रायपुर: छत्तीसगढ़ में आईटी-ईडी और सीबीआई का गलियारा इन दिनों बीजेपी सरकार की ट्रांसफर लिस्ट के एक फैसले से हैरान बताया जा रहा है। यही हाल बीजेपी और कांग्रेस के गलियारों में भी देखा जा रहा है।केंद्रीय जांच एजेंसियों की विभिन्न घोटालों की विवेचना के बीच रायपुर सेंट्रल जेल की कमान दोबारा एक दागी अधिकारी को सौपने से जेल विभाग और उनके मंत्री सुर्ख़ियों में है। प्रदेश के चर्चित घोटालों में आईटी-ईडी और सीबीआई के आरोपियों को जेल के भीतर VIP सुविधाएं उपलब्ध कराने में लिप्त तत्कालीन सुपरिटेंडेंट को 2 साल पहले रायपुर से अंबिकापुर स्थानांतरित कर दिया गया था। महकमे की हालिया ट्रांसफर सूची में इस दागी सुपरिटेंडेंट को पुनः रायपुर स्थानांतरित कर बड़ी जवाबदारी सौंप दी गई है। बताते है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपे गिरोह के सामने आत्मसमर्पण करने वाले जेल सुपरिटेंडेंट को एक बार फिर संवेदनशील पद पर तैनात कर दिया गया है।

महकमे की हालिया ट्रांसफर लिस्ट सुर्ख़ियों में है, इसे देखकर ट्रांसफर उद्योग की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है। प्रदेश के विभिन्न घोटालों में लिप्त कुख्यात आरोपियों के सामने घुटने टेकने वाले एक दागी सुपरिटेंडेंट को एक बार फिर रायपुर सेंट्रल जेल की कमान सौंपने से महकमे में लेनदेन की चर्चाएं भी जोरो पर है। दरअसल, रायपुर सेंट्रल जेल में बतौर जेल सुपरिटेंडेंट योगेश क्षत्री का नाम हालिया ट्रांसफर सूची में देखकर एक ओर जहाँ जेल की हवा खा रहे कुख्यात आरोपियों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा है, वही केंद्रीय जांच एजेंसियों के गलियारे में बीजेपी सरकार के रुख और मंशा को लेकर हैरानी भी जताई जा रही है।

जानकारी के मुताबिक अदालत से लेकर तत्कालीन भूपे सरकार तक केंद्रीय जांच एजेंसियों की गंभीर शिकायतों के बाद रायपुर सेंट्रल जेल के जिस तत्कालीन जेल सुपरिटेंडेंट को रातों-रात उनके पद से हटाया गया था, उन्हें अभी 2 साल भी पूरा नहीं बीता कि दोबारा उन्हें अंबिकापुर से पुनः रायपुर सेंट्रल जेल स्थानांतरित कर दिया गया है। दागी जेल सुपरिटेंडेंट को पुनः रायपुर स्थानांतरित करने के बाद महकमे की ट्रांसफर सूची को लेकर कोहराम मचा है।

छत्तीसगढ़ में ट्रांसफर-पोस्टिंग का मौसम आते ही, जेल विभाग की स्थानांतरण सूची देखकर कई लोगों के माथे पर बल पड़ गया है। हालिया सूची को विभागीय मामलों के जानकार ‘ट्रांसफर उद्योग’ से जोड़ कर देख रहे है। राज्य सरकार के अनुमोदन के बाद जेल महकमे के एक फरमान में रायपुर सेन्ट्रल जेल के नए सुपरिटेंडेंट का नाम देख कर राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारा भी गरमाया हुआ है, जारी आदेश के अनुसार, योगेश सिंह क्षत्री, अधीक्षक, केन्द्रीय जेल अंबिकापुर को तत्काल प्रभाव से, अस्थायी रूप से, आगामी आदेश तक अधीक्षक, केन्द्रीय जेल, रायपुर के पद पर पदस्थ कर दिया गया है।

रायपुर सेन्ट्रल जेल में आमद दर्ज कर रहे ये वही रहे सुपरिटेंडेंट बताये जाते है, जिनके खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों की विवेचना में रोड़े अटकाने और विभिन्न अपराधों में जेल की हवा खा रहे कुख्यात आरोपियों को VIP सुविधाए मुहैया कराए जाने जैसे गंभीर आरोप है। एजेंसियों की शिकायत के बाद दागी अफसर को ED की विशेष अदालत ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। जानकारी के मुताबिक ED के अलावा कर्नाटक पुलिस ने भी अदालत को रायपुर सेंट्रल जेल के तत्कालीन अधीक्षक योगेश क्षत्री की कार्यप्रणाली से रूबरू कराया था। इसके बाद विशेष अदालत ने इस अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था।

चर्चा है कि बीजेपी शासन काल में भूपे गिरोह के काले कारनामों की यथोचित जांच तो दूर, गिरोह के कई सदस्यों को उपकृत करने का सिलसिला लगातार जारी है। यह भी बताया जाता है कि अदालत के हस्तक्षेप और केंद्रीय जांच एजेंसियों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए भूपे सरकार ने 22 अप्रैल 2023 को योगेश क्षत्री को रातों-रात रायपुर से अंबिकापुर जेल स्थानांतरित कर दिया था। लेकिन बीजेपी सरकार के एक ताजा फरमान के बाद करीब 2 साल बाद इस दागी अफसर की पुनः रायपुर सेंट्रल जेल पुनर्वापसी सुनिश्चित हो गई है।

जानकारी के मुताबिक भूपे राज में केंद्रीय जांच एजेंसियों खासकर IT-ED और कर्नाटक पुलिस ने रायपुर सेंट्रल जेल के तत्कालीन जेल अधीक्षक योगेश क्षत्री की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए कड़ी कार्यवाही की मांग की थी। सुपरिटेंडेंट पर जेल एक्ट के प्रावधानों और अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए कुख्यात आरोपियों को VIP सुविधाएं मुहैया कराने के सबूत भी पेश किये गए थे। बताते है कि अदालत ने जेल सुपरिटेंडेंट को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था।कई कुख्यात आरोपियों को जेल के भीतर VIP सुविधाएं उपलब्ध कराने, आईटी-ईडी और यूपी पुलिस की वैधानिक पूछताछ में रोड़े अटकाने के विभिन्न प्रकरणों को लेकर नव नियुक्त जेल सुपरिटेंडेंट जांच के दायरे में बताये जाते है, तमाम गंभीर आरोपों के बावजूद दागी अफसर को उपकृत करने का मामला चर्चा में है।

कोल कारोबारी सूर्यकांत तिवारी समेत अन्य प्रभावशील आरोपियों को मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED की विवेचना और संभावित कार्यवाही से बचाने के लिए सेंट्रल जेल रायपुर के तत्कालीन जेल सुपरिटेंडेंट ने अपनी कुर्सी तक दांव पर लगा दी थी। जेल परिसर में IT-ED के अफसरों के साथ बदसलूकी और कोल स्कैम के कुख्यात आरोपियों के साथ रहमदिली को लेकर योगेश क्षत्री की कार्यप्रणाली जांच के दायरे में बताई जाती है। यह भी बताया जाता है कि कोल माफिया सूर्यकान्त तिवारी के खिलाफ बेंगलुरु में दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस में कर्नाटक पुलिस 4 दिनों तक रायपुर सेंट्रल जेल परिसर में भटकती रही थी।

लेकिन तत्कालीन जेल सुपरिटेंडेंट ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कर्नाटक से आई जांच टीम को ना तो आरोपियों से मेल-मुलाकात और पूछताछ में कोई सहयोग किया था और ना ही अदालत के निर्देशों को मानने के लिए हामी भरी थी। बताते है कि अदालत के कड़े रुख के बाद भूपे सरकार ने इस सुपरिटेंडेंट का बचाव करते हुए उसे रायपुर के बजाय अंबिकापुर सेंट्रल जेल की कमान सौंप दी थी। बताते है कि सुपरिटेंडेंट का तमाम घोटालेबाजों से करीब का नाता है, वे उनके आगे आत्मसमर्पित बताये जाते है। ऐसे दागी अफसर के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने के बजाय दोबारा उसे रायपुर सेंट्रल जेल की कमान सौंपने का मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है।