
नई दिल्ली। संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत से पहले एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार, 21 जुलाई को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 74 वर्षीय धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय सलाह को प्राथमिकता देते हुए पद छोड़ने की बात कही। राष्ट्रपति ने अगले ही दिन उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2022 में शुरू हुआ था और वह 2027 तक पद पर बने रहते, लेकिन अब बीच कार्यकाल में इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं। इससे पहले वीवी गिरि और आर. वेंकटरमण ने भी कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया था। हालांकि, उन्होंने राष्ट्रपति बनने के लिए ऐसा किया था, जबकि धनखड़ ने स्वास्थ्य को वजह बताया।
इंडिया टुडे के सूत्रों के अनुसार, चूंकि धनखड़ ने कार्यकाल पूरा नहीं किया, इसलिए उन्हें विदाई भाषण का अवसर नहीं मिलेगा, जो केवल पूर्ण कार्यकाल वाले उपराष्ट्रपतियों को दिया जाता है। उनके पूर्ववर्ती वेंकैया नायडू को विदाई समारोह में भाषण देने का मौका मिला था, जिसमें प्रधानमंत्री सहित कई नेता शामिल हुए थे।
हालांकि, विपक्ष का दावा है कि यह इस्तीफा केवल स्वास्थ्य कारणों तक सीमित नहीं है। कांग्रेस और अन्य दलों ने इसे “गहरे राजनीतिक कारणों” से जुड़ा बताया है और कहा कि इससे उन लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं जिन्होंने उन्हें चुना था।