
कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में कांग्रेस द्वारा दायर 199.15 करोड़ रुपये की टैक्स छूट याचिका को खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने यह दावा किया था कि यह राशि दान से मिली है और इस पर कांग्रेस टैक्स छूट के तहत छूट मिलनी चाहिए। लेकिन न तो समय पर रिटर्न दाखिल हुआ और न ही दान प्रक्रिया नियमों के अनुसार रही।
दरअसल, कांग्रेस ने यह रिटर्न 2 फरवरी 2019 को दाखिल किया, जबकि अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2018 थी। ITAT ने कहा कि धारा 13A के तहत टैक्स छूट का लाभ तभी दिया जा सकता है जब रिटर्न समय सीमा के भीतर फाइल किया जाए।
साथ ही जांच में सामने आया कि कांग्रेस ने 14.49 लाख रुपये के नकद दान स्वीकार किए, जो तय सीमा (प्रति व्यक्ति 2,000 रुपये) से ज्यादा थे। यह आयकर अधिनियम की धारा 13A(डी) का उल्लंघन है, जिसमें बैंकिंग माध्यम से दान लेना अनिवार्य है।
2021 में कर विभाग ने यह छूट खारिज कर दी थी। 2023 में आयकर आयुक्त (अपील) और अब 2024 में ITAT ने भी कांग्रेस की अपील खारिज कर दी। पार्टी द्वारा देर से रिटर्न और खर्चों में कटौती की मांग भी खारिज कर दी गई।
कांग्रेस टैक्स छूट विवाद अब न सिर्फ आर्थिक बल्कि राजनीतिक मोर्चे पर भी चर्चा का विषय बन चुका है। यह मामला राजनीतिक दलों के लिए टैक्स नियमों का पालन करने की सख्त जरूरत को रेखांकित करता है।