नई दिल्ली। रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, इस बार 17,000 करोड़ रुपये के कथित लोन घोटाले को लेकर। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें पूछताछ के लिए समन जारी किया है और 5 अगस्त को दिल्ली स्थित मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा है। यह समन मुंबई में रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 ठिकानों पर छापेमारी के एक सप्ताह बाद भेजा गया।
यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत चल रही है, जिसमें रिलायंस ग्रुप से जुड़ी लगभग 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के नाम शामिल हैं। ईडी को इस केस में सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) और इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) की रिपोर्ट्स भी मिली हैं, जिनमें कई गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है।
सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (R Infra) ने CLE प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक संबंधित कंपनी को लगभग 10,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। इस राशि को इंटर-कॉरपोरेट डिपॉजिट (ICD) के रूप में दर्शाया गया, जिससे कथित तौर पर रिलायंस ग्रुप की अन्य कंपनियों और प्रमोटर समूह को फायदा पहुंचाया गया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2013 से 2023 के बीच R Infra की कुल संपत्ति का 25% से 90% हिस्सा CLE में स्थानांतरित किया गया, जबकि CLE की वित्तीय स्थिति कमजोर थी। इसके बावजूद 2017 से 2021 के बीच R Infra ने लगभग 10,110 करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डाल दिया।
रिलायंस ग्रुप की ओर से सफाई दी गई है कि यह मामला फरवरी 2024 में पहले ही सार्वजनिक हो चुका है और सेबी की रिपोर्ट में कोई नई बात नहीं है। ग्रुप ने CLE में निवेश की राशि को 6,500 करोड़ बताया है, जबकि सेबी का दावा 10,000 करोड़ रुपये का है।
