
भोलेनाथ को प्रसन्न करना अन्य देवताओं की तुलना में सरल माना गया है। लेकिन भगवान शिव की पूजा करते समय कुछ नियमों का ध्यान रखना भी जरूरी है। दरअसल कुछ चीजें ऐसी हैं, जिनका प्रयोग शिव जी की पूजा में वर्जित होता है। अधिकतर घरों में रोजाना भगवान शिव की पूजा की जाती है। लोग प्रतिदिन शिवलिंग पर जल अर्पित भी करते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भोलेनाथ को प्रसन्न करना अन्य देवताओं की तुलना में सरल माना गया है। ऐसा कहा गया है कि यदि कोई भक्त केवल सच्चे हृदय से शिवलिंग पर जल चढ़ाए, तो भी भगवान शिव उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। लेकिन भगवान शिव की पूजा करते समय कुछ नियमों का ध्यान रखना भी जरूरी है। दरअसल कुछ चीजें ऐसी हैं, जिनका प्रयोग शिव जी की पूजा में वर्जित होता है। आइए जानते हैं कि भोलेनाथ की पूजा में किन चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

अधिकतर देवी-देवताओं की पूजा में तुलसी का प्रयोग अनिवार्य माना जाता है, लेकिन शिवजी की पूजा के लिए यह वर्जित है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब शिवजी ने राक्षस जलंधर का वध किया, तब उसकी पत्नी तुलसी ने महादेव को श्राप दिया था कि वह कभी भी उनकी पूजा में स्वीकार्य नहीं होंगी। इसी कारण भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता।

शिवलिंग की पूजा में केतकी का फूल चढ़ाना वर्जित माना गया है। एक पौराणिक प्रसंग के अनुसार, ब्रह्मा जी और केतकी के फूल ने मिलकर भगवान शिव के सामने झूठ बोला था कि उन्होंने शिवलिंग का अंत देख लिया। इस झूठ से रुष्ट होकर भगवान शिव ने केतकी के फूल को श्राप दिया कि वह कभी भी उनकी पूजा में उपयोग में नहीं लिया जाएगा। तभी से यह फूल शिव पूजन में निषिद्ध है।

यह तीनों वस्तुएं स्त्री तत्व से जुड़ी हुई मानी जाती हैं और देवी-देवताओं की पूजा में उपयोग की जाती हैं। लेकिन शिवलिंग को पुरुष तत्व का प्रतीक माना गया है, इसलिए इसमें कुमकुम, सिंदूर या रोली का प्रयोग अनुचित माना गया है। इन्हें शिव पूजा में न चढ़ाने की परंपरा इसलिए भी है क्योंकि यह पूजन की ऊर्जाओं के संतुलन को बिगाड़ सकती हैं। नारियल पानी शिवलिंग पर अर्पित नहीं किया जाता। इसके बजाय सिर्फ जल, दूध या बेलपत्र का उपयोग उपयुक्त माना गया है। टूटे हुए चावल को भी अशुद्ध माना जाता है, और इसे किसी भी देवता, विशेषकर शिवजी की पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए।