
रायपुर/ दिल्ली : – छत्तीसगढ़ में बड़ा एनआरआई घोटाला सामने आया है। यहाँ के कुछ चुनिंदा निजी मेडिकल कॉलेजो में NRI कोटा एडमिशन के नाम पर कबूतरबाजी के दर्जनों मामले सामने आये है। इसे अंजाम देने में प्रदेश की शीर्ष नौकरशाही और निजी मेडिकल कॉलेजों के संचालकों की सांठगांठ भी उजागर हुई है। प्रदेश में ऐसे निजी मेडिकल कॉलेजों ने एडमिशन के नाम पर बेहिचक मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों को अंजाम दिया है। देश के विभिन्न राज्यों में निवासरत छात्रों को विदेश में बसे उनके नाते – रिश्तेदारों की तस्दीक मात्र से NRI कोटे में दाखिला दे दिया गया था। यह उपक्रम अभी भी जारी बताया जा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि राज्य के कुछ निजी मेडिकल कॉलेजों में कबूतरबाजी में फंसे MBBS प्रथम वर्ष के छात्रों से 2 करोड़ तक वसूले गए।

दरअसल, स्वास्थ शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों ने NRI कोटे को लेकर केंद्र सरकार के दिशा – निर्देशों की अवहेलना करते हुए पुराने नियमों को यथावत रखा था। जबकि छत्तीसगढ़ के अलावा देश के ज्यादातर राज्यों में नए नियमों के तहत NRI कोटे से योग्य छात्रों को दाख़िला दिया गया था। तस्दीक की जा रही है कि क़ायदे – कानूनों के दांवपेंचो को आजमाते हुए NRI कोटे से आयोग्य उम्मीदवारों को लाभान्वित किया गया है। एडमिशन के नाम पर ऐसे प्रत्येक छात्रों से लगभग 2 करोड़ की रकम वसूली गई। इस खेल में मेडिकल कॉलेज संचालकों की गैरकानूनी गतिविधियां भी उजागर हुई है। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि रावतपुरा मेडिकल इंस्टीट्यूट मान्यता का मामला CBI की तफ्तीश में है, इसकी चार्जशीट सामने आने के बाद NRI घोटाले की भी परतें निकलने लगी है।

छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे में एडमिशन के नाम पर अवैध वसूली का मामला जाँच एजेंसियों के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। एक प्राथमिक जाँच का हवाला भी दिया गया है, इसमें स्पष्ट किया गया है कि यहां के कई निजी मेडिकल कॉलेजों में बोगस NRI छात्र अध्ययनरत है। उन्होंने इस कोटे से दाखिले के लिए मोटी रकम अदा की थी। इसके बाद कॉलेज संचालकों ने उनके विदेश में बसे किसी भी नाते – रिश्तेदार अथवा क़रीबी शख्स की तस्दीक मात्र से एडमिशन पाने में कामयाबी हासिल की थी। इस गोरखधंधे में आधा दर्जन ऐसे वरिष्ठ डॉक्टरों और मेडिकल माफिया का नाम सामने आया है, जिन्होंने बाकायदा मोटी रकम वसूली थी। ऐसे संस्थानों का NRI बनाने का मंसूबा देश की सुरक्षा में सेंधमारी और सुनियोजित मनीलॉन्ड्रिंग के रूप में देखा जा रहा है। शिकायतकर्ताओं के मुताबिक जिस तर्ज पर NGO के नाम पर विदेशी फंडिंग सामने आई थी, उसी तर्ज पर प्रदेश के कतिपय मेडिकल कॉलेज संचालकों ने आपराधिक शैली का परिचय दिया है। शिकायत में ऐसे वरिष्ठ डॉक्टरों का लेनदेन और कुपात्र छात्रों का ब्यौरा भी पेश किया गया है। केंद्र सरकार और आयुष मंत्रालय ने प्रबंधन कोटा स्पष्ट करते हुए एनआरआई (अनिवासी भारतीय) के लिए सीटें आरक्षित करने के निर्देश जारी किये थे। जानकार यह भी तस्दीक कर रहे है कि इस तरह से विदेशी फंडिंग गैर क़ानूनी है।

गौरतलब है कि, मेडिकल कॉलेजों में कुल सीटों का 15% एनआरआई कोटे के लिए आरक्षित किया गया है। राज्य में NRI कोटे के नाम पर चाचा, बुआ, नाना, नानी जैसे और अन्य दूर दराज के रिश्तों को फर्जी आधार बनाते हुए नीट (National Eligibility Cum Entrance Test-NEET) में कम अंक वाले छात्रों को मोटी रकम लेकर सीटें बांट दी गई थी। जबकि 24 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट में SLA (C) 22174/ 2024 पंजाब व अन्य विरुद्ध निर्णय में एनआरआई से रिश्तेदारी के नाम पर प्रवेश को कोर्ट ने साफ शब्दों में फ्रॉड कहते हुए इसे गलत ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट से यह फैसला आते ही नया नियम पूरे देश में लागू करने के फ़रमान जारी किये गए थे। लेकिन छत्तीसगढ़ एक मात्र ऐसा राज्य सामने आया, जहाँ पुराने नियम यथावत रखे गए थे। इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए एनआरआई छात्रों के स्थान पर अन्य छात्रों को नियम विरुद्ध प्रवेश दे कर कई योग्य छात्रों को दाखिले से वंचित कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक विभिन्न माध्यमों से मेडिकल कॉलेज संचालकों ने 150 करोड़ से ज्यादा की अवैध रूप से फंडिंग प्राप्त की थी। छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नए नियमो को नजरअंदाज कर काउंसलिंग कराई और पुराने नियम से ही एमबीबीएस सीटों का आवंटन कराने की प्रक्रिया को अंजाम दिया था। शिकायत के मुताबिक प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रदेश की एक बड़ी मेडिकल लॉबी सिंडीकेट की तरह आज भी काम कर रही है, इसके माध्यम से पूरे सरकारी सिस्टम को गुमराह कर NRI बनाने का कारखाना खोल लिया गया है। फ़िलहाल, राज्य की विष्णुदेव साय सरकार से मेडिकल शिक्षा के नाम पर कबूतरबाजी और NRI कोटा घोटले की जाँच की मांग की जा रही है। उधर, लाभार्थी मेडिकल कॉलेजों ने इस मामले में कोई भी प्रतिक्रिया जाहिर करने से इंकार कर दिया है।