजनक और अस्वीकार्य है।’ सोनिया ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह उदाहरण है कि सरकार हर आवाज को कुचल देगी। उन्होंने कहा, ‘कल कड़ाके की ठंड में जिस तरह से जेएनयू के छात्रों और अध्यापकों पर हमला किया गया वह इस बात की चेतावनी है कि हर असंतोष की आवाज का गला घोंटने और कुचलने के लिए सरकार किस हद तक जा सकती है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘पूरे भारत में शैक्षणिक परिसरों और कॉलेजों पर भाजपा सरकार से सहयोग पाने वाले तत्व एवं पुलिस रोजाना हमले कर रही है। हम इसकी निंदा करते हैं और स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग करते हैं। कांग्रेस देश के युवाओं और छात्रों के साथ खड़ी है।’

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोनिया गांधी के सुर से सुर मिलाते हुए कहा कि  ‘हमलावरों को नकाब पहनने की क्या जरुरत थी? वह कायर थे। मैं टीवी पर देख रहा था और इसने मुझे 26/11 मुंबई हमलों की याद दिला दी। यह पता लगाने की जरूरत है कि ये नकाबपोश हमलावर कौन थे। इस समय देश के छात्रों के बीच भय का माहौल है। हम सभी को एक साथ आने और उनमें आत्मविश्वास जगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में इस तरह के हमलों को बर्दाश्त नहीं करूंगा।

इधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और बीजेपी की धुर विरोधी ममता बनर्जी इसे ने फासिस्ट स्ट्राइक करार दिया है | उन्होंने कहा कि  ‘यह बहुत परेशान करने वाला है। यह लोकतंत्र पर सुनियोजित तरीके से किया गया खतरनाक हमला है। जो कोई भी उनके खिलाफ बोलता है उसे पाकिस्तानी और देश का दुश्मन करार दे दिया जाता है। हमने इससे पहले देश में इस तरह की परिस्थिति नहीं देखी थी।’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इस फासिस्ट सर्जिकल स्ट्राइक बताते हुए कहा, ‘दिल्ली की पुलिस अरविंद केजरीवाल के नहीं बल्कि केंद्र सरकार के अधीन है। एक तरफ उन्होंने भाजपा के गुंडे भेजे और दूसरी तरफ पुलिस को निष्क्रिय कर दिया। यदि उन्हें उच्च प्राधिकारी निर्देश देते हैं तो इसमें पुलिस क्या कर सकती है। यह एक फासिस्ट सर्जिकल स्ट्राइक है।’पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम की दलील है कि हम अराजकता की ओर  बढ़ रहे हैं | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने जेएनयू की घटना पर कहा, ‘यह घटना शायद सबसे प्रभावी प्रमाण है कि हम तेजी से अराजकता की ओर बढ़ रहे हैं। यह देश की राजधानी दिल्ली में गृह मंत्री, उपराज्यपाल और पुलिस आयुक्त की निगरानी में भारत के अग्रणी विश्वविद्यालय में हुआ। हम मांग करते हैं कि हिंसा के अपराधियों (जेएनयू) की पहचान की जाए और उसे 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर न्याय दिलाया जाए। हम यह भी मांग करते हैं कि अधिकारियों पर जवाबदेही तय की जाए और तुरंत कार्रवाई की जाए। एक सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा कि जवाबदेही की शुरुआत पुलिस आयुक्त से होती है और यह गृह मंत्री तक जाती है।’