छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन योजना से लह – लहाने लगी भ्रस्टाचार की फसल राजनांदगांव में कमीशनखोरी का पारा उफान पर , 18 से पंहुचा 20 फीसदी , सरकार से शिकायत

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राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में जल जीवन मिशन योजना में कमीशनखोरी का चढ़ता पारा , ठेकेदारों के लिए मुसीबत बन गया है | इसका सीधा असर कार्यो की गुणवत्ता पर पड़ रहा है | उधर ठेकेदारों ने विभाग के कार्यपालन अभियंता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है | उनकी दलील है कि मोटा कमीशन मागंने से जहाँ सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है वही भ्रस्टाचार के चलते यह योजना अपने मिशन से भटक रही है |

कई ठेकेदारों ने 20 फीसदी कमीशन देने से इंकार कर दिया है | लेकिन इस इंकार के साथ ही उन्हें अगला ठेका मिलना भी जोखिम भरा नज़र आ रहा है | उन्हें अंदेशा है कि मुँह मांगी रकम नहीं देने से विभाग में कार्य करना उनके लिए दूभर होते जा रहा है | सूत्रों के मुताबिक  राजनांदगांव में पदस्थ कार्यपालन अभियंता समीर शर्मा की कार्यप्रणाली से जल जीवन मिशन योजना भ्रस्टाचार की भेट चढ़ रही है |


सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि ठेकेदारों के पूरवर्ती कार्यो के भुगतान के लिए शासन द्वारा करीब 60 करोड़ की रकम भेजी गई थी | इसका नियमानुसार भुगतान करने के बजाय कमीशन की रकम का ग्राफ 18 से 20 फीसदी तक कर दिया गया है | पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर भुगतान उन्ही ठेकेदारों को सुनिश्चित किया जा रहा है ,जो बगैर सवाल किये 20 फीसदी तक नगद भुगतान के लिए सहमति जता रहे है |

सवाल – जवाब करने वाले ठेकेदारों को बगैर किसी ठोस कारण के प्रतियोगिता से बाहर किया जा रहा है | यही नहीं कई अफसरों ने लाभ के चक्कर में अपने नाते – रिश्तेदारों को विभाग में ठेकेदारी सौप दी है | कही उनसे पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर तो कही सीधे ठेकेदारी उन्हें सौप दी गई है | इस मामले में कार्यपालन अभियंता ठेकेदारों के निशाने पर है | बताया जाता है कि दुर्ग के एक ठेकेदार की कमीशनखोरी को लेकर कार्यपालन अभियंता समीर शर्मा के साथ तू – तू , मैं मैं,भी हुई है | सूत्र बताते है कि इस ठेकेदार ने कार्यपालन अभियंता की शिकायत आयकर , सीबीआई और EOW से भी की है |

शिकायत में कहा गया है कि राजनांदगाव में 20 फीसदी कमीशन की मांग के चलते केंद्रीय फंडिंग वाली यह योजना भ्रस्टाचार का जरिया बन गई है | 
उधर जल जीवन मिशन के माध्यम से जिले के 4314 घरों तक सीधे नल से पेयजल पहुंचाने के मामले में गुणवत्ता विहीन कार्य चर्चा में है | शिकायत में ऐसे कार्यो का ब्यौरा भी दिया गया है | छत्तीसगढ़ EOW  को भी शिकायत भेज कर कार्यो की प्रगति की जमीनी हकीकत और जाचं की मांग की गई है | गौरतलब है कि राजनांदगांव में एक बड़ी आबादी को इस योजना से जोड़ा गया है | हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना की समीक्षा भी की थी |

उन्होंने 470 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्ना कार्यों का वर्चुअल शिलान्यास करते हुए कहा था कि इस योजना के पूरा होने से 814 ग्राम पंचायतों व 1594 आबाद ग्रामों में निवास करने वालों को फायदा मिलेगा। इन ग्रामों को 15 सोलरयुक्त योजना एवं 49 लाख 83 हजार रुपये की लागत से एक रेट्रोफिटिंग योजना अंतर्गत 783 नलों के लिए पलांट को भी मंजूरी दी गई थी | लेकिन जिस तेजी से विभाग में बिलों के भुगतान को लेकर बन्दर बाँट हो रही है , उससे योजना खटाई में पड़ते नजर आ रही है |

 लोग अभी भी पीने के साफ पानी के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हो रहे हैं. सरकार ने जो टाइम लिमिट तय की थी , कार्यपालन अभियंता की कार्यप्रणाली के कारण विवादों में घिर गई है | बताया जाता है कि सरकार की मंशा के विपरीत और मनमानी करने के आरोपों के चलते समीर शर्मा को दुर्ग से हटाया गया था | लेकिन राजनैतिक पहुंच के चलते वे राजनांदगांव में पदस्थ हो गए | यहाँ भी उनकी कार्यप्रणाली विवादों से घिरी नजर आ रही है | न्यूज़ टुडे ने कार्यपालन अभियंता समीर शर्मा से उन पर लगे आरोपों को लेकर प्रतिक्रिया का प्रयास किया , लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया |