अमेरिका में उत्पादन की लागत तीन गुना ज्यादा है, और इसी वजह से iPhone की कीमत भी इतनी बढ़ सकती है. यह पूरा मामला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान के बाद शुरू हुआ. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने Apple के CEO टिम कुक से बात की है और उनसे कहा है कि कंपनी भारत में अपना विस्तार न करे. इस पर भारत के उद्योग जगत और तकनीकी एक्सपर्ट्स की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं.
महराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्रीज एंड एग्रीकल्चर (MCCIA) के डायरेक्टर जनरल ‘प्रशांत गिरबाने’ ने साफ कहा, ‘अगर iPhone अमेरिका में बनेगा तो इसकी लागत $3,000 यानी करीब ₹2.5 लाख तक पहुंच सकती है. जबकि अभी वही फोन भारत या चीन में बनकर $1,000 (₹85,000) में तैयार होता है. क्या अमेरिकी ग्राहक इतनी महंगी कीमत देंगे?’
गिरबाने ने ये भी बताया कि फिलहाल Apple की मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हिस्सा, करीब 80%, चीन में होता है और इससे वहां लगभग 50 लाख लोगों को रोजगार मिलता है. Apple का भारत में निर्माण बढ़ाने का मकसद चीन पर निर्भरता कम करना है, न कि अमेरिका से काम छीनना.
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टेलीकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (TEMA) के चेयरमैन एन.के. गोयल ने कहा, ‘Apple ने पिछले एक साल में भारत से ₹1.75 लाख करोड़ के iPhones बनाए हैं. उनके भारत में तीन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं और दो और की प्लानिंग है. ऐसे में अगर Apple भारत से बाहर गया तो उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.’
गोयल ने यह भी बताया कि दुनियाभर में व्यापार नियम लगातार बदल रहे हैं और टैरिफ (import-export टैक्स) भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में Apple के लिए भारत छोड़ना समझदारी नहीं होगी. KPMG के पूर्व पार्टनर जयदीप घोष ने कहा, ‘Apple का इकोसिस्टम भारत के लिए बहुत अहम है. अगर कंपनी लंबे समय में भारत से बाहर जाती है तो इसका सीधा असर देश की इकोनॉमी और रोजगार पर पड़ेगा. अमेरिका में iPhone बनाना आसान नहीं है क्योंकि वहां लेबर कॉस्ट बहुत ज्यादा है.’
विशेषज्ञों की राय बिल्कुल साफ है, iPhone को भारत में बनाना कंपनी के लिए भी सस्ता है और उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद. अगर iPhone अमेरिका में बनेगा तो कीमत आसमान छू सकती है, जिससे न तो ग्राहक खुश होंगे और न ही Apple की कमाई बढ़ेगी. अब देखना होगा कि Apple और अमेरिका सरकार इस पर क्या फैसला लेते हैं, लेकिन फिलहाल भारत iPhone बनाने का बेहतर विकल्प बना हुआ है.