रायपुर: देश में गांव कस्बो से लेकर गरीबो के घरो तक जल पहुंचने वाली भारत सरकार की महती योजना जल-जीवन मिशन के ठप्प हो जाने से यह योजना खटाई में पड़ गई है। राज्य के आदिवासी इलाको से लेकर मैदानी भू-भागो में एक बड़ी बसाहट को वर्ष 2024 से पूर्व पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था। जल-जीवन मिशन के लक्ष्य को पूरा करने का बीड़ा केंद्र और राज्य सरकारो के कंधो पर है। इसके लिए केंद्र सरकार बड़ा आर्थिक सहयोग कर रही है,बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में इसकी प्रगति थम गयी है। कभी टेंडर मैनेज तो कभी पाइप लाइन फूटने से जल जीवन मिशन का दम निकल रहा है।
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भ्रष्टाचार को हवा देने में TPT अर्थात थर्ड पार्टी टेंडर के भी शामिल हो जाने से भारत सरकार को सिर्फ कागजी आंकड़े ही प्राप्त हो रहे है,जबकि छत्तीसगढ़ सरकार के हिस्सेदारी वाली रकम सीधे राजनेताओ,नौकरशाहो और कारोबारियों की जेब मे जा रही है। नतीजतन राज्य में जल-जीवन मिशन आम जनता को पेयजल उपलब्ध कराने के मामलों में फिस्सडी साबित हो रहा है। राज्य में इस योजना की कमान संभालने वाले कई जिम्मेदार अधिकारी ही विभाग में अप्रत्यक्ष रूप से अपने नाते-रिश्तेदारों के नाम से ठेकेदारी करने लगे है।
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सूत्र बताते है कि जल-जीवन मिशन की प्रगति सिर्फ केंद्र सरकार के हिस्सेदारी वाली मद से ही हो रही है। जबकि छत्तीसगढ़ सरकार की हिस्सेदारी वाला अंश सिर्फ कागजो में ही दिखाई दे रहा है। असल में इस रकम से ठेकेदारों को मनचाहा भुगतान कर ब्लैक मनी खुद की तिजोरी में डाली जा रही है।
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सूत्र बताते है कि राज्य में वन विभाग के केम्पा फंड के बाद सरकारी धन की सबसे बड़ी सुनियोजित बंदरबांट जल-जीवन मिशन के तहत हो रही है। इस योजना में राज्य की हिस्सेदारी की मद कागजो और बिलो के भुगतान तक ही सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होकर रह गई है,इससे योजना का लाभ जरुरतमंदो तक पहुंचने के मामलों में काफी सीमित हो गया है।
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कई इलाको में मौके का मुआयना करने पर साफ़तौर पर कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गरीबो को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के सपनो को कांग्रेस शासित राज्यों में चकनाचूर किया जा रहा है। योजना के क्रियान्वयन में सुनियोजित भ्रष्टाचार के चलते प्रदेश में भारत सरकार की इस खास योजना का दिनों-दिन दम निकल रहा है।
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जल जीवन मिशन में शुरआती दौर से ही पिछड़ा छत्तीसगढ़ फ़िलहाल देश में 31वें पायदान पर था। लेकिन गिरावट का सिलसिला लगातार जारी रहने से योजना ही ठप्प है। बताते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार का सिर्फ बिलों के भुगतान पर ही ज़ोर है,लेकिन गरीबो के सूखे कंठो को पानी पिलाने के मामलो में पूरी कांग्रेस सरकार ही मोदी के खिलाफ बिगुल फूंकने में जुटी है।
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जल-जीवन मिशन के जानकार बता रहे है कि अब ‘हर घर नल” पहुंचाने के लिए पांच हजार कनेक्शन भी रोजाना जारी किये जाये तो भी लक्ष्य तक पहुँच पाना टेढ़ी खीर साबित होगा। उनके मुताबिक योजना में भ्रष्टाचार की रफ़्तार थामने के लिए भारत सरकार ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए,तो आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के लिए जल-जीवन मिशन गले की फ़ांस साबित होगा।
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केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना में तय समय में हर घर नल पहुंचाने के लिए विभाग को रोजाना चार हजार घरों में कनेक्शन जारी करने का खांका खींचा गया था। लेकिन बस्तर सरगुजा और दुर्ग जैसे बड़े संभागो में ही योजना गर्त में चले गई। बताते है कि भारी भरकम कमीशनखोरी के चलते तंग आकर कई ठेकेदारों ने विभाग से ही मुँह मोड़ लिया है, भुगतान नहीं होने से मजदूरों ने रोजी-रोटी के नए ठिकाने तलाश लिए,इसके चलते छत्तीसगढ़ में इस योजना का लक्ष्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है।
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उधर,TPT अर्थात थर्ड पार्टी टेंडर भी राज्य सरकार के दबाव में केंद्र सरकार को सिर्फ कागजी आंकड़े सौंप रहा है। प्रदेश में TPT पर ही जल-जीवन मिशन की गुणवत्ता बरकारार रखने की जवाबदारी है,लेकिन TPT के ठेके ही नौकरशाहो और राजनेताओ ने हथिया लिए है।योजना में उपयोग आने वाली सामग्रियों जैसे पानी स्टोरेज के लिए टंकी,पाइप निर्माण से लेकर बिछाने तक का कार्य,FHTC प्लेटफार्म,स्टैंड पोस्ट,TPI ग्रीन डिजाइन सहित कई तरह के निर्माण कार्यो से जुड़े ज्यादातर ठेके विभागीय अधिकारियो के नाते-रिश्तेदारों के कंधो पर ही रखकर अंजाम दिए जा रहे है।
छत्तीसगढ़ में थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन करने वाली कम्पनिया ठेकेदारों से सांठ-गांठ कर जल-जीवन मिशन को ही पाताल में डालने में जुटी है,इसके लिए राज्य सरकार द्वारा मिल रहा संरक्षण चर्चा में है। प्रदेश के एकमात्र जिले जांजगीर-चांपा में ही 11 हजार करोड़ का TPT ठेका अयोग्यता के बावजूद अधिकारियो ने अपने नाते-रिश्तेदारों को सौंप दिया। यह एकमात्र जिले नहीं बल्कि प्रदेशभर के कई जिलों का हाल है।
बताते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्री रुद्रकुमार गुरु की कार्यप्रणाली ने जल जीवन मिशन में पदस्थ ईमानदार अधिकारियों को संकट में डाल दिया है। इस योजना में भ्रष्टाचार करने वाले नौकरशाहो के चलते छत्तीसगढ़ का देश में 31वां स्थान भी पिछड़ने की कगार पर है, जबकि पड़ोसी राज्यों ने बेहतर प्रदर्शन कर इस योजना को राजनीति से परे रखा है।
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छत्तीसगढ़ में अगस्त 2024 तक गांवों के हर घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित है। एक जानकारी के मुताबिक,अभी तक केवल 22.50 फीसद ही काम हो पाया था,लेकिन उसमे भी गुणवत्ताविहिन कार्यो से लाभार्थियों की संख्या घट गई है।
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बताते है कि राजनैतिक द्वेष के चलते कांग्रेस शासित राज्य जानबूझकर जल-जीवन मिशन की बखियां उधेड़ने में जुटे है। इसके चलते कई जिलों में आगे पाट और पीछे सपाट वाला कारगर नुस्खा अपनाया जा रहा है। इस योजना का लाभ उठाने वाली आबादी की संख्या में दिनों दिन कमी आ रही है। लाभार्थियों का सरकारी और गैरसरकारी आकंड़ा चौकाने वाला है, इसकी हकीकत परखने के लिए राज्य और केंद्र की एजेंसियों को भी मौके का मुआयना करना होगा।