रायपुर : छत्तीसगढ़ में जल-जीवन मिशन योजना से आम आबादी को पानी अभी नहीं मिल पाया है | लेकिन योजना में भ्रष्टाचार से ठेकेदारों से लेकर आलाधिकारियों की पौ बारह है | इस योजना से बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी के उत्पादन की बू आ रही है | इसकी बंदर बांट को लेकर कई जिलों में ठेकेदारों की हड़ताल के बावजूद अफसरों की कार्यप्रणाली पर कोई असर नहीं पड़ा है | उनकी कार्यप्रणाली जस की तस होने से सरकारी तिजोरी पर सेंधमारी जोरो पर है | ऐसे अफसरों से त्रस्त कई ठेकेदारों ने केंद्रीय जांच एजेंसियों को अवगत कराया है | इस योजना के जरिए तैयार ब्लैक मनी के स्रोतों की जानकारी आयकर-ईडी और सीबीआई को भेजी गई है | दरअसल ,जल-जीवन मिशन योजना का वित्तीय भार आधा केंद्र और आधा छत्तीसगढ़ शासन वहन कर रहा है | बताया जाता है कि PHE और राज्य शासन की ओर से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कवायत ना होते देख ठेकेदारों ने केंद्रीय जांच एजेंसियों को हकीकत से वाकिफ कराया था | उनकी शिकायतों पर जल्द कार्यवाही के आसार बताए जा रहे है |
बताया जाता है कि दुर्ग और राजनांदगांव में पदस्थ रहे कार्यपालन यंत्री समीर शर्मा की कार्यप्रणाली से खिन्न होकर ठेकेदारों ने उनके कार्यकाल की उच्चस्तरीय जांच की मांग केंद्र और राज्य शासन से की है | शिकायत में साफ़तौर पर कहा गया है कि इस योजना में ब्लैक मनी के स्रोत बन जाने से सरकारी तिजोरी खाली हो रही है |
छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन योजना में बड़े पैमाने पर सुनियोजित भ्रष्टाचार की जड़े उसके मुख्यालय नीर भवन में बताई जा रही है | इसी भवन के एक कोने में जमी भ्रष्टाचार की जड़े को फाइनेंस एंड एकाउंट शाखा से खाद्य-उर्वरक मिल रहा है | नतीजतन इस योजना में आई तेजी काम की गुणवत्ता में नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के जरिये ब्लैक मनी की फसल को कई जिलों में फ़ैला रही है | बताया जाता है कि जल जीवन मिशन योजना में भ्रष्टाचार का बीज नीर भवन की फाइनेंस एंड एकाउंट शाखा में बोया गया था | यही से इस मिशन को पटरी से उतारने की कवायत शुरू हुई है |
बताया जाता है कि कई सालो से इस शाखा में जमे किसी भारद्वाज नामक शख्स की कार्यप्रणाली के चलते दर्जन भर से ज्यादा जिलों में कार्यो की गुणवत्ता और बिलो में हेर-फेर की घटनाएं सामने आ रही है | सूत्रों के मुताबिक भारद्वाज के कमीशन में इजाफे के चलते ज्यादातर जिलों में घटिया कार्यो की शिकायते लेकर स्थानीय ग्रामीण दो-चार हो रहे है | PHE के स्थानीय कार्यालयों में जल-जीवन मिशन की गड़बड़ियों को लेकर रोजाना आ रही शिकायतों में अधिकांश मामले घटिया निर्माण कार्यो से जुड़े हुए है | उधर शिकायतकर्ताओ को अफसर यह कहकर उलटे पांव लौटा रहे है कि वे इसकी शिकायत मंत्री जी से नहीं बल्कि मुख्यमंत्री कार्यालय से करे ,तभी सुधार होगा वर्ना हमें तो ऊपर के निर्देशों का पालन करना है |
उधर जल-जीवन मिशन के घटिया कार्यो के लिए चर्चित राजनांदगांव के PHE विभाग में भ्रष्टाचार की जमीं जड़ों को सींचने का काम ” भारद्वाज” नामक शख्स के हाथो में ही बताया जा रहा है | इस मामले में यहाँ पदस्थ एग्जीक्यूटिव इंजिनियर समीर शर्मा की कार्यप्रणाली उच्चस्तरीय जांच के दायरे में है | उनके वरदहस्त में जल-जीवन मिशन के कार्यो का क्रियान्वयन किया जा रहा है | बताया जाता है कि उनके पूर्व कार्यस्थल दुर्ग के बाद राजनांदगांव में भी अब कार्यो की गुणवत्ता में गिरावट और समझौते की शिकायतों का अम्बार लग गया है | मैदानी और निचले स्तर से आ रही शिकायतों की जांच के बजाए शिकायत प्रेषित करने वाले अधीनस्थ अफसरों को परेशान किये जाने की ख़बरें भी आ रही है |ऐसे में शर्मा की कार्यप्रणाली की जांच जरुरी बताई जा रही है |
बताया जाता है कि भारद्वाज नामक शख्स और शर्मा के आर्थिक लेनदेन के चलते ही विभाग में गतिरोध उत्पन्न हो गया है | ठेकेदारों का आरोप है कि उनके बिलो को पास कराने के लिए कमीशन की रकम 18 से अचानक बढाकर 20 फीसदी कर दी गई है | इसका ठीकरा कार्यपालन यंत्री पर ही फोड़ा जा रहा है | सूत्रों के मुताबिक नीर भवन के प्रभाव वाले जल-जीवन मिशन से बजट स्वीकृत कराने के लिए ऊँची बोली लगाईं जा रही है | सूत्रों द्वारा यह भी दावा किया जा रहा है कि राजनांदगांव के लिए स्वीकृत बजट शर्मा ने दो बार सिर्फ इसलिए ठुकराया क्योंकि रकम उसके आशानुरूप जारी नहीं की गई थी | इसके बाद ऊँची बोली लगाकर नए सिरे से बजट स्वीकृत कराया गया | यही विवाद का कारण बताया जा रहा है | दरअसल ऊँची बोली, बड़ा कमीशन के चलते ऐसे ठेकेदार कामकाज से दूर हो गए जो मोटी रकम के चुकारे के लिए तैयार नहीं हुए | इस मामले में कार्यपालन यंत्री शर्मा की हामी भी चर्चा में है |
यह भी बताया जा रहा है कि विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री के करीबी होने का दावा कर कार्यपालन यंत्री समीर शर्मा जल-जीवन मिशन से जुड़े कार्यो में टेंडर की शर्तो के उल्लंघन और घटिया निर्माण कार्यो को सरंक्षण देने में जुटे है | सूत्रों के मुताबिक कई विभागीय बैठकों में वो मुख्यमंत्री और उनके कार्यालय में पदस्थ वरिष्ठ अफसरों का नाम लेकर अपने करीबी ताल्लुकातों का बखान कर चुके है | हाल ही में विभागीय सचिव ने राजनांदगांव में जल-जीवन मिशन के कार्यो का जायजा लिया था | उन्होंने कार्यो की गुणवत्ता और टेंडर की शर्तो के समुचित पालन कराए जाने पर जोर दिया था | यही नहीं ख़राब कार्यो के लिए नाराजगी जाहिर करते हुए कार्यपालन यंत्री समीर शर्मा को फटकार भी लगाईं थी |
सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि सचिव के इस दौरे से बौखलाए कार्यपालन यंत्री ने स्टाफ और कुछ ठेकेदारों के समक्ष दो टूक एलान किया था कि विभागीय सचिव को PHE के कार्यो का तजुर्बा नहीं है | उन्होंने यह कहते हुए स्टाफ को चौंका दिया था कि अनुभवहीन “सचिव” के चलते ही कामकाज में रूकावट आ रही है ,चिंता ना करें,मंत्री जी को वे मैनेज कर लेंगे | बताया जाता है कि इस घटना के बाद से ना तो विभागीय सचिव ने राजनांदगांव का दोबारा रुख किया और ना ही शिकायतों के निपटारे में रूचि दिखाई | यह भी बताया जाता है कि इस वाकये के बाद से शर्मा के हौसले इतने बुलंद हुए की राजनांदगांव में जल-जीवन मिशन के कार्यो में टेंडर की शर्तो के उल्लंघन की घटनाएं आम हो गई थी |
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फिलहाल कई ठेकेदारों ने कार्यपालन यंत्री समीर शर्मा को तत्काल पद से हटाने की मांग कर दुर्ग एवं राजनांदगांव में उनके कार्यो की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है | गौरतलब है कि,जल-जीवन मिशन के जरिये ब्लैक मनी की लह लहाती फसल पर अंकुश लगाने के लिए शिकायतकर्ताओ ने आयकर और ईडी को भी पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की है |