रांची/झाड़ग्राम। झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ने वाला फोले एलिफेंट कॉरिडोर अब हाथियों के लिए संरक्षण की बजाय विनाश का रास्ता बनता जा रहा है। बीते 45 दिनों में महज 100 किलोमीटर के दायरे में सात हाथियों की जान चली गई — कोई करंट की चपेट में, कोई तेज रफ्तार ट्रेन से कुचलकर, तो किसी की मौत आईईडी विस्फोट में हुई।
ताजा हादसा: तीन हाथियों की एक साथ मौत
17-18 जुलाई की रात, पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम जिले के बांसतोला स्टेशन के पास जनशताब्दी एक्सप्रेस की चपेट में आकर तीन हाथियों की मौत हो गई। मरने वालों में एक वयस्क और दो बच्चे शामिल थे। हाथियों का झुंड रेलवे ट्रैक पार कर रहा था, और वन विभाग की चेतावनी के बावजूद ट्रेन की रफ्तार कम नहीं की गई।
रेलवे ट्रैक पर रातभर शव पड़े रहे और हावड़ा-मुंबई मार्ग ठप रहा। जेसीबी से शव हटाने के बाद यातायात बहाल हो सका।
पिछले एक महीने में इन हादसों ने झकझोरा:
- 10 जुलाई 2025: पश्चिम सिंहभूम के सेरेंगसिया घाटी में एक हाथी करंट से मरा।
- 5 जुलाई 2025: सारंडा जंगल में 6 वर्षीय हाथी की मौत, जो 24 जून को नक्सली आईईडी से घायल हुआ था।
- 24 जून 2025: चांडिल वन क्षेत्र में एक मादा हाथी खेत में बिछाए गए करंट वाले तार से मरी।
- 5 जून 2025: आमबेड़ा में एक और हाथी खेत में मृत मिला।
आंकड़े चिंताजनक हैं
- पिछले तीन वर्षों में कोल्हान प्रमंडल में 20 से अधिक हाथियों की मौत हुई है।
- नवंबर 2023 में मुसाबनी में करंट लगने से 5 हाथियों की सामूहिक मौत हुई थी।
- संसद में पेश आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 साल में देश में 528 हाथी अप्राकृतिक कारणों से मरे, जिनमें 30 हाथी केवल झारखंड में करंट से मारे गए।
वन विभाग और प्रशासन की उदासीनता पर सवाल
वन अधिकारियों ने दावा किया है कि हाथियों की मूवमेंट की जानकारी रेलवे को पहले दी गई थी। झाड़ग्राम डीएफओ उमर इमाम ने साफ कहा कि यदि समय पर सावधानी बरती जाती, तो त्रासदी टाली जा सकती थी।
